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Amita Kuchya

Abstract Inspirational

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Amita Kuchya

Abstract Inspirational

उसकी नीयत में खोट थी•••

उसकी नीयत में खोट थी•••

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शैली आज मायके जा रही थी। वहीं उसकी जेठानी का भी मायका था ।वो सोचने लगी भाभी के साथ चली जाऊं। उसने अपने पति से पूछा -"मैं अपनी भाभी के साथ मायके चली जाऊं? मेरी भतीजी निया का आज बर्थडे है, वो मेरे अचानक पहुंचने बहुत खुश होगी कि बुआ ने आज सरप्राइज़ दे दिया।भाभी जब लौटेंगी तो मैं उन्हीं साथ वापस आ जाऊंगी।


तब उसके पति आकाश ने कहा-"हां हां चली जाओ। बहुत दिनों से गयी भी नहीं हो,अच्छा है,तुम्हें साथ भी हो जाएगा।"


फिर वह मायके जाने की तैयारी करने लगी।

शाम की ट्रेन थी, एक घंटे में तैयारी कर बेटी के साथ निकल गई।

फिर वह तीन घंटे में सतना पहुंच गई।

अब स्टेशन पर जैसे ही पहुंची तो देखा बहुत सारे आटो वाले चिल्ला रहे थे, आटो आटो •••जो उसके घर की तरफ जाने वाले आटो थे ,वो भी आवाज लगा रहे थे और बस स्टैंड, बस स्टैंड चिल्ला रहे थे। इतने में शैली ने एक आटो वाले को रोका, तब उसने अपने घर का पता बताया, उसने अपने भाई नीलेश का नाम बताया, तब वो बोला-" हां- हां हम तो जानते हैं, उसने बहुत अपनापन जताया और तो और बहुत सारी वहां की बातें करने लगा।


 और उसने कहा - " नीलेश भाई को बहुत अच्छे से जानता हूं।" फिर क्या था, वह उस आटो रिक्शा में बैठ कर जाने लगी। और उसकी जेठानी अपने मायके जाने लगी और तभी उसके लड़के ने उस आटो वाले की नंबर प्लेट की फोटो खींच ली।

ताकि कुछ गलत न हो । उसने सावधानी के हिसाब से पिक खींच ली थी।वो बाहर पढ़ने वाला नवयुवक जो ठहरा ,उसे अंदाजा था ,आजकल आए दिन कुछ न कुछ घटनाएं होती ही हैं इसलिए सावधानी रखनी चाहिए। रोज की न्यूज़ से वाकिफ था,कि ऐसे ही लोग धोखा देने में माहिर भी होते हैं। खासकर स्टेशन हो या भीड़ वाली जगह वहीं लोग फायदा उठाते हुए बातों में उलझाए रहते हैं।खैर•••••


इस तरह वह आराम से उस रिक्शा में बैठकर जाने लगी। और आटो वाले ने सामान ऊपर की तरफ रख दिया।इधर शैली की भतीजी का जन्मदिन होने के कारण उसने बीच बाजार में आटो वाले को रोका और बेटी को कहा-" बेटा सामान का ध्यान देना।" इस तरह उसने उपहार खरीद लिया । और थोड़ी देर में उसके बताए पते पर आटो वाले ने पहुंचा दिया।


पर उसी समय वह जैसे ही आटो से उतरी और आटो वाले को पैसे ही दे पाई थी कि उसने आटो मोड़ ली।


अब जैसे ही शैली ने कहा -"अरे शुभी आटो वाले ने सामान तो उतारा ही नहीं•••हां मम्मी हम क्या पहनेंगे,जैसे आगे बढ़ी, तभी उसका सुरेश छोटा भाई बाहर तरफ बैठा था उसे देखकर पूछने लगा- " अरे दीदी कहां जाने लगी!! " तब शैली ने हड़बड़ाहट में कोई जवाब नहीं दिया, फिर उसके छोटे भाई भी चिंता हुई वह पीछे -पीछे गाड़ी लेकर उसके पीछे आया ,तब उसने बताया कि आटो वाले बैग नहीं उतारा।चलो उसका पीछा करो, तभी वह भाई के साथ गाड़ी से पीछा करने लगी, पर आटो वाला नहीं मिला।


इधर शैली की मायके पहुंचने की खुशी छू मंतर हो चुकी थी।इधर बर्थडे पार्टी छोड़ छोटा भाई भी आटो वाले को ढूंढने लगा गया और उसकी बेटी शुभी ने भी घर के अंदर जाकर पूरी बात बताई तब पापा भी परेशान होने लगे।


जब वह वापिस लौटी, सब लोग पूछने लगे? दीदी आटो वाले को पैसा देने के पहले सामान क्यों नहीं उतारा।बस वो क्या कहती•••!!! वो कहने लगी "उसी की गलती है कि उसने पहचान वाला समझकर भरोसा कर लिया। और अच्छा समझकर धोखा खा गयी ।" तब उसकी भाभी ने कहा-" दीदी उसमें कोई क़ीमती सामान तो नहीं था,आपके बैग में क्या-क्या रखा था?" तब वह कहने लगी -" उसमें पार्टी वेयर कपड़े, एक छोटा पर्स और ज्वेलरी किट भी था। "


यह सुनकर भाभी ने कहा-" वो शायद इसी ताक में था। क्या आपने उसके सामने बैग खोला था?"

