Anita Sharma

Tragedy Action Inspirational

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Anita Sharma

Tragedy Action Inspirational

वापिस मत आना

वापिस मत आना

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"रिया जल्दी घर आ जाओ आज फिर तुम्हारे घर में वो लोग तोड़ फोड़ कर रहें हैं।,,

"क्या पर ?????.......

जब तक रिया अपनी मकान मालकिन से कुछ पूंछती उन्होंने फोन कट कर दिया था। ये सुनकर रिया की आंखों के सामने अंधेरा सा छाने लगा था। हैरान परेशान सी रिया भागती हुई अपने बॉस के केबिन तक गई और उनसे जल्दी घर जाने की रिक्वेस्ट करने लगी तो बॉस भी थोड़ा अकड़ते हुऐ बोले....

"ये क्या है रिया हर दो चार दिन में आप घर जल्दी जाने की परमीशन लेने आ जाती हैं जिससे आपका काम पेंडिंग हो जाता है और आजकल आपको देख कर ऑफिस में और भी लोग जल्दी जल्दी छुट्टी लेने आने लगे हैं।मैं अपने ऑफिस में इस तरह रोज रोज छुट्टियां नहीं दे सकता अगर ऐसा ही चलता रहा तो मुझे बहुत जल्द किसी और को हायर करना पड़ेगा।अगर आप अपनी नौकरी कंटीन्यू करना चाहतीं हैं तो आपका जो भी मैटर है आज ही सॉटआउट कीजिए वरना कहीं और नौकरी ढूंढ़ लीजिए।,,

"एस सर मैं आज ही सब खत्म करने की कोशिश करूंगी"

कहते हुऐ रिया ने जल्दी से अपनी टेबल से अपनी स्कूटी की चाबी उठाई और अपने घर की तरफ निकल पड़ी ।रिया की स्कूटी आगे की ओर बढ़ रही थी पर उसका मन अपनी गुजरी जिंदगी में पीछे की ओर भाग रहा था....

"रिया जल्दी से तैयार हो जा लड़के वाले आते ही होंगें"

रिया की मां ने किताबों में उलझी रिया से कहा तो रिया ने बड़ी ही शान्ति से कहा था कि....

"मां मैं अभी शादी नहीं करना चाहती बल्कि मैने जो पढ़ाई की है उसको यूज कर मैं कुछ बनना चाहती हूं ।अपनी दम पर ये दुनिया देखना चाहती हूं और आप दोनों को भी अपनी काबिलियत पर फक्र करते देखना चाहती हूं।उसके बाद आप और पापा जहां कहेंगे मैं वहां शादी करने को तैयार हूं पर प्लीज मां अभी नहीं।,,

इससे पहले कि रिया की मां कुछ कहती उसके पापा रमाकांत वहां आ गये थे और उन्होंने बिना किसी लाग लपेट के अपना फरमान सुना दिया था.....

"देखो रिया तुम्हारी पढ़ाई की वजह से मैने इतनी देर से तुम्हारे लिऐ रिश्ता देखा है वरना तुम्हारी दीदी की शादी तो हमने उसके कॉलेज से निकलते ही कर दी थी। इसलिये अब सीधे तरीके से तैयार होकर नीचे आ जाओ । ये नौकरी और घूमने के सपने अपनी ससुराल में जाकर पूरे करना ।जो तुम्हे देखने आ रहा है वो बहुत अच्छा और बहुत अच्छे खानदान से है और रही बात हमारी तुम पर फक्र करने की तो जब हम तुम्हारी शादी करके बिदा करेंगे और तुम पूरे मन से अपनी ससुराल को अपनाकर वहां हमारी परवरिश का नाम ऊंचा करोगी तो हमें वैसे ही तुम पर गर्व होगा उसके लिऐ तुम्हे नौकरी करने की कोई ज़रूरत नहीं है।,,


रिया अपने पापा से कुछ कहती उससे पहले ही वो वहां से जा चुके थे और मां भी पापा के सुनाए फरमान के खिलाफ जाने के मूड में बिल्कुल नहीं थीं ।रिया ने भी अपने मां पापा के सामने घुटने टेक दिए थे और तैयार होकर बाहर बैठे लोगों के सामने अपनी नुमाइश करने को तैयार हो गई थी क्योंकि जिसने ये जीवन दिया उनसे ही अपने जीवन के लिऐ क्या और कैसे लड़ सकती थी वो।

