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S N Sharma

Abstract Inspirational

4  

S N Sharma

Abstract Inspirational

सरिता का विश्वास।

सरिता का विश्वास।

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विमला ने अपने पास सो रही सरिता को उठाया

" बेटी उठो !सूर्योदय होने को है !जल्दी-जल्दी काम निपटा लो! फिर खेत पर चली जाओ! वहां पर पंछी अपने ज्वार के खेत को बर्बाद कर देंगे। "

"अभी सोने दो ना मम्मी कितनी प्यारी नींद आ रही है" कहते हुए सरिता ने कंबल में फिर से मुंह छुपा लिया।

सरिता के पिता का खेत में सांप द्वारा डस लिए जाने से अभी 1 महीने पहले ही देहांत हो गया था। घर में 10 वर्ष की सरिता और उससे छोटा रीना और टीना क्रमश पांच और 2 वर्ष की थी।

इन विषम परिस्थितियों में घर की आजीविका चलाना एक बड़ा दुस्तर कार्य हो गया था। जब तक सरिता के पापा जिंदा थे घर बड़ी आसानी से चल रहा था। पर इकलौते कमाने वाले के गुजर जाने के बाद अब घर को संभालने की ओर खेती करने की जिम्मेदारी विमला के कंधों पर ही आ पड़ी थी।

विमला के लिए अब बच्चियों को संभालने के लिए और खेती संभालने के लिए उसकी एकमात्र सहारा उसकी 10 वर्षीय संतान सरिता थी। 

विमल को सरिता को सोते हुए देखकर दया आ गई। इतनी सी नन्ही सी बच्ची को इतना सुबह उठने पर उसका मन करुणा से भर उठा। पर यदि सरिता मदद नहीं करेगी तो कौन मदद करेगा। यह सोचकर उसने कंबल सरिता के ऊपर से खींच ली। सरिता आंखें मलते हुए उठ कर बैठ गई और जागते ही उसे अपने कर्तव्य का बोध हुआ। मटके से पानी लेकर उसमें मुंह धोया और रात की रखी हुई एक रोटी को चटनी के साथ चबाते हुए वह अपना गोतिया लेकर चप्पल पहनकर खेत की तरफ जाने लगी।

घर और खेत के बीच लगभग 1 किलोमीटर का घना जंगल पड़ता था और उसका खेत भी जंगल के बीच में ही था इस कारण सरिता को वहां जाने में बहुत डर लगता था।

सरिता ने कहा "मां मुझे अकेले जंगल जाने में बहुत डर लगता है आप साथ चलो ना।"

विमला की आंखों में आंसू भर आए उसने बेटी के सिर पर हाथ फिरते हुए कहा" तुम अकेली कहां हो बेटी? तुम्हारे साथ मां भगवती है! जब भी तुम्हें डर लगे तो उन्हें पुकार लेना! देखना वह हमेशा तुम्हारे साथ रहेंगी"

मां की बात पर विश्वास करके सरिता खेत की तरफ चली गई । रास्ते में उसे कुत्तों की भौंकने की आवाज आई।

वह बहुत डर गई। उसने तुरंत मां भगवती को आवाज लगा दी। उसने देखा की कोई कुत्तों को खदेड़ रहा है और कुत्ते दुम दबाकर भाग रहे हैं।

उसे अब अपनी मां की बात पर विश्वास हो गया कि मां भगवती उसकी मदद के लिए हमेशा उसके साथ है।

वह अपने ज्वार के खेत तक पहुंची और गोतिया में पत्थर रख कर खेत में ज्वार के खेत में आई हुई चिड़ियों को उड़ाने लगी।

खेत की रखवाली करते हुए और चिड़िया उड़ते हुए जब दिन के 11:00 बज गए तो सरिता को प्यास लगी सरिता मचान से नीचे उतरी और पानी पीने के लिए कुछ दूर बहती नदी के पास चली गई।

नदी में पानी पीते ही उसने देखा की एक काला गोखुरा सांप फन फैलाए उसके समीप ही बैठा है। सांप को देखते ही उसने भगवती मां को आवाज़ लगाई। और उसने देखा की सांप अपनी जगह से उछलकर काफी दूर जा पड़ा है और वहां से रेंग कर घास में गायब हो गया।

अब सरिता निर्भय हो गई। उसे विश्वास था कि उसे जब भी संकट आएगा वह अपनी मदद को भगवती मां को बुला लेगी और उसका संकट दूर हो जाएगा।

वह प्रतिदिन बेफिक्री के साथ खेत में आती और खेत की रखवाली करती रहती ।अब उसे कभी डर नहीं लगता था। जब भी डर लगता वह भगवती मां का स्मरण कर लेती और उसे ऐसा लगता था की कोई उसे बातें कर रहा है उसकी हर बात का जवाब दे रहा है।

उन दिनों आसपास के खेतों में पास के जंगलों से आया हुआ बनेले सुअरों का एक दल काफी उत्पात मचा रहा था। सभी किसान रात को अपने खेतों में अलाव जलाकर रखते थे और पूरी रात जाग कर खेतों में आए हुए सुअरों को खदेड़ रहे थे।

विमला के पास अब कोई उपाय नहीं था इसलिए वह अपनी तीनों बेटियों को लेकर रात को खेत की रखवाली के लिए खेत में ही मचान पर जाकर सोने लगी।

