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Gunjan Johari

Horror Fantasy

4  

Gunjan Johari

Horror Fantasy

The haunted village

The haunted village

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"मेरे गांव में प्यासी डायन का बसेरा है। वहां सब लोगो का मानना है। कि यहां रात में घर से बाहर घूम रहे आदमियों को वो डायन अपना शिकार बनाती है ,यहां से गुजरने वाले लोगो को डायन पहले तो अपने वश में करती लेती है और बाद में उस इंसान का खून पीकर स्वय को अमर करती हैं।मेरे इस भूतिया गांव का यही दस्तूर है।" यह कहानी सुना रहा था अनय अपने सभी दोस्तों को।उसकी बात सुनकर देव और सभी बहुत जोर जोर से हंसने लगे-"अरे यार माना कि मैंने कहा कि कोई होरर स्टोरी सुनाओ। पर यह तो नहीं कुछ भी सुना दे। यार 2025 में जी रहे हैं हम!"देव ने कहा।


"तुम्हें नहीं मानना मत मानों। पर यह सब सच है मैं बचपन से इस सच के साथ जी रहा हूं। मेरे गांव में सब इस खौफ में जी रहे हैं।उस डायन के श्राप में जीने को मजबूर हैं! 


"कैसा श्राप ?"


"श्राप ही तो है।सही बात क्या है मैं नहीं जानता पर यह सब चालिस साल पहले शुरू हुआ। गांव में एक बहुत सुंदर लड़की थी, चांदनी नाम की। बाद में पता चला वो काला जादू करती है। तो सब गांव वालों ने उसे गांव से निकाल दिया। अगले दिन उसकी लाश गांव के बाहर एक पेड़ से लटकी मिली। उसी दिन से गांव में यह खूनी खेल शुरू हो गया।"

"ओह,,,,तो यह कहानी है। किसी ने जानने की कोशिश करी कि इस कहानी में कितनी सच्चाई है।"देव ने पूछा।


"इस कहानी की सच्चाई के बारे में मैं नहीं जानता।पर बचपन से मैं यही कहानी सुनता आ रहा हूं। और उसी पेड़ पर लाशें लटकती देख रहा हूं।" अनय ने बताया।


"इस चांदनी के डर के कारण मैं अपने घर पर भी नहीं जा पा रहा हूं। लोग अपने घर अपना गांव छोड़ने को मजबूर हैं। क्योंकि इस श्राप का तोड़ ही नहीं मिल रहा। बचपन से देखता आ रहा हूं पंडित , तांत्रिको को बुलाकर हर कोशिश करी उस आत्मा की शांति के लिए यहां तक कि उस पेड़ के नीचे एक छोटा सा मंदिर भी बनवा दिया!"अनय की बात सुनकर सब चौंक गए।


"मंदिर,,,,? क्या किसी ने चांदनी से मुलाकात करी। बात करी उससे,वो यह सब क्यों कर रही है।"देव ने पूछा।


"तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है क्या?कौन पूछेगा उससे? उसका जवाब देने वो वापस ही नहीं आएगा।"अनय ने कहा।


"मैं पूछूंगा उससे। और उसका जवाब भी लेकर आऊंगा!"देव ने कहा।"चार दिन की छुट्टी है हमारी,अभी गांव में जाते हैं तेरे। इस कहानी की सच्चाई तो जाननी तो होगी ही!"


"तुम पागल हो। मैं तुम्हें नहीं लेकर जाऊंगा। मैं खुद ‌अपने गांव पिछले चार साल से नहीं गया।अपना घर देखने को तरस गया हूं मैं।"अनय ने कहा।


"तुम मत जाओ मैं तो जाऊंगा। और यह सब झूठ है यह भी साबित करूंगा!