इंजीनियर नमन ने सांवली सलोनी सुंदर सी रिया को देखते ही पसंद कर लिया था और कुछ ही महीनों में सगाई और शादी करके रिया लाखों का दहेज लेकर देवर,ननद, सास,ससुर से भरी पूरी अपनी ससुराल में सामिल हो गई थी पर शायद सिर्फ दुनिया को दिखाने के लिऐ क्योंकि नमन के परिवार ने उसे अपना हिस्सा कभी बनाया ही नहीं था।जहां देवर ननद रिया के आसपास भी ये बोल कर नहीं फटकते थे कि.......

"भाभी आपके साथ रहने से कहीं हमारे ऊपर भी आपकी रंगत छाने लगी तो...?,,

अब रिया उन्हे कैसे समझाती कि उसकी देह का रंग छूटकर थोड़े ना उनको चिमट जायेगा।वहीं सास ससुर को तो सिर्फ दहेज में मिले पैसों और त्योहारो पर भर भरकर मायके से आने वाले सगुन से मतलब था वरना उसके अलावा तो उन्हें किसी के सामने रिया को बहू कहना भी पसंद नहीं था और नमन उसने तो पहली रात में ही रिया को बोल दिया था कि उसे उससे कोई मतलब नहीं है ये शादी उसने सिर्फ अपने मां पापा की खुशी के लिऐ की है।वरना उसकी तो एक और बीबी है जो उससे कई गुना ज्यादा सुन्दर है और वो दोनों एक दूसरे से प्यार करते है।

रिया इससे ज्यादा अपना अपमान नहीं सह सकती थी तो उसने अपने मम्मी पापा को सब बताया और घर वापिस आने की बात कहीं तो जिन पापा ने जबरदस्ती उसके सपने तोड़कर उसकी शादी करवाई थी उन्होंने उसकी तकलीफों से पूरी तरह से पल्ला झाड़ लिया और बोले.......

"रिया हमने तो सब कुछ अच्छा देखकर इतना दान दहेज देकर तुम्हे विदा किया था अब तुम्हारी ही किस्मत खराब है तो हम क्या कर सकते हैं? अब तुम्हे तुम्हारी किस्मत से जो जैसा मिला है उसी में निभाना सीखो क्योंकि अब वही तुम्हारा घर है और वहां के लोग तुम्हारे अपने । तुम उन लोगो को समझो और उन्ही के अनुसार उस घर में ढलने की कोशिश करो एक न एक दिन सब ठीक हो जायेगा।और अगर नही भी हुआ तो ससुराल के चार कोनों में से किसी एक कोने में रो- रोकर अपनी जान दे देना पर भूल से भी कभी यहां वापिस आने का मत सोचना क्योंकि तुम्हें घर वापिस बुलाकर में समाज और बिरादरी में अपनी नाक नहीं कटवा सकता।,,

ये सुनकर रिया सन्न रहगई थी जिन मां बाप ने उसे जन्म दिया जो पहले उसकी आंखें कभी नम भी नहीं होने देते थे आज उन्होंने समाज और अपनी झूठी इज्जत के कारण उसकी उन तकलीफों से जो उन्ही लोगों की दी हुईं थीं मुंह मोड़ उसे मरने के लिऐ छोड़ दिया था। उस दिन जो वो अपने मायके से विदा हो ससुराल आई तो उसने पलटकर उस तरफ देखा भी नहीं।पर ससुराल में दिन पर दिन हो रहे अत्याचार और पति के तिरस्कार ने उसकी सहन शक्ति खत्म कर दी थी आखिर वो वहां सब कुछ सहती भी तो क्यों वहां कौन उसका अपना था ।ससुराल के पूरे परिवार ने उसे नौकरानी बना दिया था और पति ने कभी उससे कोई नाता जोड़ा ही नहीं था।समाज को दिखाने के लिऐ उन झूंठे फेरों को सच मानकर वो क्यों अपनी जिंदगी तिल तिल स्वाहा करती ।

सो बस एक दिन उसने बिना किसी से बताये बिना किसी से कुछ शिकायत किए अपने टूटे हुऐ आत्मस्मान की किरचें उठा वो जेल जैसा घर छोड़ दिया और दूसरे शहर आकर अपनी काबिलियत से एक नौकरी और एक छोटा सा घर किराए पर लेकर अपने टूटे आत्मसम्मान को एक बार फिर से जोड़ने की कोशिश करते हुऐ वो रहने लगी।

