बिन फेरे हम तेरे
बिन फेरे हम तेरे
देश के बहुचर्चित श्रद्धा हत्या मामला आप सबको याद होगा बहुत सुर्खियों में रहा है। लिव इन में रहकर प्रेमी ने अपने प्यार को कहा पहुंचा दिया। आजादी में मौत मिली है। श्रद्धा के शरीर की हड्डियों पर आरी से काटने के निशान मिले हैं। पोस्ट मार्टम में। प्यार जो सच में करता है वो अपनी पार्टनर पर आरी चला सकता है क्या।
पति तो कह नहीं सकते उसे क्यों कि शादी हुई नहीं थी।बिन फेरे हम तेरे। यह अंजाम तो कई बार साइको पति अपनी पत्नी का भी कर देते हैं, शादी में सबकी रजामंदी होती है। पर यहां कहानी है अपने प्यार और विश्वास की। अपनी पाश्चात्य सोच की। सोच गलत है यह मै नहीं कहती हर इंसान का यह व्यक्तिगत मामला है हम नहीं उस पर कोई टिप्पणी कर सकते । पर आपकी उस आधुनिक सोच ने आपके शरीर के 35 टुकड़े कर दिए।
लिव इन में बहुत से रिश्ते अपनी मंजिल तक नहीं पहुंच पाते। खत्म हो जाते हैं। फिर क्या होगा? शादी शुदा अलग हुए तो तलाक शुदा कहलाती है आप अलग हुए तो क्या कहलाएंगे?
हर रिश्ते को नाम दिया गया है, लिव इन पाश्चात्य संस्कृति का हिस्सा है भारत में कुछ जगह चलन में है पर पूरी तरह से अपनाया नहीं गया।
लिव इन ग़लत है यह मैं नहीं कहती। पर अलग होने के बाद क्या आप किसी और रिश्ते के लायक रहते हैं?क्या कोई आप पर विश्वास करता है? पुरूष को तो वहां भी छूट है एक से आजाद हुआ दूसरी मिल गई लिव इन के लिए या शादी ही कर ली। पर लड़कियां कहीं की नहीं रहती वो अक्सर आत्म हत्या कर लेती है। मौत ही रह जाती है उनके लिए।
आधुनिक होना गलत नहीं पर अपना भविष्य को सुरक्षित रखना भी आपकी जिम्मेदारी है। ऐसा फैसला कभी न करें, जिसकी वजह से आपके शरीर के टुकड़े किसी जंगल में बिखरे पड़े मिलें या आप पंखे पर लटके मिले।