Seema Khanna

Drama

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Seema Khanna

Drama

अठारहवाँ दिन

अठारहवाँ दिन

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कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि दुनिया ऐसे थम सी जायेगी और छा जाएगा हर तरफ एक खौफ़।

खौफ़ एक अनजाने दुश्मन काखौफ़ एक अनदेखे दुश्मन का।

ये दुश्मन छुप कर वार करता है और हमारे पास तो कोई हथियार भी नहीं है इससे लड़ने के लिए

सामने से वार करे तो हम भी सामना करेंपर हमें तो पता भी नहीं कि ये कैसे, कहाँ से कब आ जाये और हमें दबोच ले अपने पैने पंजो में।

ऐसे में जब तक हम अपने हथियारों की धार तराश नहीं लेते तब तक

ऐसे में एक ही रास्ता बचता है कि हम भी इस छुपे रहेबचे रहे।

आँकड़ो ने तो अपनी रफ़्तार और बढ़ा दी है 7000 पार

बढ़ते आँकड़ो ने बहुत से राज्यों में लॉक डाउन भी बढ़ा दिया है, जिसकी उम्मीद पहले से ही थीऔर अंदाज़ा तो ये भी है कि जल्द ही ये पूरे देश के लागू हो जाये।

और हो भी क्यों नहोना ही चाहिए जन हित में जो भी कदम हो उठाना ही चाहिए

पर थोड़ी तैयारियों के साथजो दर-बदर भटक रहे है या खाने पीने की चीज़ों के लिए भी मोहताज़ हैं उनके लिये भी कुछ आवश्यक कदम उठाये जाने चाहिए।

समाचार में कई जगहों पर देखा कि निगरानी के लिए ड्रोन कमरे का इस्तेमाल किया जा रहा हैसिर्फ कैमरा ही नहीं उसमे स्पीकर भी लगा कि सूचना/घोषणा लोगों तक पहुँचाई जा रही है

कहीं कहीं तो पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है लॉक डाउन का पालन करवाने के लिए

पर ऐसे में ये बात दिमाग मे आती है कि

 लोग क्यों नहीं खुद से इन नियमों को मानते ?

जबरदस्ती करने की जरूरत ही क्यों पड़ रही है ?

क्या उन्हें इस बात का इल्म नहीं कि उनकी एक गलती उनके के लिए जानलेवा साबित हो सकती है ?

क्या उन्हें इस बात का एहसास नहीं कि उनकी एक नासमझी बहुतों के लिए परेशानी का सबब बन सकती है।

कैसे समझेंगे और कब ?

बस एक बात की तसल्ली है कि नियम तोड़ने वालों से नियम पालने वालों की संख्या हर हाल में ज्यादा है।

और यही देख के लगता है कि जल्द ही हम सामान्य जीवन में वापस आ जाएँगे।

ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः

सर्वे सन्तु निरामयाः।


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