STORYMIRROR

Padma Agrawal

Romance Inspirational

4  

Padma Agrawal

Romance Inspirational

वह नाजुक सी लड़की

वह नाजुक सी लड़की

18 mins
40

वह नाजुक सी लड़की --------


माँ क्या सामने वाले मकान में किरायेदार आ गये हैं ... वहाँ लाइट जल रही है , रोहन ने अपनी माँ सुजाता से पूछा

हाँ , दोपहर में मैंने ट्रक से सामान उतरते देखा था . पति पत्नी और एक सुंदर नाजुक सी बेटी है . मैं उनके घर चाय लेकर गई तो उन्होंने कह दिया , कि हम लोग चाय नहीं पीते हैं . महिला ने अपना नाम भी नहीं बताया था , थोड़ी अक्खड़ सी लग रहीं थी .

रोहम 22 वर्ष का स्वस्थ, सजीला , हँसमुख सुजाता और सुरेश का इकलौता बेटा था . पिता की रेडीमेड कपड़ों की चलती हुई दुकान थी . माँ सुजाता गृहिणी थी , मध्यमवर्गीय हँसता खेलता परिवार था .

माँ के मुँह से सुंदर और नाजुक सी लड़की सुन कर उसे देखने की जिज्ञासा जाग उठी थी . उसकी बॉलकनी और उनका कमरा आमने सामने था . किशोरवय मन की असीम उत्कंठा के कारण पर्दों के हिलते डुलते ही वह सुंदर सी लड़की को झांकने की प्रयास करता पर वह उसके दीदार से वंचित रह जाता था .

लगभग 10 -15 दिनों के बाद वह जब तब दिखने लगी थी . कभी झाड़ू लगाती तो कभी कपड़े सुखाते हुई , हमेशा व्यस्त और अपने में उलझी हुई .

एक दिन सुजाता ने बेटे को बताया कि उसका माँ का नाम माधुरी है , वह पार्षद का चुनाव लड़ी थीं लेकिन हार गईं थीं .

माँ , तभी उनके यहाँ लोगों की चहल पहल बनी रहती है . अच्छा है , यदि कोई परेशानी होगी तो अपना काम आसानी से हो जायेगा .

मुझे तो नहीं लगता कि वह किसी का काम करतीं होंगीं ... सुजाती जी बोलीं थीं .

रोहन सामने वाली लड़की के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानने को उत्सुक हो उठा था . वह बदरंग सा कुरता सलवा पहने रहती , उसका चेहरा डरा डरा सा रहता , उदासी के आवरण से ढका हुआ रहता . वैसे तो उसका रंग दूध की तरह सफेद था , आँखें बड़ी बड़ी और कजरारी और पतले से होंठ व काले घुंघराले बाल . रोहन की नजरें तो जैसे उस पर से हटतीं ही नहीं थीं लेकिन निगाहें मिलते ही वह डरी हुई हिरणी की भाँति कुलाँचे भरती हुई पल भर में अंदर भाग जाती थी . रोहन तो उसकी चाहत में पागल ही हो चुका था .

काफी दिनों की लुकाछिपी के बाद एक दिन जब वह कॉलेज जाने के लिये स्कूटी निकाल रहा था तभी वह भी अपनी सायकिल निकाल कर अपना गेट बंद कर रही थी . दोनों की आँखें चार हुईं थीं , उसको मुस्कुराते देख कर मंजरी ने अपनी आँखें फेर लीं थीं . उसके माथे पर चोट का काला निशान देख कर वह चौंक उठा था फिर उसके हाथों की चोट , जिसे वह अपने दुपट्टे से छिपाने क असफल प्रयास कर रही थी , उसकी आँखों से छिप नहीं सकी थी .

अब तो वह उससे बात करने के लिये बेचैन हो उठा था . वह उसके आने के इंतजार में एक जगह स्कूटी रोक कर खड़ा हो गया था . संयोगवश कुछ दूर जाने के बाद चौराहे पर रेडलाइट हो जामे के कारण सारा ट्रैफिक रुक गया था , वह अपना सायकिल किनारे से निकालने का प्रयास कर रही थी , तभी बाइक वाले के धक्के के कारण वह अपना बैलेंस नहीं संभाल पाई और सायकिल के साथ ही गिर पड़ी . रोहन की साँसे तेज चलने लगी और दिल जोर जोर से धड़कने लगा . उसने जल्दी से सहारा देकर उठाया था , ...आपको चोट तो नहीं लगी ...

