आज के लिए बस इतना ही, मिलती हूँ कल फिर से, मेरी "प्यारी संगिनी" आज के लिए बस इतना ही, मिलती हूँ कल फिर से, मेरी "प्यारी संगिनी"
दूसरा साइकिल से कसरत भी हो जाती है दूसरा साइकिल से कसरत भी हो जाती है
अपनी मर्ज़ी के अनुरूप ही आगे बढ़ने देना चाहिए ताकि वो अपने सपनों को जी सकें। अपनी मर्ज़ी के अनुरूप ही आगे बढ़ने देना चाहिए ताकि वो अपने सपनों को जी सकें।
हमें, तन की नहीं, मन की सुंदरता को निखारने पर ध्यान देना चाहिए। हमें, तन की नहीं, मन की सुंदरता को निखारने पर ध्यान देना चाहिए।