"देव यह सही बात नहीं है। हर बात मजाक नहीं होती। तुम्हारे लिए जो झूठ है, मेरे गांव वाले उस सच के साथ जी रहे हैं। उनके बच्चे जिंदा रहे इस लिए उन्होंने अपने बेटों को खुद से दूर कर दिया।"


"मुझे एक बात समझ नहीं आ रही अनय, चांदनी सिर्फ लड़कों को ही क्यों मारती है उस गांव में लड़कियां भी रहती है,बुढ़े भी है पर वो सिर्फ लड़कों को ही क्यों मारती है?मिश्का ने कहा


"पता नहीं उस रात क्या हुआ कोई नहीं जानता।पर सवेरे उसकी लाश पेड़ से लटकी मिली, और फिर गांव के लड़कों की हत्या का सिलसिला शुरू हुआ। सबसे पहले गांव के ठाकुर साहब के भतीजे की हत्या हुई थी।उनकी लाश भी उसी पेड़ पर लटकी मिली थी। अब तक करीब 100 से ऊपर लड़कों की लाश उसी पेड़ पर मिली है।"अनय ने कहा।


"कमाल की‌ बात है। सौ से ज्यादा मौतें उसी पेड़ पर ‌,एक ही तरीके से।" फिर तो अनय सच कह रहा है कुछ तो गडबड है। उस पेड़ पर।"शिखा बोली।


"मैं कब कह रहा हूं,कि अनय झूठ बोल रहा है। पर मैं वहां जाना चाहता हूं ‌। और देखना चाहता हूं।इस लिए मैं चला।"देव ने कहा और जाने लगा।


"देव प्लीज रूको।"अनय ने देव को रोका और बोला -"समझो बात को।हर बात मजाक नहीं होती। कुछ सच्चाई भी होती है जो हमारी समझ से बाहर होती है।मत खेलो अपनी जिंदगी से।"


"चिंता मत करो। कुछ नहीं होगा मुझे। जो तुम कह रहे हो सही है। पर मैं एक बात जानता हूं जो भी घटना होती है उसकी कोई वजह होती है। इस की भी वजह तलाश करनी चाहिए । हो सकता है यह हत्याएं भी रूक जाए। चिंता मत करो। मुझे कुछ नहीं होगा।"


"वजह की तलाश में कुछ जाने जा चुकी है देव।आग से मत‌ खेलो।"अनय ने कहा।


"मुझे शौक है आग से खेलने का। इस राज का पता तो मैं चला कर ही रहूंगा। और तू चिंता मत कर कुछ नहीं होगा मुझे।मेरी इस कोशिश में तेरे गांव का भी भला है।"


"अपने गांव का भला करने के चक्कर में मैं तुम्हारी जान खतरे में नहीं डाल सकता।बात को समझो देव।मैं फैसला ले चुका हूं। और एक बार देव गोयंका कोई फैसला ले और वो पूरा न हो ऐसा तो हो नहीं सकता।"


"ठीक है फिर ,मैं भी तुम्हारे साथ चलूंगा ! "अनय ने कहा।


"हम भी चलेंगे!"मिश्का ने कहा।"हम तो सेफ है वो सिर्फ लड़कों को मारती है हम तो लड़की हैं। तुम्हें भी सेफ रखेंगे हम!"मिश्का ने कहा!"और उससे सवाल भी हम ही करेंगे।"


"हां डियर तुम्हारे बिना तो हम भी नहीं जाते। अब मजा आएगा उस डायन से मिलने में।"


उन दोनों की बातें सुनकर अनय आश्चर्य कर रहा है।जिसका जिक्र करने से ही सिर्फ उसके रोंगटे खड़े हो जाते हैं उसकी बातें वो दोनों ऐसे कर रहे हैं जैसे किसी पप्पी की बात कर रहे हैं।वो तीनों उसी समय वहां से निकल कर गाड़ी में बैठे और पहले अनय के होस्टल पहुंचे वहां से अनय ने अपना सामान लिया और और फिर गाड़ी में बैठ कर मिश्का के घर और फिर देव के घर पहुंचे देव ने भी अपने घर से जरूरी सामान लिया और घर में सबको बोलकर निकल गये अनय के गांव रायपुर।




देव, मिश्का और अनय तीनों अनय के गांव रायपुर की ओर चल दिए। रास्ते भर अनय ने गांव के बारे में कई बातें बताईं। रायपुर एक बेहद खूबसूरत गांव था। चारों ओर हरियाली, एक बड़ी सी नदी, और गांव के पास एक घना जंगल। लेकिन गांव के अंदरूनी हिस्से में सन्नाटा पसरा हुआ था।


गांव के मुख्य चौराहे पर पहुंचते ही लोगों ने देव और मिश्का को अजीब नजरों से देखा। अनय को देखकर कुछ बुजुर्ग लोग उसके पास आए और बोले,

"अनय बेटा, इतने साल बाद आए हो। क्या करने आए हो यहां? इस श्राप से दूर रहो।क्यों आ गये यहाँ?"