नहीं मैं ठीक हूँ

चलिये मैं आपकी चोट की ड्रेसिंग करवा दूँ , उसके हाथ से खून बह रहा था ..

नहीं आप रहने दीजिये , अम्मा को मालूम होगा तो वह मुझे मारेंगी ... सच्चाई उसके मुँह से निकल पड़ी थी

उसने अपनी जेब से रुमाल निकाल कर चोट पर जबरदस्ती बाँध दिया था . केमिस्ट शॉप से एक ट्यूब भी खरीद कर दे दिया था .

आपके माथे पर चोट कैसे लगी

मैं सीढ़ियों से गिर गई थी , उसके चेहरे से सफेद झूठ साफ झलक रहा था .

उसने घबरा कर रुमाल खोल कर वापस कर दिया . मैं स्कूल के लिये बहुत लेट हो रही हूँ . कहती हुई वह जल्दी से अपनी सायकिल पर बैठ कर तेजी से वहाँ से चली गई . वह कुछ देर तक वहाँ ठगा सा खड़ा रह गया था .

यह थी उसकी पहली मुलाकात ... उसने घर लौट कर माँ को पूरी बात बता दी थी . घर सामने होने के कारण वहाँ आने जाने वाले लोगों पर निगाहें पड़ ही जाया करती थी . उनके यहाँ अक्सर शाम को कुछ लोग आया करते और देर तक बैठकें हुआ करतीं थीं परंतु मोटे पर्दे और बंद दरवाजे अपने अंदर का रहस्य अंदर ही समेटे रहते .

अब वह रोहन की मुस्कुराहट का प्रतिउत्तर छोटी सी सी मगर डरी सी मुस्कान से देने लगी थी . उसका मासूम सा चेहरा जैसे अपने दिल के दर्द की कहानी बयां करने को बेचैन हो . लगभग 3 महीने बीत गये थे लेकिन उन लोगों के बारे में कुछ अधिक नहीं मालूम हो सका था . रोज शाम को कुछ छुटभैय्ये नेता टाइप के दबंगों का चेहरा भले पहचान में आने लगा था .

सुजाता और माधुरी के बीच थोड़ी बहुत बातचीत होने लगी थी . माधुरी ने एक दिन शिकायती लहजे में बताया कि मंजरी का पढने मेंबिल्कुल भी मन नहीं लगता है , जब कि इस साल बोर्ड की परीक्षा है , दिन भर बैठ कर टी. वी. देखती रहती है .

सुजाता जी को तो मानों मुँह मांगी मुराद मिल गई हो . आप आज से ही मेरे पास भेज दिया करिये , मैं उसे पढा दिया करूँगीं .

वह सुजात के पास पढने आने लगी थी . वह उसे प्यार से कुछ खिला पिला दिया करतीं थीं . वह धीरे धीरे उनसे खुलने लगी थी .

आंटी मैं पढ़ना चाहती हूँ लेकिन अम्मा अक्सर स्कूल से मेरी छुट्टी करवा देतीं हैं . वह जैसे ही पढने बैठती है , वह चिल्ला पड़ती हैं . घर का सारा काम करमा फिर भी गाली और पिटाई ... मैं तो अपनी जिंदगी से थक चुकी हूँ .

रोहन उसकी बातों को सुन रहा था . उसकी बड़ी बड़ी आँखें रोते रेते लाल हो उठीं थीं . उसे समझ नहीं आ रहा था कि इस नाजुक सी लड़की का दर्द कैसे दूर करे .

सुजाता जी ने उसे प्यार से अपने गले से लगा लिया था , बेटी मत घबराओ , कोई भी परेशानी हमेशा नहीं रहती . तुम्हारे जीवन में भी खुशियाँ जरूर एक दिन आयेंगीं . 

रोहन और मंजरी की छोटी छोटी मुलाकातें कभी उनके घर पर तो कभी बाहर तो कभी इशारों इशारों में होने लगीं थीं . दोनों ही एक दूसरे के प्यार में खोने लगे थे .