पर कहते हैं न कि एक आत्मसम्मान से भरी अपने दम से जी रही स्त्री पुरुषों को तो छोड़ो स्त्रियों को भी रास नहीं आती क्योंकि उन्हें लगता है कि कहीं ये आत्मसम्मान से भरी स्त्री उनके इस झूठ "कि उनके सर पर छत और वो प्यार भरी दुनिया उनकी खुदकी है" की नींव न हिला दें।कहीं वो स्त्री उन इज्जतदार स्त्रियों की परतें निकाल उनके आत्मसम्मान और मान मर्यादा का सड़ा हुआ बदबूदार वो रूप ना दिखा दे जिसे वो रोज अपने चेहरे पर बड़ी सी मुस्कराहट के नीचे सदियों से दबाती चलीं आ रहीं है।इसलिए पुरुष और झूठी इज्जतदार स्त्रियां एक अकेली स्त्री को बदनाम कर उसे तोड़कर वापिस उस कैदखाने में कैद करना चाहते है जहां वो एक सांस भी अपनी मर्जी से न ले सके।

रिया को भी उसकी ससुराल वालों ने उसके मां और पापा रमाकांत को और समाज को ये सुनाकर कि "उनकी बेटी अपना मुंह काला करके भाग गई" खूब बदनाम किया और उसका पता लगाकर उसके उस छोटे से आशियाने को उजाड़ने आ गए जिसे अभी वो तिनका तिनका जोड़कर बनाने की कोशिश ही कर रही थी।


पर इसबार रिया डरी नहीं थी उन दहेज के लोभियों से जिन्होंने ये जानते हुऐ भी कि उनके बेटे को वो पसंद नहीं है और उसने अपनी पसंद से शादी भी कर रखी है उसकी जिंदगी खराब की थी।उसने अपने साथ पुलिस लाकर और ससुराल वालों के खिलाफ सबूत दिखाकर अपने आसपास रह रहे लोगों को सच्चाई से रुबरु करवाया था वरना ये समाज फिर से उसे ना किए गये जुर्म की सजा देकर उसे चरित्रहीन साबित कर उसके पंख काटने की कोशिश करने लगता।पर रिया की हिम्मत की वजह से उसदिन वो लोग कामयाब नहीं हुऐ थे और पुलिस के डर से सब अपना गालियों और कालिख का पिटारा अपने ऊपर ही उड़ेल चलता हुऐ थे।

पर आज फिर उसके छोटे से आशियाने और उसके सम्मान पर खतरा मंडरा रहा था इसलिए वो अपनी स्कूटी लेकर जल्द से जल्द अपने घर पहुंची थी।पर वहां का नजारा देखकर एक बारको तो उसके पैरों के नीचे से जमीन ही खिसक गई थी।पर फिर खुदको संभालते हुऐ आगे बढ़ी और अपने पापा के पैर छूते हुऐ बोली........

"पापा आपने इतने महीनों बाद मेरी खोज खबर ली वो भी सिर्फ मेरी छोटी सी दुनिया को मिटाने के लिऐ आप ऐसी ही बोल देते ये सारा सामान में आपके घर भिजवा देती बिना किसी सवाल बिल्कुल वैसे ही जैसे आपके पसंद के लड़के से शादी कर ली थी।,,

"मैने तुम्हारे लिऐ इतना अच्छा घर और वर देख लाखो का दहेज देकर तुम्हे विदा किया सोचा था तुम अपने ससुराल में निभाकर हमारा और हमारे खानदान का नाम ऊंचा करोगी पर तुमने क्या किया अपने पति को धोखा देकर अपनी ससुराल और मेरी इज्जत मिट्टी में मिलाकर भाग आई और यहां अपना मुंह कलाकर इतनी शान से रह रही हो जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो।,,

रमाकांत जी जलती आंखों से देखते हुऐ रिया से चिल्लाकर बोले तो रिया एक फीकी मुस्कान के साथ बोली......

