बाजार
बाजार
बाजार की उस तंग गली में रात का सन्नाटा ,हल्की हंसी और गाड़ियों की आवाजों से टूट रहा है। गली में लगे पीले बल्बों की हल्की रोशनी दीवारों पर टंगी परछाइयों को और लंबा कर रही है। कहीं-कहीं से पुराने फिल्मी गानों की धीमी आवाज सुनाई दे रही है।
रंग-बिरंगे कपड़ों में सजी-धजी लड़कियां चौखटों और बालकनियों पर टिकी है। हर लड़की की आंखों में अलग दास्तां है—कोई मजबूरी की, कोई धोखे की, और किसी की उम्मीदों की।
किसी ने लाल रंग की सिल्क की साड़ी पहनी है, जिसकी किनारी सुनहरी कढ़ाई से सजी है। उसके खुले बाल हवा में लहराते हुए उसके चेहरे की खूबसूरती को बढ़ा रहे हैं। होंठों पर गहरे लाल रंग की लिपस्टिक, आंखों में काजल की मोटी रेखाएं, और माथे पर झिलमिलाती बिंदी—जैसे खुद को पूरी दुनिया को दिखाने की चुनौती दे रही हो।
एक और लड़की है, जिसने नीली चमकदार ड्रेस पहन रखी है, जिसकी झिलमिलाहट हल्की रोशनी में और भी ज्यादा निखर रही है। उसकी ऊंची हील्स हर कदम पर उसकी मौजूदगी का एहसास करवा रही है। होंठों पर हल्का गुलाबी शेड और आंखों पर स्मोकी आई शैडो, जो उसकी मासूमियत को बढ़ा रहा है।
किसी ने झूमकों से लटकते सपनों को पहना है, तो किसी की हथेलियों पर मेहंदी के फीके होते निशान अतीत की कहानियां सुना रहे हैं। बालों में गुलाब के फूल सजे है, जैसे वो अपने हिस्से की खुशबू खुद ही बिखेरना चाहती हों।
गली के एक कोने में धुएं के बादलों के बीच बैठी एक लड़की अपने होंठों के कोने से सिगरेट को थामे हुए है। उसके होठों की गाढ़ी लिपस्टिक और चमकदार गाउन उसकी आत्मा के अंदर की बुझी लौ को छुपाने की कोशिश कर रहे हैं।
और उन्हीं चेहरों के बीच है - नव्या।
नव्या ने आज काले रंग की जरीदार साड़ी पहनी है। उसके गले में मोतियों की माला है, जो उसकी गर्दन की खूबसूरती को और भी उभार रही है। आंखों में मोटा काजल और गोल्डन आईशैडो, जो उसकी गहरी आंखों के दर्द को छुपाने की नाकाम कोशिश कर रहे हैं। होंठों पर गहरी मरून लिपस्टिक, जैसे कह रही हो—"कहानी खत्म नहीं हुई है अभी।"
नव्या बालकनी के किनारे खड़ी है, नीचे से गुजरती गाड़ियों को देखती हुई। वहां से हर आती-जाती गाड़ी, हर रुकती नजर, और हर बिकते ख्वाब का मंजर साफ दिख रहा है उसे।
"कहां खो गई नव्या?" अनुष्का ने पीछे से आकर उसे झकझोरा।
नव्या ने उसे देखा और फीकी हंसी हंसते हुए कहा,
"सोच रही थी, क्या हम भी किसी की बहन-बेटी हैं या बस इस बाजार की एक चीज़?"
अनुष्का ने उसके कंधे पर हाथ रखा, "तू फिर वही सोचने लगी? भूल जा। दिल लगाने की गलती मत कर। दिल लगाएंगी तो टूटेगा ही।"
नव्या ने एक गहरी सांस ली। उसके जेहन में पांच साल पुरानी एक तस्वीर उभर आई—गर्व की तस्वीर।
तभी नीचे सड़क पर रुकती एक कार की आवाज से गली में हलचल मच गई।सब लड़कियां शीशे में खुद को ठीक करने लगीं। पाउडर, काजल, लिपस्टिक—सब एक बार फिर से ठीक होने लगे।
"अरे जल्दी कर, कार रुकी है!"
"देख न, कौन आया है?"
"कहीं कोई बड़ा ग्राहक तो नहीं?"