एक दिन वह अपनी बॉलकनी में कपड़े सुखाते हुये रोहम को इशारा कर रही थी . तब उसकी माँ माधुरी ने उसे रोहन को इशारा करते हुये देख लिया था . उस दिन उन्होंने सुजाता जी से खूब गाली गलौज और लड़ाई की और रोहन पर अपनी बेटी को फुसलाने का इल्जाम लगा कर उसे गुंडों से पिटवाने और जेल में डलवाने तक की धमकी दे डाली थी .

वह खुले आम चिल्ला रहीं थीं , मेरी पहुँच बड़े बड़े नेताओं तक है , तुम्हारा बेटा जेल चला गया तो जमानत भी नहीं होगी .

लेकिन सच्चे प्रेमी भला खतरों से कभी डरते हैं . वे कहीं न कहीं अपने दिल का दर्द बाँट ही लिया करते .

मंजरी 11 वीं में आ गई थी . उसने कोचिंग में पढने की इच्छा जाहिर की थी . अम्मा पापा की काफी लंबी बहसबाजी के बाद ऐसी कोचिंग में उसका एडमिशन करवाया गया , जहाँ फीस नहीं लगती थी , साथ ही उस पर पूरी निगरानी रखी जा सकती थी , साथ ही पूरी निगरानी रखी जा सकती थी .

अब वह देखता था कि मंजरी सुबह होते ही कभी घर का सामान लेने जाती . कभी दूध तो कभी सब्जी ... यह सिलसिला रात तक चलता रहता , और वह जैसे ही घर में घुसती , माधुरी की चीख चिल्लाहट की आवाजें सुनाई पड़ने लगतीं थीं .

एक दिन वह रोहन के साममे फफक पड़ी थी , रोहन , अम्मा मुझसे कहतीं हैं कि तुम पैसे चुरा लेती हो , बताओ क्या मैं चोर लगती हूँ ....उसका मासूम सा चेहरा देख कर रोहन की आँखें भी भीग उठीं थीं .

एक किस्सा समाप्त नहीं होता कि दूसरा शुरू हो जाया करता . एक शाम उनके घर से गाली गलौज , मारपीट की आवाजें सुनाई पड़ रही थीं . उन लोगों का शोर कोई सुन न ले , इसलिये फुल वाल्यूम में टी. वी. चल रहा था . 3-4 दिनों बाद मंजरी मिली तो उसने बताया कि पापा बोले , कल उन्होंने रात 10,000 रुपये गिन कर जेब में रखे थे , सुबह जेब में नहीं थे . अम्मा ने साफ साफ कह दिया कि वे कुछ नहीं जानतीं .

घर में उन तीनों के सिवा दूसरा तो कोई था नहीं , इसलिये पक्का था कि मंजरी ने ही चुराये हैं . उसने बताया कि उसकी जम कर पिटाई हुई , पापा ने बेल्ट से पूरी पीठ उधेड़ कर रख दी तो अम्मा ने लात घूँसे से व थप्पड़ों से कुटाई कर डाली . उसके बैग , अलमारी , बिस्तर सब कुछ खंगाल डाले गये ...

सच बता , अपने आशिक को दे आई ...

पापा बोले , इतने रुपये लेकर घर से भागने की तारी तो नहीं कर रही है ...

मार पीट तो रोज की बात हो चुकी थी , इसलिये वह भी ढीठ बनती जा रही थी ... मार डालो , एक दिन किस् ही खतम हो जाये , लेकिन घर का काम करने के लिये नौकरानी चाहिये ...बतौर सज दिनों के लिये खाना बंद और स्कूल भी जाना बंद कर दिया गया .

रोहन को वह दिखाई नहीं पड़ रही थी , इसलिये वह बेचैन था लेकिन उससे मिलने का कोई रास्ता भी नहीं था . जब 3-4 दिनों के बाद वह दिखाई दी तो उसके चेहरे का रंग काला सा पड़ा हुआ था , शरीर एकदम दरबल सा दिखाई पड़ रहा था . जब रोहन को उसने बताया कि 3 दिन से उसने अन्न का दाना भी नहीं खाया है तो सुनते ही रोहन की आँखों में आँसू आ गये ... उसने पहले जूस पिलाया फिर डोसा खिलाया था .

रोहन , अब मुझसे यह सब बर्दाश्त नहीं होता .

मंजरी , मैं अपनी माँ से बात करूँगा ...

