Amita Kuchya

Inspirational

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जिम्मेदारी एक ही बहू की क्यों?

जिम्मेदारी एक ही बहू की क्यों?

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सुनैना ने नया घर बनवा लिया था, नये घर का उद्घाटन होना था।उसे लगता था कि वह भी अपने आलीशान से बंगले में रहे।पर सास -ससुर की सेवा करते -करते उसकी भी उम्र हो चली थी।उसे जब भी कोई नये घर के गृह प्रवेश में बुलाता तो‌ उसे एक कसक सी उठती।


उसके बच्चे भी बड़े हो गए थे।दो कमरे देवरानियों के थे।जब भी आती तो वहीं उनका सामान रहता और वो उन्हीं कमरों में रहती ,जैसे वो कमरे उनके नाम हो गये हो,उनका दहेज में मिला सामान भी उन्हीं कमरों में रहता।और बच्चों के लायक अलग से कमरे नहीं थे। वह शादी के इक्कीस साल बाद बड़ी मुश्किल से घर बनवा पाई थी क्योंकि दो छोटे देवर‌ बाहर रहते थे।उनकी सास ससुर के प्रति कोई जिम्मेदारी नहीं थी।


शुरु से सुनैना उनका खर्च संभाल रही थी।जब देवर देवरानी पूजा या कोई कार्यक्रम में आते तो मेहमान बनकर रहते और चले जाते।इस तरह एक- एक पैसा जोड़कर ही वो नया घर बनवा पाई थी। जिसमें उसने सभी रिश्तेदारों और देवरानियों को भी बुलाया था।


आज घर बहुत खूबसूरत लग रहा था,ये घर के दोनों बच्चों के कमरों में उनकी पसंद को ध्यान में रखते हुए एक -एक चीज लगवाई।जो बच्चों को पसंद थी।उसी के अनुरूप टाईल्स, दीवारों का रंग फर्नीचर, पर्दे और आलमारी सब का ध्यान रखा। उसने जो परेशानी पुराने घर में देखी ,वो नये घर में नहीं चाहती थी।उसका मानना था कि हर चीज के लिए अलग जगह हो। उसने बच्चों की पसंद का बाथटब भी लगवाया। इतना सब देखती ही छोटी और मंझली बहू कहने लगी-" अरे दीदी आप यहां रहोगी तो मम्मी बाऊजी को कौन देखेगा। आप को ही मम्मी बाबूजी के लिए दौड़ भाग करनी पड़ेगी।इतना सब कुछ तामझाम करने की क्या जरूरत थी?"

तब उसने कहा-"अरे छोटी अब बहुत हुआ, तुम लोग भी अपनी जिम्मेदारी निभाओ। आखिर मैं ही कब तक जिम्मेदारी निभाऊंगी? "

देवरानी ने चौंककर कहा -"क्या •••• भाभी हम तो बाहर रहते हैं, इस शहर में तो आप ही रहोगी तो ध्यान आप को ही रखना होगा ।"

फिर सासुमा भी बोली -"हां छोटी और मंझली मैंने तो बहुत करा ली बड़ी से सेवा ,अब तुम लोग मेरे साथ रहकर हम लोग का ध्यान रखो।"

तब सकपका कर मंझली बहू बोली -मम्मी हम लोग तो बाहर रहते हैं, हम लोग कैसे आप लोग का ध्यान रख पाएंगे ? और आप लोग ये पुराना घर छोड़ कर तो हमारे पास तो आएंगी नहीं।


तब सासुमां ने कहा - "नहीं बहू हम तुम्हारे साथ भी रहने के लिए तैयार हैं। क्या बड़ी बहू ही जिंदगी भर हमेशा सेवा करे, तुम लोग का कोई फर्ज नहीं है। उसके भी तो सपने हैं कि वह अपने नये घर में रहे, उसका स्वयं का घर हो, जब तुम लोग के अपने -अपने घर है तो उसका भी है तो,तुम लोग को बुरा क्यों लग रहा है।वह हमारे साथ कितने सालों से हमारे घर में एडजस्ट कर रही है तो अगर तुम लोग अपने स्वयं के घर में रह सकती है तो बड़ी क्यों नहीं!!


इस तरह सासुमां की बात सुनकर वे दोनों कहने लगीं- "वह हां‌- हां मम्मी आप रहिए न‌ •••हमारे साथ, हमें लगा आप अपना पुस्तैनी घर छोड़कर कहां रहोगी, उसी समय छोटी बहू बोली -"मम्मी जी मैं चाहूं तो आपको बुला भी लूं पर बड़ी भाभी जैसी जिम्मेदारी नहीं उठा सकती, क्योंकि मेरा भी अपना शेड्यूल है। आपको उस हिसाब से रहने में दिक्कत ही होगी। "


फिर मंझली भी बहू बोली- हमारे यहां भाभी के जैसे खाना भी नहीं मिलेगा।क्योंकि हमारे यहां कुक ही खाना बनाते हैं।हम लोग आपके हिसाब से नहीं बल्कि आप लोग को हमारे हिसाब से रहना पड़ेगा।


इतना सुनते- सुनते सासुमां बोल पड़ीं बहुओं हमने बहुत सुन ली तुम लोगों की,तुम लोग को हमारी जिम्मेदारी उठानी होती तो दस साल पहले भी उठा लेते।पर बड़ी बहू से कुछ न बोलो, क्योंकि वह हमारी जिम्मेदारी उठाने में कभी न हटेगी। चाहे हमारे घर पास रहे या दूर ,पर दिल के रिश्ते हमेशा के लिए बने हैं। हम दोनों के बीच कोई औपचारिकता नहीं है, उसके मन में हमारे लिए इज्जत है, और वह हमारे अनुसार शुरू से ढली है।न कि हम उसके हिसाब से।अगर थोड़ा बहुत बदलाव लाने भी पड़े तो हम भी बदलेंगे। क्योंकि जमाना बदल‌ गया है ,हमें भी नये तौर तरीके अपनाने होंगे। चाहे नयी चीजें को अपनाने का तरीका हो,या चाहें हाईफाई सोसायटी में रहने का तरीका हो।

बड़ी बहू जैसी जिम्मेदारी तो निभाकर दिखाओ तो‌ जाने। इसके बाद दोनों बहुओं ने कहा - "ठीक है मम्मी जी आप नये तौर तरीके को अपनाना चाहती है तो हम भी आपकी जिम्मेदारी के साथ सेवा करेंगे।



बड़ी बहू को अच्छा लगा कि मम्मी ने उसकी तरफ से देवरानी से बात की। और इस तरह सासुमां भी दोनों बहुओं के पास भी कभी- कभी रहने लगी।

दोस्तों-एक बड़ी बहू ही अपनी जिम्मेदारी क्यों निभाए,सास ससुर को भी नये माहौल में रहना चाहिए।ताकि एक बहू को ही परेशानी न उठानी पड़े। छोटी देवरानियों को भी अपनी जिम्मेदारी उठाने से पीछे नहीं हटना चाहिए।


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