समाजिकता,गजल,कविता,सूफी गाना,कहनी
Share with friendsआज इस लाक डाउन के समय में कुछ खूबसूरत दिनों को याद करते हैं
Submitted on 14 May, 2020 at 11:15 AM
बारिश की बूंदों को अपने चेहरे पर छूना चाहती बस मैं जीना चाहती हूँ।
Submitted on 30 Apr, 2020 at 09:25 AM
बस कंधे से भी छोटे बाल ऊपर से गरदन में टैटू झोला टांग कर चल दी
Submitted on 25 Apr, 2020 at 16:43 PM
काला गोरा अमीर गरीब सब को भूख लगती है,पर चेहरा देखकर अनाज बाँट रहे हैं ।
Submitted on 18 Apr, 2020 at 18:40 PM
जाये तो जाये कहाँ, यह पड़ा लिखा समाज है क्यों नहीं रूक रहा
Submitted on 17 Apr, 2020 at 10:36 AM
इस समय सकारात्म रहने की जरूरत है ना कि दूसरो की आलोचना करने की।
Submitted on 09 Apr, 2020 at 00:59 AM
बस शिव से मनाये यह संकट कट जाये हमारे राष्ट्र से ही नहीं पुरी दुनिया से .
Submitted on 07 Apr, 2020 at 11:19 AM
हम अकेले तो सब कुछ नहीं कर सकते तो मदद की गुहार लगाते है।
Submitted on 02 Apr, 2020 at 17:21 PM
अफवाहों को नंजरअंदाज करना होगा आप लोगो को हौसला तो रखना ही होगा।
Submitted on 31 Mar, 2020 at 15:58 PM
तुम सब गम मत करना हमको पता है ताजिदगी तुम लोगो के दिलों में राज करूँगा।
Submitted on 30 Mar, 2020 at 16:58 PM
आज यह कैसा लग रहा है,अजीब सी खमोशी, हर तरफ मौत सा सन्नाटा किस लिये ?
Submitted on 28 Mar, 2020 at 03:27 AM
चलिये हम सब इन लोगो के ढेर सारी दुआयें यह तो हम लोग कर ही सकते हैं।
Submitted on 26 Mar, 2020 at 16:27 PM
रसूलन एक निम्न स्तर की तन बेचने वाली औरत है ।बदबूदार सीलन वाले कमरो में रहकर धंधा करती
Submitted on 25 Mar, 2020 at 17:47 PM
अजब गजब लोग हैं , वाह रे विधाता ऐसे लेगो को देख कर दुख भी होता है और हंसी भी आती कि और
Submitted on 02 Mar, 2020 at 11:26 AM
तूफान का डटकर मुकाबला करती है हाँ वह सबके जीती है। यही है 21वीं सदीं की नारी।
Submitted on 23 Feb, 2020 at 07:20 AM
ल फिर मिलेगें का वादा कितने सुंदर दिन थे फिर योगा करना फिर आँफिस जाना
Submitted on 19 Feb, 2020 at 09:59 AM
तपन तो एकदम से मर मिटा और बोला, तुम एक दिन मेरी ही बनोगी और फातिमा धीरे से बुदबुदा उठी कि मैं हमेशा ही तेरी ही हूॅं और र...
Submitted on 02 Feb, 2020 at 03:56 AM
आप लोग भी खुश हो जाये आप सब के जीवन में सदैव बंसत रहे।
Submitted on 01 Feb, 2020 at 10:19 AM
उसने थोड़े अल्फाज़ में बहुत कुछ कह दिया। जो मैं कह ना सका उसने कह डाला। यह है भारत की ना
Submitted on 20 Jan, 2020 at 11:12 AM
हम तो यही कामना करते है कि वह एक दूसरे को पा जाये बिछड़े ना कभी।
Submitted on 11 Jan, 2020 at 17:02 PM
रीतु हौसले वाली औरत है, और साहस से सामना करेगी यही आशा करते हैं।
Submitted on 10 Jan, 2020 at 10:21 AM
अंकल पारसी समुदाय के थे और उनकी शादी नहीं हुई थी
Submitted on 08 Jan, 2020 at 10:00 AM
पता नहीं कुछ बढ़िया लोगों के साथ खुदा ऐसे कैसे कर पाता है।
Submitted on 07 Jan, 2020 at 14:25 PM
मेहनत कश मनजीतकौर हम सलाम करते है ऐसी भारतीय महिला को।
Submitted on 06 Jan, 2020 at 05:24 AM
अंत में जो समय बीता बहुत ही सुंदर है बस उसी को याद रखना चाहते है। बाद
Submitted on 30 Dec, 2019 at 10:07 AM
यही शिव से अरदास है पर आपकी जगह कोई नहीं ले सकता। वह खाली की खाली है।
Submitted on 27 Dec, 2019 at 11:39 AM
बहुत बढ़िया कैरियर पति के कहने पर छोड़ा पर वही शायद जीवन की सबसे बड़ी गलती थी।
Submitted on 23 Dec, 2019 at 19:43 PM
माँ बहुत उदास है ,माँ गुमसुम है। माँ का बेटा फौज में है।सीमा पर तैनात हाड़ कँपकपाती ठंडी
Submitted on 19 Dec, 2019 at 13:10 PM
हमको आज भी वह दिन याद है, जब माँ सूखे चावल खा रही थी और वह भी नमक से भी भाई पर कोई असर नहीं!