गली फिर से आवाजों और उम्मीदों से भर गई । हर चेहरा जैसे एक बार फिर खुद को बेचने के लिए तैयार हो रहा है।
उस गाड़ी से एक अधेड़ उम्र का आदमी उतरा उसने सफेद कुर्ता पहन रखा है और उस पर एक जैकेट डाल रखा है बिना बाजू की। देखने में वो एक नेता लग रहा है। उसने किसी और की तरफ नजर भी नहीं उठाई सीधा अपनी गर्दन ऊपर उठाई और नव्या की ओर मुस्कुरा कर देखा। नव्या ने भी हल्की मुस्कान दी, मगर उसकी आंखों की उदासी सिर्फ अनुष्का देख रही है।
नव्या का साथी उस बाजार में सिर्फ अनुष्का है।वहाँ खडी़ हर लड़की खुद को नहीं अपनी मजबूरी बेचते हैं। नव्या हमेशा से इस बाजार की रौनक नहीं थी उसे वो दिन याद आ रहे है जब नव्या एक कॉलेज स्टूडेंट थी। पिता की बीमारी और घर की तंगी ने उसे समय से पहले ही बड़ा कर दिया,घर की परेशानियों ने उसकी पढ़ाई छुड़वा दी।
वो खुशी खुशी अपने परिवार की हर जिम्मेदारी निभाने की कोशिश कर रही थी।तभी उसकी जिंदगी में आया - गर्व,!हंसमुख, जिंदादिल और बेहद प्यार करने वाला लड़का।।
"नव्या, जब मैं नौकरी पर लग जाऊंगा न, सीधे तुझे मंडप में बैठाऊंगा," गर्व ने मुस्कुराते हुए कहा।
नव्या ने शरमाते हुए जवाब दिया, "झूठे कहीं के। सब लड़के बस बातें बनाते हैं।"
"तेरे गर्व को देख लेना, तेरी हथेली पर मेहंदी भी मैं ही लगवाऊंगा और मांग भी मैं ही भरूंगा।"
दोनों ने बड़े-बड़े ख्वाब देखे , मगर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।
एक रात अचानक उसकी जिंदगी बदल गई ,उसके पापा के गुजरने के बाद नव्या पर कर्ज का पहाड़ टूट पड़ा।
पिता के अंतिम संस्कार के बाद घर में गहरा सन्नाटा पसर गया। मां की दवा, घर का किराया, और पढ़ाई का खर्च—सारी जिम्मेदारियां पहले से ही नव्या के कंधों पर है अब पिता का कर्ज भी।
रिश्तेदार आए तो सही, पर हमदर्दी के मुखौटे लगाए।
"अब लड़की ही तो है... किसी से ब्याह कर दो। अकेली लड़की को कौन संभालेगा?"चाची बोली।
"लड़की पर खर्च करने का क्या फायदा? मां भी बीमार है, दोनों बोझ ही तो हैं।"बुआ ने अपनी बात कही।
नव्या के कानों में ये शब्द तीर की तरह चुभ रहे थे ।पर इस वक्त वो भी मजबूर है। वो अकेले पड़ गई इस समय। उसे गर्व की याद आई उसने फौरन उसे फोन किया। पर उसने फोन नहीं उठाया।
"गर्व, मुझे तेरी जरूरत है। पापा नहीं रहे।प्लीज फोन उठाओ।"पर उसने फोन नहीं उठाया। कोई रास्ता न देखकर नव्या ने गर्व को व्हाट्सएप पर मैसेज किया।
दो दिन तक गर्व ने कोई जवाब नहीं दिया, नव्या फोन करती रही मैसेज करती रही पर कोई रिप्लाई नहीं। तीन दिन बाद गर्व का एक मैसेज आया- "नव्या, अभी बात नहीं कर सकता। घर में बहुत प्रॉब्लम है।" नव्या देर तक उस मैसेज को देखती रही।वो गर्व का आखिरी मैसेज था।
फिर एक दिन गर्व की शादी का कार्ड उसके हाथ में आया। किसी और लड़की के साथ उसकी शादी हो रही है।
"तो ये था तुम्हारा प्यार? जब वक्त आया तो तुम भी छोड़ गए?" नव्या ने कार्ड को सीने से लगाते हुए फूट-फूट कर रोना शुरू कर दिया।
एक रोज उसकी मुलाकात हुई चिंटू से , चिंटू इस बाजार का सबसे बड़ा दलाल,वो अक्सर नव्या को देखा करता था आते जाते। पर कभी उन दोनों ने बात नहीं करी।
चिंटू उस दिन उसके घर आया और नव्या के कंधे पर हाथ रखकर कहा,"देख नव्या, ये दुनिया बहुत बेरहम है। पर मैं हूं न। तेरे सारे कर्ज उतार दूंगा। बस, थोड़ा काम करना पड़ेगा।"
नव्या की आंखों में आंसू थे,और साथ मजबूरी भी । चारों ओर सिवाय गैरों और दगाबाजों के और कोई नहीं था।उसकी मजबूरी ने उसे इस बाजार की इन गलियों का हिस्सा बना दिया।
उसकी आखं खुली सवेरा हो चुका है उसका बीता कल उसकी आखों के सामने से एक सपना बनकर गुजर गया। और हकीकत में,,,,,,,,,,
आज नव्या इस बाजार का मशहूर चेहरा बन चुकी है। हर रात महंगी गाड़ियां उसकी गली में रुकतीं।हर रात वो किसी के दिल को गुलज़ार करती है मगर अपने दिल का खालीपन ,,,,, वो शायद कोई नहीं भर सकता।
फिर एक रात एक सफेद कार उसके दरवाजे पर रुकी।नव्या रोज की तरह खडी़ है सजी धजी,गाड़ी का दरवाजा खुला और... गर्व बाहर निकला।
नव्या उसे देखकर चौंक गई। "तुम?" उसकी आवाज कांप रही हैं।
गर्व ने नजरें चुराते हुए कहा,
"नव्या... मैं..."