छुटभैय्ये गुंडे टाइप नेता , जो रोज शाम को आते थे लेकिन वह उन लोगों ते सामने नहीं जाया करती थी . हँसी ठट्ठा ,और पीना पिलाना चलता ... अम्मा सज धज कर बैठ जाया करतीं और देर रात तक बैठकें चलतीं . मंजरी अंदर लेटे लेटे कई बार सो जाया करती तो कभी कदार उन लोगों के भद्दे भद्दे हँसी मजाक व गाली गलौज सुनती रहती .

कुछ दिनों से वह मिली नहीं थी , लेकिन अब वह नये नये कपड़ों में दिखाई देने लगी थी . घर के कामों के लिये कामवाली आने लगी थी . . वही झाड़ू वगैरह किया करती . अब वह घर से बहुत कम निकला करती थी .

एक दिन रात में चुपके से एक पत्र रोहन को देकर जल्दी से वह अपने घर में भाग गई थी .

प्रिय रोहन ,

जैसे बकरे को बलि देने के पहले नहला धुला कर माला पहनाई जाती है , वैसे ही आज कल मुझे बढिया खाना खिलाया जाता है , मेवा मिठाई खाने को दी जाती है और कोई ताकत के कैप्सूल खाने को दिये जा रहे हैं , जिससे मेरा शरीर भर जाये .

मैं कैप्सूल तो नाली में फेंक देती हूँ . आजकल मारपीट और अत्याचार बिल्कुल बंद कर दिये गये हैं . मेरी शादी का ड्रामा रच कर मुझे बलविंदर , जो 50 साल का है , उसके हाथ बेचा जा रहा है .

एक दिन वह आया था तो अम्मा ने मुझे बैठक में बुलाया था , वह तो मुझे देखते ही बेकाबू हो गया था ...मुझे अपने बगल में बैठा लिया , उसकी वासना से पूर्ण लाल डोरे वाली आँखें मेरे जिस्म के आर पार देख रहीं थीं . उसके हाथ में शराब का जाम था ... उसने पहले मेरे गालों पर हाथ फेरा , फिर मेरे हाथों को कस कर पकड़ लिया था .

मैं गुस्से में वहाँ से उठ कर अंदर भाग आई थी . अम्मा उसके साथ खुसुर फुसुर बात कर रहीं थीं -, शायद मेरा सौदा तय कर लिया है . इसीलिये मुझे घर में बंद करके रखा हुआ है .

रोहन यदि तुम कुछ नहीं करोगे तो मैं फाँसी पर लटक जाऊँगीं और अपनी जान दे दूँगीं पर उस बलविंदर को अपना शरीर महीं छूने दूँगीं . जो कुछ करना है , जल्दी करना ...नहीं तो हाथ मलते रह जाओगे .

रोहन ने पत्र अपनी माँ सुजाता जी को दे दिया . उन्होंने अपनी नौकरानी से उनके घर आने वाली दाई से पता लगाने को कहा था . 3 दिनों में यह साफ हो गया कि गुपचुप तरीके से उसके फेरे डालने की बातें घर में हो रहीं हैं .

सुजाता जी को मालूम था कि मंजरी बालिग हो चुकी है ...उन्होंने अपने बेटे रोहन को चुपचाप मंजरी को लेकर दिल्ली भाग जाने की सलाह दी .

दूसरा कोई रास्ता ना दिखाई पड़ने पर मंजरी को लेकर कभी बस तो कभी ट्रेन में छिपते छिपाते दोनों दिल्ली पहुँच गये . वहाँ सुजाता की पुरानी सहेली ने दोनों की शादी करवा दी . दोनों ही अपना ठिकाना बदल बदल कर अपना समय बिता रहे थे .

मंजरी होशियार थी , वह अपना हई स्कूल का सर्टिफिकेट लेकर घर से निकली थी . सुजाता जी जानतीं थीं कि वह बहुत बड़ी मुसीबत में फँसने वाली हैं लेकिन एक तरफ उनके बेटे का प्यार था तो दूसरी ओर इस नाजुक सी लड़की के जीवन को बचाने का दायित्व ... वह प्ययारी सी मंजरी के लिये सारे खतरों से लड़ने के लिये तैयार थीं .

मंजरी को घर में न पाकर माधुरी के पैरों के नीचे से मानों धरती ही खिसक गई थी . मंजरी के एवज में उन्हें पार्टी की ओर से चुनाव लड़ने के लिये टिकट और एक बड़ी धनराशि मिलने वाली थी .

