नूर बानो
नूर बानो


नूर बानो चार बच्चो की माँ, लगभग चालीस साल की, जिसकी पैदाइश ही हुई गुरबत में पली बडी गुरबत में और शादी भी हुई गुरबत में, मौत भी तय है कि गुरबत में ही होगी।
हमारे पड़ोस के मौलवी साहब के यहाँ शादी होकर आयी जिनको जहालत जहानत का फर्क नही मालूम , जिन औरतो को अपने हक नहीं मालुम उन औरतो को यह कहानी हम समर्पित करते है।
मौलवी साहब दीनो अलम के नाम पर चंदा उगाही करते, या दिन भर आप पास के खाली लोगो के साथ बैठकर आते जाते लोगे को घूरा करते। फिर शाम को शिकायत लेकर उनके घरों में पहुँच जाते, शाम को तय था वहाँ रोटी और बोटी दोनों आयेगी।
पताॊ नही कब्र में जाने के समय में शादी की क्या सूझी।
चलिये शादी भी हो गयी तो चार साल में चार बच्चें भीखुदा के फजल ले आगये शादी करने की वजह बताई कि किसी की बेटी को गुरबत से निकाल दियाअरे कोई जाकर उनसे पुछे किआप किसी और शादी करा देतें एक दिन मौलवी साहब टपक गये और नूर बानो पर जैसे कयामत टूट गया।इदत बीतने के नूर बानो भी दीन की ठेकेदार बन गयी पर सच पूछिये तो जिसको खुद ही ना मालूम हो वह क्या सीखायेगा ? नूर बानो चाहती तो वह बहुत कुछ कर सकती थी पर नहीं किया।