STORYMIRROR

डॉ. रंजना वर्मा

Romance

4  

डॉ. रंजना वर्मा

Romance

तू फिर लौट के आ

तू फिर लौट के आ

1 min
368

अरे दिन तो ये कैसे भी कट ही जाते

मगर रातें कैसे भी कटती नहीं हैं,

खुशी की खिली धूप जब छांव बनती

घटाएं ग़मों की ये छंटती नहीं हैं।


तुम्हें भूल जाने की कोशिश बहुत की 

मगर तुम हमें हर घड़ी याद आये,

बहुत दिन गुजारे हैं हमने तेरे बिन 

मगर याद तो जाने के बाद आये


लकड़ियाँ हैं गीली सुलगती नहीं हैं

घटाएं ग़मों की ये छंटती नहीं हैं।


था सोचा ये कब तुमको होगा यों जाना 

बना लोगे तुम बादलों में ठिकाना ,

अगर हो सके तो सनम ! लौट आना 

हमारे लिए फूल बन मुस्कुराना


अधर काँपते हैं हँसी ही नहीं है

तू फिर लौट आये ये मुमकिन नहीं है,

हमें चैन साथी ! तेरे बिन नहीं है

अगर हो सके तो तू फिर लौट के आ,

तू फिर लौट के आ तू फिर लौट के आ।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Romance