डिजिटल दोस्ती के नुकसान
डिजिटल दोस्ती के नुकसान
"निकिता इस बार नए साल पर क्या छोड़ना और क्या नया करना है..?"
अपने पति के इस सवाल पर मुस्करा भर दी निकिता क्योंकि वो पहले ही छोड़ चुकी थी जो उसे छोड़ना था उसके आंखों के आगे पूरा साल घूम गया।कितना खुश थी वो उन दिनों जब ऑनलाइन अपने लिखने पढ़ने के शौक को पूरा करते हुऐ उसे डिजिटल दुनिया में उसी शौक को रखने वाली बहुत ही अच्छी दोस्त रुचि मिल गई थी।
जब मन होता वो दोनों एक दूसरे को फोन कर खूब बातें करती।निकिता खुले विचारों की सीधी साधी लड़की थी उसे न तो ज्यादा झूठी बातें बनानी आती और न ही कुछ छुपाना आता जो बात जैसी होती वो सीधे सीधे से बोल देती।पर रुचि एसी नहीं थी वो प्यार से निकिता से बातें कर सब जान लेती वही सारी बातें वो जिस प्लेटफार्म पर मिले थे उस ग्रुप में जाकर सभी को बता देती झूठ बोलना जैसे उसका शौक था।
निकिता की तो सिर्फ एक ही सहेली बनी थी रुचि पर रुचि ने तो बहुत सारी डिजिटल सहेलियां बना रखी थी।उन्ही में से किसी ने उसके झूठ को सबके सामने ला दिया तब रुचि बहुत दुखी हुई थी तब निकिता ने रुचि का बहुत साथ दिया क्योंकि निकिता को तो रुचि ही सही लगी थी।आखिर वही तो उसकी बेस्ट फ्रेंड थी।
फिर निकिता अपने काम में फेमस होने लगी।उससे उसी शौक को पूरा करने वाले और भी लोग जुड़े तब निकिता को पता चला कि रुचि उससे प्यार से सब पूंछ दूसरों को जाकर उसकी निजी बातें भी बता देती थी।
निकिता को ये जानकर बहुत बुरा लगा उसने रुचि से बात करनी चाही वो रुचि से जान लेना चाहती थी कि उसने ऐसा क्यों किया? उसने तो उसे अपना सबसे अच्छा दोस्त समझा था उसने उसके साथ विश्वासघात क्यों किया?पर अब रुचि ने फोन उठाना ही बंद कर दिया।
निकिता के मन को बहुत कष्ट हुआ था एक तो ऐसा दोस्त जिसे वो अच्छा समझती थी वो झूठी निकली और दूसरा बिना उसके सवालों के जवाब दिए उससे कन्नी काट ली इसलिये निकिता ने अब ये निश्चय कर लिया की वो ऑन लाइन काम करेगी सभी से ऑफिसियल बात भी करेगी पर किसी से भी इतनी गहरी दोस्ती नहीं करेगी कि वो उसकी जिन्दगी में उथल पुथल मचा सकें। बीता मुसीबतों वाला समय उसे ये भी सिखा गया की डिजिटल दोस्ती को डिजिटल ही रहने दो। जब तक पूरा भरोसा और छानबीन न कर लो उन्हें अपनी जिंदगी का हिस्सा मत बनाओ।
निकिता को ख्यालों में खोया देखकर उसके पति ने फिर एक बार पूछा....." कहां खो गईं कुछ सोचा कि नहीं ?"
"मैंने तो सोच लिया और अमल भी कर लिया अब तुम्हारी बारी है हर बार की तरह कोई प्रण ले लो भूलने के लिए!"
निकिता ने हंसते हुए कहा तो उसकी हंसी में उसके पति भी शामिल हो गये।
दोस्तों हम बीते कुछ सालों में घर बैठे बिना किसी को जाने पूरी दुनिया से जुड़ने लगे है। ऑनलाइन दोस्ती भी कर लेते है और समझदारी दिखाते हुऐ अपने फाईनैंशल जानकारी भी नहीं देते पर ये लोग हमारी भावनाओं के साथ खेल जाते है और बिना कुछ बोले गायब भी हो जाते है।अब आने वाले समय में भी हमें इसी डिजिटल दुनिया से जुड़कर काम करना होगा तो अब बीते दो समय से अनुभव ले हम सिर्फ फाइनैंशल ही नहीं इमोशनली भी सेफ रहे।