The Stamp Paper Scam, Real Story by Jayant Tinaikar, on Telgi's takedown & unveiling the scam of ₹30,000 Cr. READ NOW
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Seema Khanna

Abstract

3.5  

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उन्नीसवाँ दिन

उन्नीसवाँ दिन

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लॉक डाउन के दौरान तीसरा रविवार

पर रविवार के साथ छुट्टी का ताल्लुक तो लगता है बीते दिनों की बातें हो गई हैं।

दिनों की गिनती गिनते हुए ही दिन बीतते है।पर न तारीख़ याद रहती है ना वार।

आँकड़े तो रोज हज़ार की तादात में बढ़ रहे हैं।8000 पार। ऐसा ही जारी रहा तो आगे क्या होगा सोच के भी डर लगता है।

आज सुबह जब इस आशा के साथ समाचार लगाया कि शायद आज कुछ अच्छी खबर मिल जाये।पर समाचार देखते ही ऐसी खबर सुनने को मिली कि हम दंग रह गए।

मामला था पटियाला में निहंग सिख से पुलिस की मुठभेड़।

पंजाब के पटियाला में पुलिस ने निहंग सिखों को सब्जी मंडी जाने से क्या रोका सिखों ने पुलिसकर्मियों पर तलवारों से हमला ही कर दिया पुलिसवाले जख्मी तो हुए ही और एक एएसआई का हाथ ही काटकर अलग कर दियाइसके बाद निहंग सिख गुरुद्वारे में छिप गए थे, भले ही बाद में पुलिस ने उन्हें घर दबोचा। पर ये समझ नहीं आया कि उन्होंने हमला किया ही क्यों।।

ये कैसी जंग हम लड़ रहे हैं जिसमे हम अपने की योद्धाओं को मार रहे है ?

क्या ऐसे जीतेंगे हम जंग?

लॉकडाउन के दौरान पुलिस दिन-रात देश की सेवा में लगी हुई हैं, अपना घर परिवार भूल कर।अपने जान का खतरा मोल ले कर।अपनी परवाह न कर के और हम उनकी मदद करने के बजाय उन्हीं पर हमला ?

ये कैसी मानसिकता है ?

मेरे समझ से तो परे है। भगवान ! सबको सद्बुद्धि दो।


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