नव्या ने ठहाका लगाया, मगर हंसी के पीछे दर्द साफ झलक रहा है।उसकी पलकों से आंसू छलक आए।
"क्यों आए हो? ये देखने कि तुम्हारा छोड़ा हुआ प्यार अब बाजार की शान बन गया है?"
गर्व ने कपकपाती आवाज में सफाई देने की कोशिश की,
"नव्या, मेरी भी मजबूरी थी। मां और पापा की जान बचानी थी बहन की इज्जत दांव पर लगी थी।
"नव्या इतने सालों से यह बोझ है मेरे दिल पर , गुनाहगार हूं मैं तुम्हारा।... मुझे माफ कर दे। मैं मजबूर था।"
"मजबूर?" नव्या ने कड़वी हंसी हंसते हुए कहा,
"तुम मजबूर थे या लालची? कौन सी मजबूरी थी जो तुझे किसी और की दुल्हनिया का दूल्हा बना गई?"
गर्व धीरे से बोला,"राधिका... चिंटू की बहन है।"
नव्या का दिल ने धड़कना बंद कर दिया। "क्या?"
"हां... चिंटू ने मुझे और मेरी मां को धमकी दी थी। अगर मैंने राधिका से शादी नहीं की, तो..."गर्व की आवाज टूट गई।तभी वहाँ चिंटू आ गया। ।
नव्या ने उसकी ओर देखा-"क्या खेल खेला है तो तूने मेरे साथ?"
चिंटू ने मुस्कुराते हुए कहा,"हां नव्या... क्योंकि मुझे तुझसे प्यार हो गया था और मेरी बहन को गर्व से।मगर मुझे पता था कि तुझे पाना आसान नहीं है। इसलिए तुम दोनों को अलग करना जरूरी था।"
"तेरे लिए मैं एक खेल थी?" नव्या की आंखें लाल हो गईं।
"नहीं, नव्या। मैं तुझसे सच में प्यार करता हूं। अब भी करता हूं। चल, मेरे साथ चल। ये बाजार छोड़ दे।"
नव्या ने गहरी नजरों से चिंटू को देखा।"इस बाजार में प्यार भी बिकता है क्या?"
"मैं सच कह रहा हूं!"
नव्या हंसी, "तुम्हारे जैसे आदमी से प्यार करूं? जिसे लड़कियों की मजबूरी से इश्क है? छोड़ो , तेरे अंदर दिल ही नहीं है,अब मेरा दिल किसी पर भरोसा नहीं रखता।"
नव्या खामोशी से दोनों को देख रही है दोनों ही उसके गुनहगार है एक ने अपनी मजबूरी के नाम पर और दूसरे ने उसकी मजबूरी के नाम पर फायदा उठाया। एक ने मजबूरी में धोखा दिया, तो दूसरे ने प्यार की आड़ में ।पर धोखा तो दोनों ने ही दिया।
"नव्या, मैं तुझे वापस लेने आया हूं।" गर्व ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा।
नव्या ने आगे बढ़कर गर्व की आंखों में आंखें डालकर कहा,
"इश्क़ मजबूरी नहीं होता । और जो मजबूरी में प्यार को छोड़ दे, वो प्यार करने लायक नहीं होता। तूने अपनी बहन की इज्जत बचाई और मुझे यहाँ की रौनक बना दिया सिर्फ तेरे इश्क के कारण।"
फिर उसने खुद को पीछे खींचा,"अब लौट जा। ये बाजार है। यहां दिल लगाने वाले सिर्फ बर्बाद होते हैं।"
गर्व कुछ बोलता , मगर नव्या ने दरवाजा बंद कर दिया।
गर्व जा चुका है और चिंटू, उसके पास पहले ही कुछ नहीं था खोने को, वो भी अपने में फिर से मस्त हो गया।नव्या बालकनी में बैठी, नीचे भीड़ का शोर सुन रही है।
अनुष्का ने आकर उससे पूछा,"तूने माफ क्यों नहीं किया उसे?"
नव्या ने हल्की मुस्कान के साथ कहा,"क्योंकि मैं अब बाजार की नव्या हूं, जो नव्या गर्व से प्यार करती थी वो मर चुकी है।"
फिर धीरे से बुदबुदाई,"पर दिल के किसी कोने में अगर वो जिंदा है भी... तो बस इतना जान ले, इस बाजार में सिर्फ जिस्म बिकते हैं, दिल नहीं।"