"हां आपके उस अच्छे देखे घर और वर ने मेरे साथ नौकरों से भी बद्दतर सलूक किया था। ना जाने कितने दिन मैने उस घर में सिर्फ पानी पीकर उन लोगों की मार सहते हुऐ गुजार दिऐ थे। सिर्फ आपकी इज्जत के लिऐ पापा पर जब सहन नहीं हुआ था तो आई थी ना में आपके पास पर आपने तो मुझे मेरी किस्मत का हवाला और घर के चार कोनों में से किसी एक कोने में मरने की नसीहत देकर मुझे वापिस उसी कैदखाने में भेज दिया था।पर यूं घुटन भरी मौत मुझे मंजूर नहीं थी पापा बस इसलिये मैं वो सब छोड़ आई थी।और यकीन मानो पापा मैने यहां मुंहकाला करने जैसा कोई काम नहीं किया है।

पर आपने भी इस समाज की तरह अकेली रह अपनी पहचान बना रही बेटी को गलत समझा पर पापा आपको मुझ पर भरोसा नहीं है ना सही पर कमसे कम आपने अपने दिए संस्कारों और परवरिश पर ही भरोसा कर लिया होता तो कमसे कम आप मेरी नजरों में गिरने से तो बच जाते। पर चलो कोई नहीं उस दिन आपने मुझे एक नसीहत दी थी आज मैं एक नसीहत आपको देती हूं कि किसी भी अकेली रह रही लड़की पर शक मत करना वरना उसका तो कुछ नहीं बिगड़ेगा पर उस पर उंगली उठाने के चक्कर में आप खुद बदनाम हो जाओगे जैसे यहां हो गये हो।,,

ये सुनते ही रमाकांत जी ने अपनी नजरें चारों तरफ घुमाई जहां सब.....

"कैसा बाप है ये जो अपनी बेटी पर ही शक कर रहा है? क्या इसने अपनी बेटी के चेहरे और शरीर पर वो गहरे घावों के निशान नहीं देखे? भगवान ऐसा बाप किसी को भी ना दे।,,

जैसी बातें करके सब उसे ही धिक्कार रहे थे।तभी रिया की मां आईं और रमाकांत जी के लाये हुऐ लड़कों को परे धकलते हुऐ बोलीं.....

"परे हटों अगर मेरी बेटी के सामान को हाथ भी लगाया तो हाथ पैर दोनों तोड़ दूंगी तुम लोगों के।,,

फिर रमाकांत जी की तरफ मुंह करके उन्हे धिक्कारते हुऐ बोलीं....

"शर्म नहीं आती आपको अपनी ही बेटी पर शक करते हुऐ।पहले तो उसकी मर्जी के खिलाफ उसकी शादी कर दी फिर जब वो वहां से परेशान होकर घर आई तो उसे घर से निकल उसकी ससुराल में उसे मरने को छोड़ दिया ।और उसने जब आपकी चुनी उस दुख भरी जिंदगी को छोड़ खुद के दम पर कुछ करना चाहा तो एक बार फिर से आ गये उसकी दुनिया उजाड़ने।पर अब ऐसा कुछ नहीं होने दूंगी मैं ।

आज आपने मेरी परवरिश पर उंगली उठाकर बहुत गलत किया है।पहले मैं सिर्फ आपकी पत्नी होने का फर्ज निभा रही थी डरती थी कि कहीं आपने अपने घर से निकल दिया तो कहां जाऊंगी मैं? पर मेरी बेटी ने मुझे सिखाया है कि जब तक एक स्त्री अपने मान के लिऐ खुद खड़ी नहीं होती उसे उसके हिस्से का सम्मान नहीं मिलता । इसलिये आज मैं आपसे अपकी पत्नी होने का हक वापिस ले रही हूं।,,

और अपना मंगलसूत्र उतारकर रमाकांत का हाथ पकड़ उस पर रखते हुऐ फिर से बोलीं....

"ये लीजिए अपना मंगलसूत्र और घर जाकर अपनी झूठी शान के साथ अकेले रहना क्योंकि मैं अब यहीं अपनी बच्ची के साथ रहूंगी ताकि कोई भी गिरी सोच वाला मेरी बेटी पर उंगली न उठा सके।,,

इतना बोल रिया की मां रमाकांत को उलझन में छोड़ अपनी बेटी के टूटे सामानों में से बचा हुआ अच्छा सामान चुनने लगीं।और रिया ने भी अपने पापा पर एक हिकारत भरी नजर डाल अपनी मां को ज्वाइन कर लिया।


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