पहल
पहल
एक आलीशान होटल ,वहाँ अरण्या और उसके मम्मी पापा आए हैं।अरण्या के लिए एक लड़का आरव को देखने।प्राइवेट डाइनिंग एरिया में दोनों परिवार आमने-सामने बैठे हैं। टेबल पर चाय, मिठाइयाँ, और स्नैक्स रखे हैं। माहौल औपचारिक है, लेकिन दोनों पक्षों में एक अनकही हिचकिचाहट भी है। कुछ फाइलें भी रखी है।
अरण्या के पापा के पास टेबल पर रखी एक लाल धागे से बंधी कुंडली, और बगल में एक फाइल भी है।
विजय प्रताप सिंह, आरव के पिता हंस हंस कर बात चीत कर रहे हैं।एकाएक वो अपनी जेब से कुंडली निकालते हुए, बडे़ आत्मविश्वास से कहते हैं-
"गोयल साहब क्या आप बिटिया की कुंडली लाए हैं।हम पहले कुंडली मिलवाना चाहेंगे। ग्रह-नक्षत्रों का मेल न हो, तो आगे बढ़ना मुश्किल हो जाता है।"
राजेश गोयल बिना किसी हड़बड़ाहट के बोलते है-"वो भी मैं लाया हूँ। पर अच्छा हो पहले हम सब एक दूसरे से अच्छे से मिल ले। यह दोनों एक दूसरे के सामने अपनी बात रख ले।
" बात चीत,यह सब भी हो जाएगा।हमारी सिर्फ एक डिमांड है वो है सिर्फ अच्छी शादी। इसके अलावा हमारी और कोई डिमांड नहीं।"
"जी हाँ भाई साहब, भगवान का दिया सब कुछ है हमारे पास। हमारी कोई डिमांड नहीं। बस पहले कुंडली मिल जाए।"आरव की मम्मी बोली।
"राजेश गोयल गंभीर आवाज में कहते हैं- बहुत अच्छी बात है यह कि आप लोग दहेज या गिफ्ट लेने के विरोध में है। लेकिन पहले आप ये लीजिए।"वो एक फाइल विजय प्रताप की ओर बढ़ाते हैं।
"यह क्या है?"विजय प्रताप फाइल लेकर खोलते हैं, और उनके चेहरे पर शिकन उभरने लगती है। अंदर कुछ पेपर हैं: प्रॉपर्टी डॉक्युमेंट्स, बैंक स्टेटमेंट्स, पुलिस वेरिफिकेशन रिपोर्ट, नौकरी प्रमाण पत्र, कैरेक्टर सर्टिफिकेट।
विजय प्रताप हैरानी से गोयल के परिवार की ओर देखते है , उनकी आखों में कई सवाल है वो आखिर में पूछते हैं-"ये सब,, ये सब क्यों?"
"यह सब हमारे प्रुफ है, जो जरूरी है अब ऐसे ही सब प्रुफ हमें आप के और आरव के भी चाहिए।"
यह सुनते ही कमरे में हल्की खामोशी छा गयी। अरण्या की माँ अपने पति की ओर सहमति में देखती हैं। आरव अब तक चुप है, लेकिन अब उसके चेहरे पर हल्की जिज्ञासा है।
राजेश गोयल कहना शुरू करते हैं-
"जैसे आपको हमारी बेटी की कुंडली चाहिए,उससे कहीं ज्यादा हमें पूरा संतोष चाहिए, कि हमारी बेटी जिस भी घर में जाए वहाँ खुश रहे। हमें कुंडली मिलाने से ज्यादा यह देखना ज़रूरी लगता है कि लड़का और उसका परिवार हमारी बेटी के लिए सुरक्षित हैं या नहीं।"
कमरे में अचानक माहौल बदल जाता है। एक परम्परा को पहली बार चुनौती दी जा रही है।
विजय प्रताप थोड़ा तंज़ भरे स्वर में, फाइल को टेबल पर रखते हुए कहते हैं-"राजेश जी, हम रिश्ते कर रहे हैं या बिज़नेस डील?"
