याद
याद
प्रिय प्याज की चटनी और पराठे,मुझे तुम्हारी बहुत याद आती है।बहुत साल हो गये तुमसे मिले हुऐ या यूं कहूं कि एक उमर बीत गई।क्योंकि तुम तो हमारी और हमारे दोस्त की पहली पसन्द थे न।गर्मी की दोपहर में जब हम कभी उसके घर खेलने जाते तब वो हमें कितने प्यार से ये खिलाती थी।
हम भी हमारी दोस्त को बुरा न लगे इसलिये बहुत प्यार से तुम्हे खाते थे।उसके बाद मां से चटनी खाने के लिऐ बहुत डांट भी खाते थे पर फिर भी मां मुझे मेरी दोस्त और तुम्हारा स्वाद लेने से रोक नहीं पातीं थीं।बहुत कोशिश करते हैं वही स्वाद वही दिन वापिस लाने की पर ये बचपन सी दोस्ती वापिस कहां आती है।