Submitted on 18 Dec, 2019 at 12:34 PM
हमने अपनी माँ से बहुत सीखा वैसे तो सभी सीखते हैं पर हमारी माँ पढ़ी लिखी विदुषी महिला थी
Submitted on 04 Dec, 2019 at 10:41 AM
सोचा कि अपनी चाहत के बारे में कुछ बताऊँ,आज बहुत याद आ रही है मेरी चाहत
Submitted on 27 Nov, 2019 at 08:36 AM
उसके बाद जिसको चाहा जिसके साथ जीवन बिताने के सपने देखे उसने भी मारा,
Submitted on 24 Nov, 2019 at 23:32 PM
अपनी जिंदगी अपने मन से जिने वाली महिलाओं बहुताें काे पसंद नहीं हाेती... लेकिन ऐसी बेबाक महिलाएं किसी काे अच्छा नहीं लगता...
Submitted on 23 Nov, 2019 at 00:27 AM
माँ थोड़ा छटपटाई फिर शांत हमेशा के लिये। जीवन मरण से परे यह है कलयुगी बेटा।
Submitted on 17 Nov, 2019 at 16:18 PM
मैं तो शिव से कहूंगी कि दादी को उठा ले मान अपमान के बंधनो से आजाद करा दें।
Submitted on 10 Nov, 2019 at 18:05 PM
कैसे जीयेगी जीना तो पड़ेगा और मानसी सारे अधूरे काम करने कहे।
Submitted on 09 Nov, 2019 at 07:54 AM
कैसा परिवार कहाँ का परिवार कोई मायने ही नहीं रह गये अब इन बातों के।
Submitted on 06 Nov, 2019 at 12:01 PM
शायद सीमा से ही कोई चूक हो गयी होगी किसको दोष दूँ किसको ना।
Submitted on 05 Nov, 2019 at 04:11 AM
यह आशा करना कि वह धर में बैठकर उसका इंतजार करे यही से मामला गड़बड़ा गया।
Submitted on 03 Nov, 2019 at 13:05 PM
घर में भी सब निकाह हो चुका था बस आसिफ का ही नहीं हुआ था काहे कि लंगड़ा था ना
Submitted on 02 Nov, 2019 at 18:47 PM
इसी उधेड बुन में नमाज पढ़ने बैठ गयी नमाज पढ़ते ही लगा कुछ जैसे राह मिल गयी.
Submitted on 30 Oct, 2019 at 04:31 AM
एक दूसरे के जीवन के झिलमिलाते हुये दीये इसी लिये हमने नाम दिया।
Submitted on 28 Oct, 2019 at 02:06 AM
मेम यह रिवायते भी थम जायेगीं हम लोग भी दादरा ठुमरी सुनने को तरस जायेगें।
Submitted on 24 Oct, 2019 at 00:37 AM
माथा पकड़ कर और मन हुआ कह दे कि आप भी तो उम्रदार हो गये पर नहीं कह पायी।
Submitted on 23 Oct, 2019 at 16:44 PM
आज महेश को देखकर दुख होता हैं पर कैसे सब कुछ बिखर जाता है एक बुरी शुरूआत से।
Submitted on 22 Oct, 2019 at 16:44 PM
चलूँ अगर घर में होगी तो फिर जी भर कर सुनाऊँगा अरे यह तो ऑफिस चली गयी, धत तेरे की।
Submitted on 21 Oct, 2019 at 08:19 AM