अब तो उन्होंने हंगामा करना शुरू कर दिया . उन्होंने रोहन के नाम पर नामजद रिपोर्ट पुलिस में लिखा दी . उन्होने लिखवाया कि वह उनकी लड़की को बहला फुसला कर भगा ले गया है और मंजरी घर से 5 लाख रुपये लेकर भागी है . वह और उसके माँ बाप ने मिल कर उनकी नाबालिग बेटी को गायब कर दिया है .

उन दोनों पर पुलिसिया अत्याचार शुरू कर दिये गये . पहले पूछताछ शुरू हुई , जब उससे कोई नतीजा नहीं निकला तो दोनों की पुलिस ने पिटाई कर के जेल में बंद कर दिया , क्योंकि दबंग नेता का पुलिस पर दबाव जो था . इधर मंजरी और रोहन यहाँ वहाँ भागते हुये परेशान थे तभी उन्हें माता पिता के घर की कुर्की और उनकी पिटाई की खबर मालूम हुई तो रोहन और मंजरी दोनों टूट गये और पुलिस के सीमने जाकर आत्मसमर्पण कर दिया .

माँ बाप को पुलिस ने छोड़ दिया . बेटे की जमानत हो गई लेकिन बेटी ने माँ बाप के पास जाने से इंकार कर दिया तो पुलिस ने उसे नारी निकेतन में भेज दिया .

नारी निकेतन की हालत देख कर वह सिसक पड़ी थी . वहाँ छोटी बड़ी सभी उम्र की लड़कियाँ और महिलायें थीं . कुछ तो ठीक दिखाई पड़ रहीं थीं , कुछ की दशा बहुत दयनीय दिखाई पड़ रही थी . वार्डन की शक्ल के रूप में उसे दूसरी अम्मा मिल गई थी जो बहुत कड़क और कर्कश आवाज में भद्दी भद्दी गालियाँ दिया करती थीं .

सीलन से भरी हुई कोठरी में , जगह जगह से प्लास्टर उखड़ा हुआ , जहाँ बरसों से सफेदी नहीं हुई थी . जमीन पर गंदी फटी चादर बिछा कर सोना पड़ता था . कुछ महिलाओं ने उसको देखते ही अश्लील इशारे करना शुरू कर दिया था . खाने में चावल के साथ कीड़े और दाल कम पानी ज्यादा होता लेकिन आखिर पेट का सवाल था वह कब तक वह भूखी रहती ... अपने हाथों से कीड़े हटा कर चावल खा लेती . फिर तो वह खुद ही दाल चावल साफ करवाने की कोशिश करती थी . कभी कभी सब्जी के नाम पर कुछ मिल जाता तो कभी अचार मिल जाया करता .

लेकिन सुजाता ने उस नाजुक सी लड़की को उसके हाल पर नहीं छोड़ा था . वे बस की लंबी यात्रा करके उससे मिलने हर हफ्ते आ जातीं . वे अपने साथ खाना , नाश्ता लेकर आतीं , उसे अपने हाथों से प्यार से खिलातीं . उसके लिये धुले हुये कपड़े और जरूरत की दूसरी चीजें लेकर आतीं .

उनका प्यार दुलार मंजरी के लिये ऑक्सीजन का काम करता . उसको यहाँ से जल्दी छूटने का आश्वासन दिया करतीं . उनसे मिलने के बाद उसके मन में फिर से जीने का उत्साह जाग उठता था . वे जो कुछ भी खाने का सामान देकर जातीं वह सबके बीच बाँट देतीं जो रोटी खाने के लिये मिला करती उसे ही बचा कर रख लेती और सुबह पानी में भिगो कर खा लेती , यही उसका सुबह का नाश्ता होता .

नारी निकेतन का उद्देश्य महिलाओं को व्यवसायिक प्रशिक्षण देकर उनके पुनर्वास की व्यवस्था करना होता है . सिलाई , कढाई , और दूसरे गृहउद्योगों का प्रशिक्षण देने की व्यवस्था कागजों में होती है . . नियम कायदे केवल कागजों में बनाये जाते हैं , लेकिन उनका अनुपालन कितना होता है , इस बात से कोई अनजान नहीं है..