रात को अचानक ही उसे 10-15 सूअर खेत की तरफ आते दिखे।

उसने सोई हुई सरिता को पकड़ कर हिला कर जगा दिया और बोली खेत में सूअर घुस आए हैं मैं उन्हें भागने जा रही हूं तुम बच्चों के साथ यही जगती रहना।

सरिता जाग कर बच्चों की रखवाली करने लगी और विमला जलती हुई लड़कियां दोनों हाथों में पकड़े हुए सुरों के पीछे दौड़ी। पर सूअर थोड़ी दूर तक पीछे हटे और और फिर उन्होंने लौट कर खेत पर हमला बोल दिया। अपनी जान बचाकर विमला मचान पर जा चढ़ी।

सरिता को सुअरों पर बहुत गुस्सा आया। वह बिजली की फुर्ती से नीची उतरी और उन्हीं जलती लड़कियों को उठाकर वह सुरों की तरफ दौड़ी। सुअरों को अपने पास आते देखकर उसने मां भगवती को आवाज़ लगाई और गुस्से के साथ उसने सुअरों पर जलती हुई लकड़ी से प्रहार किया। तभी सरिता ने देखा त्रिशूल लिए हुए एक स्त्री सुअरों के झुंड पर टूट पड़ी है और वे दुम दबाकर जंगल की तरफ भागे जा रहे हैं।

सारे सुअरों को भगाकर सरिता मचान पर वापस आ गई।

विमला ने पूछा तुमने सुअरों को कैसे भगाया।

सरिता बोली अपने ही तो कहा था कि तुम्हारे साथ भगवती मां हैं। जब भी खतरा हो या तुम्हें डर लगे तो ,उन्हें याद कर लेना वह हमेशा तुम्हारी मदद को आएंगी। जब सुअरों ने मुझ पर आक्रमण किया तो मैं ने मां भगवती को बुला लिया था और उन्होंने अपने त्रिशूल से सारे सुअरों को भगा दिया।

बेटी की बात सुनकर बिमला को ताज्जुब हुआ। पर वह ये जानती थी की विमला के पास बस्ती में कोई भी नहीं था। पर वह अपनी बेटी का विश्वास नहीं तोड़ना चाहती थी। उसे लगता था कि इस विश्वास के सहारे विमला निर्भीक रहती है। इसलिए उसने बात को सरिता को बिना जवाब दिए, वहीं छोड़ दिया।

विमला अब घर का काम देखती थी और छोटी सी 10 वर्षीय सरिता ज्वार के खेत की रखवाली कर रही थी।

    ज्वार की फसल पक चुकी थी विमला और सरिता ने मिलकर सारी ज्वार की फसल काटकर एक जगह एकत्रित कर ली थी।

ज्वार की कटी हुई फसल को कुछ दिन तक धूप में सूखने के खेत में ही कांटों की बागड़ के बीच फैला दिया गया।

फसल की रखवाली की जिम्मेदारी सरिता की थी।

     दिन और रात को सरिता ही खेत पर रुक कर अपनी फसल की देखरेख कर रही थी। रात को चोरों ने ज्वार के भुट्टे चादरों में बांध लिए और उन्हें ले जाने लगे। अपनी लाठी लेकर छोटी सी बालिका सरिता उनके सामने जा खड़ी हुई। और बोली "चुपचाप मेरी फसल यहीं रख दो और भाग जाओ नहीं तो तुम्हारी खैर नहीं है।"

पांचों कर चोर उस छोटी सी बालिका की बात को सुनकर हंसने लगे और बोले हमें कौन रोकेगा,?? तुम??

सरिता कड़क कर बोली "हां मैं और मेरी भगवती मां।"

"अच्छा तो रोक कर देखो।"

सरिता ने अपना छोटा सा डंडा घुमाया। उसने देखा कि उसका डंडा भूत बेग और गजब की ताकत से घूम रहा है। और जैसे ही उसने एक चोर को मारा, वह वही लड़खड़ा करके गिर पड़ा और सरिता के उसे डंडे में गजब की ताकत और फुर्ती आ गई थी ।सरिता जब भी डंडा घुमाती ,जिस भी चोर को चोट लगती थी लगती ,वह नीचे गिर पड़ता था ।पांचों चोरों की सरिता ने बहुत बुरी तरीके से पिटाई कर दी ।चोरों को विश्वास ही नहीं हो रहा था की इतनी सी लड़की उनकी इतनी भीषण पिटाई करेगी कि वह उठ भी नहीं सकेंगे।

पास के खेतों के लोगों ने जब विमला के खेत में शोरगुल और पुकार सुनी तो वह लोग भागते हुए विमला के खेत में चले आए।

उन्होंने देखा पांच चोर बुरी तरीके से जख्मी हुए खेत में पड़े हैं वे उठ कर खड़े भी नहीं हो पा रहे हैं। और सरिता अपनी छोटी सी लाठी लिए उनके बीच में खड़ी है।

गांव वालों ने सरिता से पूछा इन चोरों को किसने मारा है।

सरिता बोली मैंने ही मां भगवती की कृपा से अपनी इसी लाठी से इन सब की कमर तोड़ दी है।

चोरों ने भी इसी बात की पुष्टि गांव वालों से की।

गांव वाले आश्चर्यचकित रह गए।

घटना की खबर पाकर बिमला भागी हुई खेत में आ पहुंची

और उसने सरिता को अपने गले से लगा लिया।



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