तेरहवाँ दिन
तेरहवाँ दिन


प्रिय डायरी
6/4/20
तेरहवाँ दिन...
लॉक डाउन का तेरहवाँ दिन ...
पर इंतज़ार है उस दिन का जब हम इस कोरोना की तेरहवीं करेंगे...
दिनचर्या में कोई खास परिवर्तन तो रहता नहीं आजकल.......
बस वही घर की चहारदीवारी में बंद....काम मे लगे रहते हैं...
पर कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अपनी चिंता न करते हुए यथासंभव दूसरों की मदद करने में लगे हैं.....
जिनमें से एक हैं मेरे भइया.... 'मुन्ना भइया'... वैसे तो उनका नाम 'प्रेम' है पर सिर्फ कागज़ों पर..... सभी जानने वाले इसी नाम से पुकारते हैं....
मुझे नाज़ है भइया पर
हर किसी के दुःख में साथ देने वाले..
दुःख में सबसे पहले पहुँचने वाले....
जो खुशी के मौकों या पार्टियों में जाने से भी कतराते हैं....इस देश के संकट की घड़ी में निकल पड़े हैं.... हर संभव मदद देने........
मुझे उनपर गर्व है....
खुद के लिए अपराधबोध सा महसूस होता है कि मैं तो कुछ कर ही नहीं रही.......
पर शायद सच या दिल को बहलाने के लिए ये खुद को समझा कर तसल्ली दे ली कि ......
अगर आप लॉक डाउन के नियमों पालन कर रहे हैं,, .....
अगर आप घर से नहीं निकल रहे.
अगर आप अपने सहायको को वेतन दे रहे है ,उनकी सहायता कर रहे हैं, यद्दपि आप काम स्वयं कर रहे है....
...तब भी आपका योगदान कम नहीं
कुछ न कर के भी ,,,अप्रत्यक्ष रूप से ही सही.... राष्ट्रहित में योगदान कर रहे है.....
करते रहिए जब तक देश कोरोना मुक्त न हो जाये.....