जहाँ वहाँ राह
जहाँ वहाँ राह
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कहते है ना कि जो सोच ले आदमी वही कर गुजरता है, वही सोच वही बात लेकर बात करते है, एक छोटी सी बेटी थी वह हर समय कुछ ना कुछ करती रहती थी, कभी पढ़ना कभी खेलना कभी कुछ गुनगुना। माँ चौका बासन करके बेटी को पाल रही थी। इस तरह की आम घटनायें आस पास देखते रहते होगें, पर कभी किसी को बीच में राह बदलते हारते देखा होगा, पर वह मेरी बेटी सरीखी रानी है वह ना रूकी ना हारी जी हाँ वह मेरी बेटी ही जो तमाम तकलीफों से घिरी हुई है, पर उसने हौसला नही छोड़ा आजकल एक लिपिक के पद पक बैंक में काम कर रही और सिविल तैयारी कर रही है। जी हाँ आज हमको खुशी है उसकी सफलता पर बहुत बहुत बधाई देती हूँ उन तमाम बेटियों को जो साहस से हर चुनौतियों का सामना करती है।
चलिये आज बस यही तक आप लोग स्वस्थ रहिये सुरछित रहिये।