"बाबा चिंता न करो हम जल्दी ही लौट जाएगें। माँ और बाबा से मिल लूं।"


"हाँ बेटा और सुन उस पेड़ के पास मत जाना और अपने दोस्तों को भी मत लेकर जाना।"


"जी बाबा।"अनय ने कहा और देव, मिश्का को चलने का इशारा किया। 


अनय अपने घर की ओर बढ़ा। रास्ते में देव ने गांव की हालत देखी—कुछ घर खंडहर हो चुके थे, कई लोग गांव छोड़कर जा चुके है। गांव का सुंदर मंदिर भी वीरान लग रहा है।


जब वे अनय के घर पहुंचे तो उसके माता-पिता ने उसे देखकर चौंक गये और उसे गले लगा लिया। लेकिन अनय के पिता ने देव और मिश्का को देखते ही कहा,

"तुम लोग यहां क्यों आए हो? ये गांव तुम्हारे लिए सुरक्षित नहीं है। वापस चले जाओ।"


देव ने शांतिपूर्वक जवाब दिया,-"अंकल, मैं सच का पता लगाने आया हूं। अगर यह श्राप सच है, तो इसे खत्म करने का कोई तो उपाय होगा। और अगर यह सिर्फ डर की कहानी है, तो गांव वालों को डर से आजाद करना जरूरी है।"

 

"अनय तुमने नहीं समझाया इन दोनों को?"


"बाबा समझा चुका हूं मैं। पर यह लोग भी तो सही कह रहे हैं सच कि पता लगाए बिना हम कब तक ऐसे खौफ में जीएगें। इस खौफ को खत्म तो करना होगा न।"


"और वो खत्म करने के लिए तुम तीनों सिर पर कफ़न बाँध कर उस डायन से लड़ने को तैयार हो।"माँ बोली। 


"किसी न किसी को तो पहल करनी होगी न मां।"


"पर तुम ही क्यों?मैं तुम लोगो को खतरे में नहीं डाल सकती। तुम सब फौरन वापस लौट जाओ शहर।"


"चले जाएगें आंटी पर सच का पता लगा कर।आप लोग चाहे अनय को न भेजे पर मैं और मिश्का जाएगें।"


"बेटा हम तुम्हें भी नहीं जाने देगें।क्यों अपनी मौत को दावत दे रहे हो?100 लडकों को खा चुकी व़ो डायन।"


"क्यों खा रही है यही पता लगाना है आंटी। वो क्यों कर रही है यह सब।" मिश्का बोली। 


जब गांव वालों को पता चला कि देव, मिश्का और अनय उस खौफनाक पेड़ के पास जाना चाहते हैं, तो सभी इकट्ठा हो गए। एक बूढ़े व्यक्ति ने कहा,

"तुम्हारी जिद से गांव की शांति भंग होगी। यह पेड़ श्रापित है। वहां मत जाओ।"


लेकिन देव ने साफ कहा,"किसी न किसी को तो यह पता लगाना होगा कि सच्चाई क्या है। आप लोग कब तक इस डर में जीते रहेंगे?"


"अगर तुमने कुछ उल्टा-पुल्टा किया और गांव को नुकसान हुआ, तो इसका जिम्मेदार कौन होगा?"


