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Priyanka Gupta

Abstract Children Stories Inspirational

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Priyanka Gupta

Abstract Children Stories Inspirational

सपना #prompt 15

सपना #prompt 15

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"मम्मा, प्रियांशी की बर्थडे पार्टी के लिए मुझे नया फ्रॉक चाहिए।" शिवांगी ने अपनी मम्मी से कहा। 

"बेटा, आपके पास पहले से ही इतने सारे फ्रॉक हैं और खरीदकर क्या करोगे ?" मम्मी ने समझाते हुए कहा। 

"क्या मम्मी हम भी गरीब हो गए, जो आप मुझे फ्रॉक नहीं दिलवा रहे।" शिवांगी ने पूछा। 

"नहीं बेटा, बात गरीबी की नहीं है, बल्कि आवश्यकता की है। जब जरूरत नहीं तो क्यों खरीदना।" मम्मी ने कहा। 

"मम्मा जरूरत है तो सही। मेरी दोस्त की बर्थडे पार्टी है।" शिवांगी ने कहा। 

"चलो, अभी तो सो जाओ। कल देखते हैं।" मम्मी ने कहा। 

"पहले पक्का वाला प्रॉमिस करो।" शिवांगी ने कहा। 

"ठीक है, पक्का वाला प्रॉमिस।" मम्मी ने कहा। 

शिवांगी को बिस्तर पर सुलाकर मम्मी अपने कमरे में चली गयी थी। 


अभी शिवांगी की आँख ही लगी थी कि, उसे किसी ने आवाज़ दी। 

"शिवांगी उठो, शिवांगी उठो। "

शिवांगी आँखें मलते हुए उठ गयी थी। शिवांगी की सबसे पसंदीदा येलो फ्रॉक उसे आवाज़ दे रही थी। 

"शिवांगी, चलो तुम्हें कपड़ों की दुनिया में ले चलते हैं। तुम्हें वैसे भी नित रोज़ नयी ड्रेस चाहिए होती है।" तब ही शिवांगी की अलमारी ने आवाज़ दी। 

"हाँ, वैसे भी इसका यहाँ क्या काम है ? इस जैसी लालची लड़की को तो हमारी दुनिया में ही होना चाहिए। जहाँ इसके लालच के कारण हम और कपड़े बना सकेंगे और ऐसे बच्चों को दे सकेंगे जिनके पास पूरा शरीर ढकने को एक कपड़ा भी नहीं है।" शिवांगी की ग्रीन पैन्ट ने कहा। 


"वैसे भी धरती माता ऐसे बच्चों से परेशान हैं, जिनके लालच के कारण धरती माता के दूसरे बच्चों की ज़रूरतें पूरी नहीं होती।" शिवांगी के ब्लू टॉप ने कहा। 

"अरे, आप लोग यह सब क्या कह रहे हैं ? हम गरीब थोड़े न हैं, इसीलिए जितने चाहे उतने ड्रेसेज खरीद सकते हैं।" शिवांगी ने कहा। 

"अरे, आप लोग यह सब क्या कह रहे हैं ? हम गरीब थोड़े न हैं, इसीलिए जितने चाहे उतने ड्रेसेज खरीद सकते हैं।" शिवांगी ने कहा। 

"नहीं, यह अमीरी -ग़रीबी तुम मानवों का फितूर है। प्रकृति ही तुम सबका पालन -पोषण करती है। प्रकृति पर तुम सबका समान अधिकार है। अगर तुम ने अपना लालच नहीं छोड़ा तो यह प्रकृति तुम्हें नष्ट भी कर सकती है।" शिवांगी की येलो फ्रॉक ने कहा। 


"और, तुम जैसे लोगों को कपड़ों की दुनिया में भेजकर भी प्रकृति तुम्हें सजा दे सकती है।" शिवांगी की अलमारी ने कहा। 

"नहीं, मुझे यहीं रहना है। अब मैं बिलकुल लालच नहीं करूँगी। मुझे मत लेकर चलो।" शिवांगी ने अलमारी से दूर हटते हुए कहा। 

"क्या हुआ बेटा ? तुम फर्श पर कैसे गिर गयी ? चिल्ला क्यों रही थी ? कोई बुरा सपना देखा क्या ?" शिवांगी के कमरे की लाइट जला चुकी उसकी मम्मी ने उसके सिर पर हाथ फेरते हुए पूछा। 

"मम्मा, मुझे कल नयी फ्रॉक नहीं चाहिए।" अब तक सब समझ चुकी शिवांगी ने मम्मा के गले लगते हुए कहा। 



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