संगीत [28जून]
संगीत [28जून]
मेरी प्यारी संगिनी
हम में से ऐसा कोई नहीं,,,,,,,, जिसे गीत, संगीत, तथा नृत्य से लगाव नहीं होता, हर एक के अंदर यह प्रतिभा छुपी हुई होती है, बस जरूरत है इसे निखारने की,,,,
जानती हो संगिनी, जब हम बहुत परेशान होते हैं, किसी कारणवश दुखी रहते हैं, तो उस समय, मनपसंद गीत संगीत हमारे भीतर की नकारात्मकता को दूर कर देती है, जोर-जोर से भजन गाने पर हमारा अंतःस्थल पवित्र हो जाता है, तथा ठाकुर जी भी प्रसन्न होते हैं, उनका गुणगान करने से,,,,,
इसीलिए जब भी समय मिले, या जब मन उदास हो, तो ठाकुर जी के सानिध्य में बैठकर, भजन जरूर गाना चाहिए, सुरताल चाहे जैसा भी हो, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता,
आज का "जीवन संदेश"
अपने अंदर की क्रियात्मकता तथा प्रतिभा को जरूर निखारना चाहिए।
आज के लिए बस इतना ही, मिलती हूँ कल फिर से, मेरी "प्यारी संगिनी"।