तब वह बोली -

" नहीं खोला तो नहीं था। पर बीच रास्ते में गिफ्ट खरीदने के पहले शुभी से कहा था।कि बैग का ध्यान रखना।" तभी तो दीदी उसे लगा कि बैग में कीमती सामान होगा। इसलिए रफू चक्कर हो गया। उसकी तो रिपोर्ट करानी पड़ेगी।


इतने में भैया ने कहा-" उसका नाम क्या है ,कुछ पता है !"तब वह बोली- नहीं भैया मैंने नहीं पूछा।

फिर भैया ने कहा -"यही तो तुमसे बहुत बड़ी गलती हो गई। उसने मौके का फायदा उठा लिया।"


फिर पापा ने कहा - " जब आटो मुड़ी होगी तो देखा होगा कि आटो कौन तरफ गयी है, तब शैली ने कहा पापा हम लोग जब आटो रिक्शा उतरे , और बैग का याद आया तब तक वो आटो वाला आटो बढ़ा चुका था तो देख ही नहीं पाए कि किस तरफ आटो बढ़ा ली।हम लोग बस स्टैंड ,चारों मोड़ की ओर देख आए पर वो आटो वाला नहीं दिखा,तब शैली के पापा को लगा कि नंबर प्लेट चैक करें उन्होंने बाहर का कैमरा चालू किया तो कुछ समझ नहीं आया कि आटो कहां है,इस तरह नंबर प्लेट नहीं दिखाई दी। क्योंकि रोड की तरफ की तरफ आटो दूर थी।


इस तरह उसकी उम्मीद तो खत्म हो गई। फिर सब लोग ढांढस बंधाते हुए कहने लगे मिल जाएगा ,चिंता न करो।


तब वह बोली - " मुझे लगा नीलेश भैया को जानता है।

सब कहने लगे कि ईमानदार होगा तो बैग लौटा जाएगा। पर वह तो मौके की तलाश में था।


सब फोन पर पहुंचने की खैरियत शैली से पूछ रहे थे। तब शैली ने कुछ नहीं बताया उसे लगा आटो वाला बैग लौटा जाएगा, जेठानी और उसके पति का भी फोन आया पर उसको उस समय कुछ बताने की हिम्मत नहीं हुई।

वह घर में जन्मदिन की पार्टी का माहौल खराब करना नहीं चाहती थी। इसलिए वह सामान्य होने की कोशिश कर रही थी।सब मेहमान मायके में थे। जिसे पता चल रहा था । शैली तुम कितनी बड़ी लापरवाह हो कि अपने सामान का ही ख्याल नहीं रख पाई,उसे ही सब कसूरवार ठहरा रहे थे , शैली तुम कितनी बड़ी मूर्ख हो , तुम्हें पहले सामान उतारना था, फिर पैसे देती••• पहले क्यों नहीं उतारा??

अब वह भी कह रही थी। क्या करूं जो नुकसान होना था। वो तो हो गया। उसके पास पहनने वाले कपड़े नहीं थे, रात थी तो उसने भाभी की गाऊन पहन ली।इस तरह उसने अपनी बेटी को भतीजी की नाइट ड्रेस पहना दी।


रात में सोते समय शुभी उसकी बेटी रोने लगी। फिर थोड़ी देर उसके पापा का फोन आया तो बेटी ने अपने पापा को सब बता दिया।

फिर क्या था शैली को लापरवाह कहा •••बेटी को समझाया ,बेटा मम्मी के हैंड बैग में पैसे होंगे ही ,तो बाजार जाकर नयी ड्रेस खरीद लेना।


फिर क्या था•••

अगले दिन कपड़े खरीदे। फिर दो दिन बाद लौटने वाली थी ,तब उसके जेठानी को बताया। तब उनके बेटे ने कहा -"चाची आपने पहले क्यों बताया ?उस आटो वाला का नेम प्लेट का नंबर तो मेरे मोबाइल पर है। उसकी रिपोर्ट करने में वह तुरंत मिल जाता।इन दो दिनों तक आपको कितनी परेशानी हुई होगी।


तब शैली ने कहा कि किस मुंह से तुम्हें बताती,सब यहां मेरी ग़लती कह रहे हैं और तुम लोग भी मेरा मजाक बनाते।ऊपर से चाचा और भाभी भी मेरा मजाक बनाते और चाचा भी तुम्हें कुछ - कुछ कहने लगते।


अब क्या था •••


फिर तो उस आटो वाली की नंबर प्लेट से सर्च करने पर उसके घर का एड्रेस और फोन नंबर निकल आया । उसके बाद उसके घर में जाकर बैग वापस मिला। उसने डांट फटकार के बाद उसने कबूला कि उसकी गलती थी। उसकी नीयत में खोट आ गई थी। इसलिए न ला पाया।


फिर शैली सामान वापस पा कर बहुत खुश हुई ,उसे समझ आ गया कि कभी भी अनजान पर भरोसा नहीं करना चाहिए। उसे अपने सामान के साथ कपड़े और गहने और पैसे भी वापस मिले जो उस बैग में रखे थे। क्योंकि वह पकड़ गया। इस तरह धोखा खाने पर शैली को सबक मिल गया।


दोस्तों- कभी- कभी बाहर अनजान से हम थोड़ी देर में घुल मिल जाते हैं पर ऐसा धोखा भी होता है पैसे कपड़े न हो तो हाथ खाली हो जाते हैं यदि रिलेटिव न हो तो हम अकेले पड़ जाते हैं ऐसी परिस्थिति में पुलिस से मदद लेनी चाहिए। और सावधानी भी रखना बहुत जरूरी होता है।साथ ही मदद सेंटर काल करके मदद लेनी चाहिए।



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