अरण्या शांत लेकिन ठोस लहजे में कहती है-"माफ करिएगा अंकल जी, लेकिन यह सिर्फ एक रिश्ता ही नहीं, आपके बेटे और मेरी पूरी जिंदगी है।"
कमरे में एक हलचल सी मच जाती है। सबकी नज़रें अरण्या की ओर घूम जाती हैं। उसकी आँखों में आत्मविश्वास और सच्चाई की चमक है।वो निडर होकर अपनी बात रख रही है सबके सामने।
"आपको लगता होगा कि यह अजीब माँग है, और मेरा यू बोलना भी बुरा लग रहा हो शायद। लेकिन सोचिए,,, हर साल कितनी लड़कियाँ बिना जाँच-पड़ताल के शादी कर लेती हैं, और फिर उनके जीवन में क्या होता है?"
वह एक पल रुकती है, उसकी आँखों में नमी आ गई हैं, जैसे अतीत की कोई छवि उभर आई हो।
"किसी की शादी के बाद पता चलता है कि उसका पति पहले से किसी और से जुड़ा था। कोई नशेड़ी निकलता है। कोई घरेलू हिंसा करने वाला। कोई धोखेबाज़।कोई क्रीमिनल।"
विजय प्रताप का चेहरा सख्त हो जाता है, लेकिन कहीं न कहीं वह खुद भी सोच में पड़ जाते हैं।
"इस देश में 30 प्रतिशत लड़कियों की शादी झूठ की बुनियाद पर होती है इस लिए टुट जाती है और 70 प्रतिशत दहेज, घरेलू हिंसा या फिर लड़की खुद आत्महत्या करके खुद को ही खत्म कर लेती है या खत्म कर दी जाती है।"
"विजय प्रताप जी अरण्या मेरी इकलौती बेटी है, इसकी किस्मत में क्या है हम नहीं जानते , लेकिन सब ठीक हो बस यह सिर्फ मेरी एक कोशिश है। अगर आपको बुरा लगे तो माफी चाहूंगा।पर आप इसे एक पिता की अपनी बेटी की खुशी के लिए एक कोशिश समझ सकते हैं!"
आरव का परिवार चुपचाप सब कुछ देख और सुन रहा है।
"अगर एक लड़की की जन्मतिथि देखकर यह तय किया जा सकता है कि वह इस परिवार में फिट बैठती है या नहीं, तो क्या एक लड़के और उसके परिवार के बारे में जानने का हक़ हमें नहीं होना चाहिए?" अरण्या ने हल्की आवाज में कहा।
राजेश गोयल गौर से विजय प्रताप को देखते हैं, जैसे उनकी सोच को टटोल रहे हों।
"हम यह नहीं कहते कि सब लडके ही गलत होते हैं, लड़कियां भी गलत होती है।कुछ लड़कियाँ भी अपने ससुराल के लिए अभिश्राप बन जाती है। इसलिए हमने पहले आपको अपनी बेटी के कागज दिए जो हमने आपसे मांगे।"
"क्योंकि यह दोनों बच्चों की जिंदगी का सवाल है।"पहली बार अरण्या की माँ ने अपनी बात रखी।
"हमारे समाज की हर बेटी अपने माता-पिता के घर से शादी के बाद नए परिवार में कदम रखते हुए सपने लेकर जाती है। लेकिन जब उसे वहाँ अपने सपनों की क़ीमत चुकानी पड़ती है, तो वह किससे शिकायत करे?"
"कितनी लड़कियाँ दहेज प्रताड़ना की वजह से जान गंवा देती हैं, कितनी लड़कियों को मजबूर किया जाता है सहने के लिए, क्योंकि 'अब यही तुम्हारा घर है'।"
कमरे में अब पूरी तरह खामोशी।
अरण्या हल्का सा मुस्कुराते हुए कहती है-"हर रिश्ते में इज्जत होनी चाहिए, लेकिन सुरक्षा और सम्मान भी उतने ही ज़रूरी हैं। क्या एक लड़की और लड़का सिर्फ़ इसलिए समझौता करे क्योंकि 'ऐसा ही होता आया है'?"