वहाँ पर एक थीं गीता दीदी , जो उसे बेटी की तरह प्यार करतीं थीं . वे बड़ी उम्र की थीं , उन्होंने अपने जेठ के सिर पर डंडा मार दिया था क्योंकि वह उनकी बेटी के साथ बलात्कार करना चाहता था . जेठ की मौत हो गई थी इसलिये उन पर हत्या का मुकदमा चल रहा था .

एक दिन वे मंजरी से बोलीं , देख मंजरी , सिलाई अच्छी तरह से सीख लो , हो सकता है , इसी हुनर से तुम अपने पैरों पर खड़ी होकर जीवन में आगे बढ सको .

दीदी , सिलाई सीखने के बहाने सबके कपड़े सिलवाती रहती हैं , दिन भर मशीन चलाते चलाते पैरों में दर्द हो जाता है तब जाकर 2 वक्त का खाना मिलता है .

क्यों दीदी , बबिता को मैडम ब्यूटीपॉर्लर भी भेजती हैं . मैं तो इतनी सुंदर हूँ , फिर भी वह मुझे बाहर नहीं भेजती . काश मुझे बबिता की तरह की जिंदगी मिल जाये , सज धज कर रहना , रोज के रोज बाहर घूमने जाना , अच्छे कपड़े पहनना , ब्यूटी पॉर्लर में बाल कट करवाना , नेल पॉलिश लगाना ...

मंजरी चुप हो जाओ , तुम्हें बबिता का दर्द पता नहीँ है . उसे रोज नई जगह भेजा जाता है . कभी दी के ऑफिस तो कभी कोई होटल ... हर दिन , हर घड़ी उसे थाल में सजी हुई मिठाई की तरह भूखे लोगों के सामने परोस दिया जाता है . वह जल्लाद भला क्यों रहम करें . वह चाहे उनकी बेटी की ही उम्र की हो तो य़े भूखे लोग उसके जिस्म के हर हिस्से को नोचते खसोटते .. हवस की भूख ऐसी रहती है कि आँसू और चीख चीत्कार उसकी आग की लौ पर घी डालने की तरह उनके वहशीपन को बढाती जाती है . यह सब बताते हुये उनका चेहरा आँसुओं से भीग उठा था . वह भी सिसकियाँ भर रही थी . वह सहम उठी थी .

एक दिन नारी निकेतन में जोऱ शोर से सफाई का कार्यक्रम चल रहा था . एक दो कमरों में रंग रोगन भी करवाया गया था . उस दिन खाना भी अच्छा मिला था , पता लगा था कि आज यहाँ इंस्पेक्शन करने बड़े अधिकारी आ रहे हैं . कभी मैनेजर तो कभी अधिकारी तो कभी कभी नेता जी भी आया करते .

गीता दीदी ने बताया था कि यहाँ से लड़कियोँ को रात में कहीं भेजा जाता हैं . फिर कई बार उसने गौर भी किया कि लड़कियों के गले परल, गालों पर काले काले निशान होते थे . वह छोटी थी , इसलिये कल्पमालभी नहीं कर सकती थी कि ऐसा भी कुछ हो सकता है . उसके लिये ये बातें अविश्वसनीय और अकल्पनीय थीं .

एक दिन किसी अधिकारी ने बाहर ऑफिस में बुला कर उससे पूछताछ की थी . वह तो सोच बैठी थी कि अब उसके मुकदमे की जल्द सुनवाई होने वाली है . लेकिन गीता दीदी ने बताया था कि तुम्हारी सुंदरता पर किसी की नजर फिसली थी वह तुम्हारी अस्मत के साथ खेलना चाहता था लेकिन वार्डन मैडम ने मना कर दिया था कि इसके ऊपर किसी नेता की नजर है , इसलिये नहीं भेज सकती ...

अब वह डरी सहमी हुई सी रहा करती . सुजाता माँ जी को भी आये हुये 15 दिन से ज्यादा हो चुके थे . वह अपने जीवन से निराश होकर अपने जीवन का अंत करने के विषय में सोचा करती .

एक दिन सुजाता माँ जी आईं तो उनका चेहरा उतरा हुआ था . चिंता और परेशानी के भाव के कारण वह गुमसुम थीं . उसके बहुत कुरेदने पर वह उससे लिपट कर रो पड़ीं थी , बेटी मैं हार गई . तुम्हारे पापा तुम्हारा नकली बर्थ सर्टिफिकेट बनवा कर तुम्हें नाबालिग सिद्ध करने की कोशिश में लगे हुये हैं . मुझे पता लगा है कि वह तुम्हारे ननिहाल गये हुये हैं , वहाँ तुम्हारे मामा लोगों को झूठी सच्ची कहानी सुना कर उनकी सहानुभूति ले रहे हैं .