"सरपंच जी किसी न किसी को तो कदम उठाना होगा। आखिर कब तक हम सब डर डर कर अपने बच्चों से दूर रहेगें।यह दोनों बच्चे अजनबी होकर हमारे लिए लड़ने को तैयार है क्या हम गाँव वाले अपने लिए एक बार हिम्मत करके नहीं खड़े हो सकते। "


अनय के पिता की बात सुनकर सब गाँव वाले चुप हो गये। एक खामोशी छा गई गाँव में। 


रात का समय हो गया। देव, मिश्का और अनय मशालें लेकर जंगल की ओर बढ़े। पेड़ तक पहुंचने का रास्ता अजीब सा था। सन्नाटा और ठंडी हवा उनके पीछे चल रही है।बहुत ही डरावना है माहौल। एक पेड़ के पास पहुंचकर अनय रूक गया।

 

अनय ने कांपते हुए कहा,"यही वह पेड़ है। यहां मैं कई बार लाशें देख चुका हूं।"


वो पेड़ बड़ा और पुराना था। उसकी टहनियां इंसानों की भुजाओं जैसी लग रही थीं। देव ने चारों ओर नजर दौड़ाई। वहाँ उन लोगों को कुछ भी नहीं दिखाई दिया।


रात के समय वो पेड़ बहुत ही डरावना लग रहा था। 

"शायद यह श्राप किसी के बदले की कहानी है।"मिश्का बोली। 


कोई उसे जवाब देता तभी वहाँ बहुत तेज़ हवाए चलने लगी, अचानक तेज हवा चलने से, मशाल बुझ गई। चारों ओर अंधेरा छा गया। तभी एक तेज चीख सुनाई दी। उनकी नजरों के सामने एक धुंधली आकृति उभरी। यह वही चांदनी की आत्मा थी। उसकी आंखें आग की तरह जल रही है।उसे देख कर देव, अनय और मिश्का तीनों ही चौंक गए। 


चांदनी की आत्मा ने गुस्से से कहा,"क्यों आए हो यहां? क्या तुम भी मरना चाहते हो?"


मिश्का आगे आई हिम्मत दिखाते हुए और बोली,"हम तुम्हारी पीड़ा जानने आए हैं। तुम यह सब क्यों कर रही हो? आखिर तुम्हें किस बात का बदला लेना है?क्यों मार रही हो मासूम गाँव वालो को?"


"मासूम, कोई मासूम नहीं सब गुनहगार है मेरे।मुझे मेरे ही गांव वालों ने नहीं समझा। उन्होंने मेरी बात नहीं सुनी। मैं निर्दोष थी।मैं नहीं छोडूगी किसी को। उन्होंने मुझे डायन समझकर गांव से निकाला।यह सब उस ठाकुर की साजिश में शामिल थे।" उस डायन ने कहा और आगे बढ़ कर देव पर हमला कर दिया देव को हवा में उछाल कर एक तरफ फेंक दिया।देव का सिर वहाँ एक पत्थर से टकराया और उसके सिर से खून बहने लगा। 


चांदनी फिर से वार करती तभी गाँव की कुछ महिलांए अनय की माँ के साथ देव के सामने खड़ी हो गयी। 


"हट जाओ मेरे सामने से।मुझे मेरा शिकार करने दो।"


सबने न में सिर हिलाया। अनय भागकर देव के पास गया और उसे उठने में मदद करी। उसके सिर पर गहरी चोट आई थी जिससे खून बह रहा था। अनय के पिता और सरपंच भी दौड़ कर अनय के पास आए।अनय के पापा ने अपना अंगोछा कंधे से लिया और देव के सिर पर कस कर बांध दिया। 


 "जब तक मेरा गुनहगार जिंदा है यह सब चलता रहेगा।"चांदनी की बात सुनकर सब चौंक गए। 


"कौन है तुम्हारा गुनहगार? क्या हुआ था तुम्हारे साथ?"मिश्का ने पूछा। 


"हमें बताओ चांदनी,सारी कहानी बताओ।हम सब,सारा गाँव तुम्हारी मदद के लिए आया है।"अनय ने आगे बढकर कहा। 


"और अगर तुम यह मानती हो कि इस तरह सबको मार कर तुम्हें इंसाफ मिल जाऐगा तो आज यहाँ सारा गाँव मौजूद है मार दो हम सबको।" देव ने कहा। 


