बुझा आज चिराग
बुझा आज चिराग


आज एक करोना सक्रमित मौत ने फिर कुछ कहने सुनने को मजबूर कर दिया,
आज जो हमारे बीच से चले गये वह समाज सेवा कर रहे थे जब लगा कि कुछ टीक नही है तो वह खुद ही फोन करके टेस्ट कराने के लिये करोनटाइन हो गये तुंरत-फुंरत परिवार को भी करोनटाइन कर दिया।
वह तो चले गये पर परिवार में दो लोग सक्रिमित है, कुल मिलाकर बहुत ही दुखद सथिति है कुछ सवाल दिमाग में घुमड. रहे है क्या दूसरो के लिये सोचना गुनाह है ?
या सेवाभाव रखना पाप है ? यह हम इस लिये कह रहे है क्यों कि जैसे ही इंजीनियर साहब की करोना होने की खबर फैली तो बस लोगो का बकवास शुरू हो गया आज जो इस मौत के महौल में लोगो की मदत कर रहे हैं।
वह ना देखकर बकवास करना जरूरी हो जाता है चलिये जिसकी जो सोच है वह वही सोचेगा हम इंजीनियर साहब को विनम्र श्रद्धांजलि देते।