जब दोनों काफी देर तक रो चुकीं तो मंजरी आवेश में बोली , माँ जी , यह समय रोकर हार मानने के लिये नहीं है .. आप किसी को मेरी नानी के पास भेज दीजिये . मैं पत्र लिख कर दूँगी . मेरे पत्र से उन्हें सच्चाई का पता लगेगा .

बेटी, पुलिस हम लोगों की निगरानी कर रही है और तुम्हारी मम्मी के उस गुंडे के हाथ पुलिस बिकी हुई है . इसलिये बहुत गुपचुप तरीके से किसी के द्वारा तुम्हारा असली बर्थ सर्टिफिकेट मंगवाना पड़ेगा ,सजिसे कोर्ट में पेश करने के बाद तुम्हें बाहर निकालना संभव हो जायेगा .

मंजरी के चाचा भी अपने भाई भाभी के विरोध में गवाही दे चुके थे . सुजाता के भाई , जो दिल्ली में रहते थे , वह और मंजरी के चाचा घनश्याम दोनों उसके ननिहाल गये और वहाँ पर उसका सारा सच बताया . तब उन लोगों की आँखों से झूठ का आवरण हटा और उन लोगों ने झटपट उसका असली बर्थ सर्टिफिकेट नगरपालिका से निकलवा कर दे दिया .

कोर्ट की कार्रवाई तो मंथर गति से चल रही थी परंतु सुजाता जी के अथक प्रयासों के कारण फर्जी दस्तावेजों की पोल खुल गई थी . राधेश्याम जी की गवाही और सहयोग को भी कोर्ट ने स्वीकार किया . दो वर्षों की नारकीय पीड़ा और सहने के बाद उसे वहाँ से मुक्ति और आजादी मिली थी . वह मां सुजाता और रोहन की ऋणी थी . उन लोगों के गले लग कर वह घंटों तक रोती सिसकती रही थी परंतु यह तो खुशी के आँसू थे .

बाहर आने के बाद उसे मालूम हुआ कि माँ जी का परिवार आर्थिक रूप से बर्बाद हो चुका है . दुकान बंद हो चुकी है . सब कुछ जेल , कोर्ट कचहरी और वकील के साथ साथ पुलिस की जेब गर्म करने उनकी भेंट चढ चुके हैं . खेत गिरवी पर रखे हुये हैं . यहाँ तक कि खाने के लाले पड़ गये थे लेकिन धन्य थीं सुजाता माँ जी , जिन्होंने हार नहीं मानी और अपने बेटे के प्यार के लिये उस नाजुक सी लड़की को नर्क से निकाल कर ले ही आईं .

रोहन और मंजरी का स्वागत् करने के लिये सुजाता जी पहले घर पहुँच चुकीं थीं . आस पास की महिलायें ढोलक की थाप पर गीत गा रहीं थीं .

साधारण सी लाल गोटा लगी हुई साड़ी , हाथों में काँच की लाल चूड़ियाँ , माथे पर बिंदिया.. सौंदर्य की लालिमा से मंजरी का चेहरा दमक रहा था .

21 वर्ष की छोटी सी उम्र में उस नाजुक सी लड़की ने अपने छोटे से जीवन काल में क्या क्या नहींसदेख लिया था , लेकिन वह टूटी नहीं और उसके सच्चे प्यार की जीत हुई . सुजाता जी की दोनों बाहें फैली हुईं थीं और उनके बीच उनके जिगर के टुकड़े इतने करीब थे , वह यह विश्वास नहीं कर पा रहीं थीं .

आखिर में वह पल आ ही गया जब वह नाजुक सी लड़की अपने पिया की बाहों में खो गई थी .

कुछ ही सालों में मंजरी ने जो हुनर नारी निकेतन में सीखा था , उसके सहारे कपड़ों का काम शुरू कर दिया . सुजाता जी और सुरेश तो अनुभवी थे ही , रोहन ने भी रात दिन मेहनत की और जिंदगी को पटरी पर ला दिया. जिंदगी की बगिया एक बार फिर से खिल उठी थी .

 



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Romance