"हमें बताओ चांदनी हम सब सुनेगे तुम्हारी सच्चाई। उस वक्त हम नहीं सुने तुम्हारी बात उसके लिए हम शर्मिंदा है। पर आज हम अपने गांव की इस बेटी को न्याय देना चाहते हैं।" सरपंच बोले। 


"मेरा गुनाहगार वो ठाकुर है।उसकी नजर थी मुझ पर, मैं अनाथ थी कोई नहीं था मुझे सुनने वाला। मैंने जिससे भी कहा वो नहीं माना मेरी बात। इस लिए ठाकुर ने मेरे खिलाफ गाँव में बातें उड़ानी शुरू कर दी।सब गाँव वाले उसकी बातें मानने लगे और एक दिन सब गांव वालों ने मुझे गाँव से निकाल दिया।" चांदनी सबको अपनी कहानी सुना रही थी।कुछ गाँव वालों की आखों में आसूं आ गए थे उसकी कहानी सुनकर। 


"उस रात मैं रोती रही पर किसी को मुझ पर दिया नहीं आई। ठाकुर और उसके आदमियों ने मुझे गाँव से निकाल दिया। मुझे सजा मिली जो गुनाह मैंने किया ही नहीं था।मैंने ठाकुर की बात नहीं मानी इस लिए उसने मुझे डायन का नाम देकर गाँव से निकाल दिया। और उस रात मैं इस पेड़ के नीचे बैठ कर अपने जख्मों को सहलाने की कोशिश कर रही थी दोबारा से जीने की कोशिश कर रही थी तब वो ठाकुर अपने भतीजे और कुछ आदमियों के साथ आया।"


"देखा मेरी बात न मानने का नतीजा, अब भी समय है आ जाओ मेरे पास। सब कुछ पहले जेसा हो जाएगा। रानी बनकर इस गांव पर राज करना।"


"कभी नहीं। तेरी रखैल बनने से अच्छा मैं मौत को गले लगाना पसंद करूगी। ठाकुर शर्म कर मैं तेरी बेटी की उम्र की हूँ और मेरे साथ यह सब करते जरा सी भी शर्म नहीं आती तूझे।"


"तू चुप कर तेरी इतनी औकात नहीं कि तू अपनी तुलना हमारी बेटी से करे।अब भी समय है मान जा।"


"नहीं कभी नहीं मौत मंजूर है पर इज्जत गंवानी मंजूर नहीं।"चांदनी न ने कहा। 


"ठीक है फिर। मौत ही ले तू। जो मेरी न हुई वो किसी और की भी नहीं हो सकती ।"ठाकुर ने कहा और चांदनी का गला दबाने लगा। उसके हाथ पैर ठाकुर के भतीजे ने पकड़ लिए। कुछ पल फड़फड़ाई जिंदगी के लिए लड़ने की कोशिश करी पर सब बेकार। कुछ ही पल में चांदनी के प्राण पखेरू उड़ गये। 


इतना सुनाकर चांदनी चुप हो गई। वहाँ एक गहरा सन्नाटा छा गया। कोई भी कुछ कहने की स्थिति में नहीं था।सबकी आँखे नम थी। 


"मुझे ठाकुर चाहिए उस रात वो बच गया सिर्फ उसके भतीजे को ही सजा मिल पाई, जब तक मैं ठाकुर को भी सजा नहीं दूंगी यह खेल चलता रहेगा।वो गुनहगार है मेरा। उसे सजा दिए बिना मैं मुक्त नहीं होऊगी।"


"ठीक है चांदनी। ठाकुर कसूर वार है और उसे सजा तुम दोगी ज्ञान अभी लाते है उसे यहाँ।"


"एक मिनट तो रूकिए। हम मानते हैं कि ठाकुर दोषी है पर उसे सजा देना हमारा नहीं कानून का काम‌ है। हम उसे कानून के हवाले करेगें ताकि उसे सजा मिल सके।"देव बोला। 


"नहीं वो कानून का नहीं मेरा गुनहगार है। उसे सजा मैं दूंगी।"


"नहीं चांदनी। अगर हम सब भी यही करेगें तो उसमें और हम सबमें क्या फर्क रह जाएगा।हम सब ठाकुर को कानून के हवाले करेगें।"देव ने कहा। 


