लाल बालों वाली
लाल बालों वाली


वह लाल बालों वाली लड़की,अब दिखायी नहीं देती पता नहीं कहाँ चली गयी। यह अल्फाज़ थे साठ साला रशीद के, रशीद कहने को तो उम्र हो गयी है पर दिल तो अभी भी जवान है। रशीद अकेलेपन का शिकार, बेटा अमरीका में डालर भेज देता है, समय समय पर हर छ महीने में फोन भी कर लेता है, की अबू आप ठीक तो है, या आप का वक्त ठीक से बीत जाता है ना वगैरह वगैरह। पर रशीद को तो इंतजार इसी बात का है कि बेटा ग़लती से भी यह कह देगा कि अबू आप भी आ जाएं। चलिये उसको शायद बुजुर्ग बाप साथ चाहिये ही नहीं। पर बरामदे में बैठकर जब सड़क ताकते हुये पहली बार लाल बालों वाली लड़की को देखा तो देखता ही रह गया। रशीद मियाँ का तलाक बहुत कम उम्र में ही हो गया था तो लाल बालों वाली लड़की को देखकर जैसे जवानी वापस आ गयी, ताज़ा हवा का झोंका थी वह। रोज़ बस इतना की कहती कि मियाँ सलाम और सब ठीक तो है ,धीरे वह बहुत अपनी सी हो गयी शायद अकेलेपन का इलाज थी वह, फिर आती तो थोड़ी देर बैठती कुछ अपनी कहती कुछ उनकी सुनती फिर चली जाती। रशीद मियाँ का दिल करता कि उसको रोक लें पर किस हक से,आजकल बहुत दिन से आ नहीं रही है रशीद मियाँ का फोन भी खराब है,जैसे ही आयेगी तो उसके सामने अपने मुहब्बत का इज़हार कर दूगाँ मैं। गलत हूँ सही हूँ नहीं जानता पर लाल बालों वाली लड़की मेधा से दिल से मुहब्बत है यह सोच कर रशीद मियाँ कुछ गुनगुना उठे।