विजय प्रताप का चेहरा अब बदला हुआ है। वह सिर्फ़ एक पिता नहीं, बल्कि एक समाज का हिस्सा हैं, जिसे अब एक नए दृष्टिकोण की रोशनी दिख रही है।
कमरे में एक खामोशी है। फिर विजय प्रताप गहरी साँस लेते हैं और आरव की ओर देखते हैं।
विजय प्रताप आरव से पूछते हैं -"बेटा, तुम्हें कोई आपत्ति है?तुम क्या सोचते हो इन सब बातों के लिए। "
आरव ने पूरा वक़्त देखा-सुना है। अब वह पहली बार वो बोलता है।
आरव धीमी आवाज में कहता है-"पापा, अगर कोई रिश्ता सच्चा है, तो पारदर्शिता से डर कैसा?हम सब सही है तो हमें इन सब पेपर्स को देने के क्या आपत्ति।मुझे खुशी हुई कि जिस लड़की को मैं अपनी लाइफ पाटर्नर बनाने की सोच रहा हूँ वो और उसका परिवार अच्छी सोच रखता है एक नया दर्पण दिखाना चाहता है समाज को।इस पहल का हिस्सा बनने के लिए मुझे कोई आपत्ति नहीं।"
अरण्या पहली बार हल्की मुस्कान देती है। यह मुस्कान जीत की नहीं, बल्कि विश्वास की है।
विजय प्रताप ,राजेश की ओर देखते हुए, ईमानदारी से कहते हैं-"राजेश जी, आपने मेरी सोच बदल दी। शादी सिर्फ़ कुंडली से तय नहीं होती, बल्कि विश्वास और सुरक्षा से भी तय होनी चाहिए।"
आरव की माँ अरण्या की माँ का हाथ पकड़ती हैं और पहली बार मुस्कुराती हैं और कहती है -"आपने सही कहा यह दोनों बच्चों की जिंदगी का सवाल है एक गलत कदम दो घरों को बर्बाद कर सकता है।दोनों बच्चों की खुशी के लिए यह पहल अच्छी है।"
"तुम जैसी समझदार लड़की मेरी बहू बनेगी, इससे बेहतर और क्या हो सकता है?"आरव ने अरण्या की ओर देखकर कहा।
अरण्या हल्की मुस्कान के साथ सिर झुका देती है। आरव और अरण्या की नज़रें मिलती हैं—एक भरोसे की बुनियाद रखती हुई।
शादी की यह मीटिंग अब सिर्फ़ एक औपचारिकता नहीं, बल्कि एक मिसाल बन चुकी है। मिठाइयाँ परोसी जा रही हैं।और माहौल हल्का हो चुका है, लेकिन बातचीत काफी गहरी हो चुकी है।
अरण्या और आरव मुस्कुराते हैं—अब वे सिर्फ़ होने वाले दूल्हा-दुल्हन नहीं, बल्कि दो ऐसे व्यक्ति हैं जो अपने रिश्ते को पारदर्शिता और विश्वास पर टिकाने के लिए तैयार हैं।जिनके बीच एक आपसी समझ और रिश्ते को निभाने की ईमानदारी भी है। और आज उन दोनों ने ही उसकी एक नई पहल शुरू करी है।
उन दोनों ने यह समझाने की कोशिश करी है सबको कि शादी को तय करने के लिए कुंडली और परंपरा को निभाने की नहीं बल्कि समय के साथ सोच में बदलाव की जरूरत है। विवाह केवल परंपराओं से नहीं, बल्कि सुरक्षा, पारदर्शिता और विश्वास से तय होना चाहिए। रिश्तों को केवल भाग्य के भरोसे छोड़ना अब पुरानी सोच होनी चाहिए! हर परंपरा को समय के साथ बदलना चाहिए और किसी को तो इसकी पहल करनी होगी।