चांदनी भी मान गई। सब गाँव वाले ठाकुर की हवेली पहुंचे और उसे खदेड़ते हुए गाँव की सीमा पर उस पेड़ के पास लेकर आज ठीक उसी तरह जैसे वो कभी चांदनी को वहाँ लाया था। सबने उसे चारों ओर से घेरे लिया। 


"तुम सब पागल हो गये हो सबको जान से मार दूगा मैं।"


"किस किस को मारोगे ठाकुर आज तुम्हारे किए हर गुनाह का सबूत मौजूद हैं। यह तुम्हारे आदमी सरकारी गवाह बन चुके हैं और तुम्हारे गुनाह की हर फाइल कानून को सौंप चुके हैं।"अनय ने बीच में आकर कहा। 


"हाँ ठाकुर आज भी वही मंजर है जो तुमने चांदनी के साथ किया था। कहते हैं न इतिहास खुद को दोहराता है।"देव बोला। 


"चांदनी,, किस चांदनी की बात कर रहे हो तुम, और हो कौन तुम?"


"चांदनी को भूल गए। अपने सब गुनाह भी भूल गए ठाकुर तुम।"मिश्का बोली उसके साथ पुलिस भी मौजूद है। 


तभी ठाकुर को चांदनी पेड़ से उतरती दिखाई दी। और सबके बीच आकर खडी़ हो गई। 


"देख ठाकुर आज तेरा गुनाह तेरे सामने खड़ा है। अब कोई नहीं बचा सकता तूझे।" 


"मैं अपने सारे गुनाह कबूल करता हूँ मैं ही इस गाँव में गैरकानूनी काम करता था, मैनें ही चांदनी को डायन साबित किया था क्योंकि वो मेरी बात नहीं मान रही थी।"


"अब आपको सजा कानून देगा। चलिए हमारे साथ।" पुलिस इंस्पेक्टर ने कहा। 


"हाँ इंस्पेक्टर साहब मैं तैयार हूँ आपके साथ चलने को। लेकर चलो मुझे।"


ठाकुर को पुलिस लेकर जाने लगी। चांदनी ठाकुर को जाते देख रही है धीरे धीरे ठाकुर पुलिस की गाड़ी के पास पहुंच गया। देव देख रहा था कि चांदनी बिल्कुल चुप है। ठाकुर को पुलिस गाड़ी में बैठाने लगी। लेकिन तभी ठाकुर हवा में उछला और उस पेड़ के पास जाकर गिरा। "आह,,,,,,,! "ठाकुर के मुंह से निकला। 


पुलिस कुछ करती तभी उस पेड़ से एक रस्सी नुमा डाली अपने आप आई और वो ठाकुर के गले में कसने लगी। पुलिस दौड़ कर ठाकुर को छुड़ाने के लिए दौड़ी लेकिन तब तक उस रस्सी ने ठाकुर को ऊपर की ओर खींच लिया। कुछ पल ठाकुर फड़फड़ाता रहा और कुछ देर में वो निढाल होकर लटक गया। ठाकुर के प्राण निकल गए। 


उसके मरते ही चांदनी जोर जोर से हंसने लगी। "मेरा बदला पूरा हुआ। मैं मुक्त हुई।"चांदनी बोली। 


चांदनी ने देव और अनय को देखा,इस बार उसका चेहरा शांत है।वौ मुस्कुरा रही है- "मेरा जो दर्द कोई नहीं समझ सका वो आप लोग समझे, मुझे न्याय दिलाया आप लोगो ने-"उसने देव और अनय को धन्यवाद दिया और कहा,-"अब मैं मुक्त हूं। यह गांव अब श्राप मुक्त है।"


चांदनी की आत्मा धीरे-धीरे हवा में विलीन हो गई। गांव का वो खौफनाक पेड़ सूखकर गिर गया, और गांव में फिर से शांति लौट आई।


देव, मिश्का और अनय ने गांव को बचा लिया। गांव वालों ने देव का धन्यवाद किया। वो लोग भी अपने शहर को लौट आए। 





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