Nandita Srivastava

Abstract

3.5  

Nandita Srivastava

Abstract

वह सुनहरे पल

वह सुनहरे पल

1 min
2.7K


आज इस लाक डाउन के समय में कुछ खूबसूरत दिनों को याद करते हैं , वह जब हम लोग अपने दोस्तों के साथ शाम को बैठकर काँफी का मग पकड.कर घटो बतियाता थे, या फिर चाट की दुकान में बैठकर शांति से भरपेट चाट खाते थे, या फिर दोसा खाकर घर जाकर पेट भरे होने का बहाना करते थे, वह भी क्या दिन थे वाकई में आवारगी का अपना ही मजा होता है.हम तो दफ्तर जैसे कोई आया बस निकल जाते थे चाय पीने या समोसे खाने.यही नही कोई भी मुशायरा हो और हम छोड. दें ऐसा मुमकिन ही नहीं था ,कभी सीनेमा भी देख लेते थे सच पूछो तो इस वायरस ने तो सारी चीजों पर माटी डाल दिया है. पता नही जिंदगी कब फिर से शुरू होगी .किसी चीज में मन ही नहीं लगता बस इसी आशा से की सब कुछ ठीक हो जायेगा .बस यही बचा ही कब ठीक होगा मालूम नहीं. चलिये आज बस यही तक स्वस्थ रहे सुरछित रहे, आपकी नंदिता एंकाकी.


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract