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Padma Agrawal

Tragedy

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Padma Agrawal

Tragedy

मुखौटा

मुखौटा

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मिसेज शर्मा , आज बेटी के जीवन के लिये इतना खास दिन था , उसको आज गोल्ड मेडेल मिलने वाला था , तब भी आप अकेली ही आई हैं . मैंने मि. शर्मा को खास तौर से उन्हें फोन करके आज आने केलिये इनवाइट भी किया था .

पल भर के लिये वह रुआँसी हो उठी थी लेकिन झट उसका मुखौटा उसके चेहरे पर चिपक गया था ...

 वह मीठे स्वर बोली ,” मैम , वह तो यहीं पर आ रहे थे कि अचानक , बॉस का फोन आ गया ... किसी अर्जेट मीटिंग के लिये बुलाया था .”

आप तो अच्छी तरह से जानती ही हैं कि काम करने वाले आदमी को तो एक पल के लिये भी साँस लेने के लिये भी फुर्सत नहीं मिल पाती .

कैसे कैसे पैरेंट्स होते हैं ...आज बेटी को गोल्ड मेडेल मिला तो भी नहीं आये .

कावेरी ने तेजी से मुड़ कर अपनी आँखों के आँसू छिपा लिये थे .

उसके कान में मैडम के शब्द रह – रह कर गूँजते रहे थे .

शहर में माँ का घर था परंतु मजाल है कि वह बिना परमिशन के माँ से मिलने भी चली जाये .

वह अपने में खोई हुई थी . आखिर वह कब तक मुखौटा लगा कर अपनी असलियत को ढकती रहेगी .

दो – तीन दिन पहले ही तो वह बाजार से थैला हाथ में लेकर लौट रही थी तभी मुग्धा भाभी और उनकी फ्रेंड स्मिता उसे मिल गई थीं . स्मिता पूछने लगी ,”क्यों जीजू तेरे साथ शॉपिंग पर नहीं जाया करते .”

मुखौटा तेजी से चिपक कर बोला ,” स्मिता मैं ही उनके साथ नहीं जाती ,मंहगी मंहगी ड्रेस जबर्दस्ती खरीद देते हैं . फिजूलखर्ची तो उनसे सीखो . “वह मन ही मन रो रही थी , आखिर ये मुखौटा उसे कब तक बचाता रहेगा .

उसने निया को खाना दिया और प्यार भरी नजरों से उसे खाते देखती रही थी .

कावेरी को रह रह कर को अम्मा की हुड़क लग रही थी . अम्मा भी ऐसे ही प्यार से उसे खिलाया करती थीं .

उसने मोबाइल उठाया ही था कि वह बज उठा .. अम्मा का नाम देखते ही उसका मन खुश हो गया .

‘ कावेरी कैसी है तू ?.... आज तेरे भतीजे का जन्म दिन है ... तूने विश भी नहीं किया ... वह सुबह से तेरे फोन का इंतजार कर रहा है . “

“ओह गॉड , मैं कैसे भूल गई ... सुबह तो याद था .. बस किचेन में लग गई फिर एकदम ध्यान से उतर गया “

“कहाँ है? बर्थ डे ब्वॉय “

“तुमसे नाराज है ..शाम को छोटी सी पार्टी है , सब लोग आना .. जयेश जी हों तो बात करा दे ... “

जयेश ने इशारे से बात करने के लिये मना कर दिया .

मुखौटा हाजिर होकर हो गया ...” वह अभी ऑफिस में बिजी हैं . आजकल ऑडिट चल रहा है . “

वैसे वह झूठ नहीं बोलती लेकिन इस समय झूठ बोलना ही बचाव के लिये ठीक था .

“मैं और निया आ जाऊँगीं . “

मेरा खाना बना कर रख जाना . मैं उस कबूतरखाने में नहीं जाऊँगा .

मैं अकेली गई , निया तो अपनी फ्रेंड्स के साथ जाना था .

पार्टी खत्म होते होते रात के 11 बज गये तो अम्मा ने जबर्दस्ती करके रोक लिया था .

नवल भी बुआ बुआ रुक जाओ.... बार – बार मनुहार कर रहा था . वह रुक तो गई थी लेकिन पति की नाराजगी सोच कर उसकी आँखों से नींद कोसों दूर भाग गई थी .

इसके बेड पर अम्मा लेटी हुईं थीं . वह सो जाने का अभिनय कर रही थी परंतु अम्मा की अनुभवी नजरों से वह नहीं बच पाई थी .

“कावेरी नींद नहीं आ रही है क्या ? करवटें बदल रही हो ?. उसका दिल तो कर रहा था कि माँ के कलेजे से लग कर फूट फूट कर रो पड़े लेकिन मुखौटा तुरंत आकर चेहरे पर चिपक गया

“अम्मा तुम्हारे दामाद रात में कभी पिक्चर देखने बैठ जाते हैं तो कभी लांग ड्राइव पर लेकर चल देते हैं इन्हीं सब वजहों से देर सबेर सोना और जागना होने लगा है . “

अम्मा के चेहरे पर खुशी और संतुष्टि का भाव छा गया और वह गहरी नींद में सो गईं थीं .

कावेरी पूरी रात यूँ ही करवटें बदलती रही और अपने मुखौटे को दूर से लेटी हुई गहरी नजरों से देख रही थी .



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