Sajida Akram

Horror

4.1  

Sajida Akram

Horror

शी -शी-शी....कोई है...

शी -शी-शी....कोई है...

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झूलती ईज़ी चेयर"

आज21सदी में कोई भी इस तरह की अदृश्य शक्ति के बारे में यक़ीन नहीं करेगा सब यही कहेंंगें सब बकवास बातें हैं लेकिन जो ख़ुद गुज़रता है ।वही जानता है सच्चाई क्या है...।

 हम लोग सरकारी क्वार्टर में रहते थे ,हमारे पड़ोस का घर अक्सर चर्चा में रहता था, आसपास वाले जो पहले से रहते थे ,उन्होंने हर कभी उस घर के किस्से सुनाते रहते हम थोड़ा सहमे रहते ऐसी कौनसी "बलाएं हैं यहाँ क्योंकि एक ही दीवार थी ।

 कुछ दिनों बाद वो क्वार्टर खाली हुआ तो वहाँ एक जज आकर रहने लगे ,नई उम्र के थे , मेरे बच्चों की दोस्ती हो गई ,संडे को बच्चों के साथ क्रिकेट खेलते ।

 एक दिन बेटे ने बताया पास वाले अंकल की शादी हो रही है ,वो अपने साथ अपनी वाईफ को ले आएं ...।

  "उनकी पत्नी भी कम उम्र की थीं मुझसे दोस्ती हो गई ,मुझे आंटी कहती थी ,उनके घर कामवाली ने बता दिया कि यहां कुछ भूत-प्रेत या कुछ और जिन्न का असर है बेचारी डरने लगी ,एक दिन जैसे ही सुरभि हमारे घर आई तो बड़ी हड़बड़ाहट में थी,मैंने पूछा क्या हुआ सुरभि परेशान क्यों हो तो कहती है हमारे घर में जो "ईजी चेयर" हे ना वो अपने आप हिल रही है ।

 मैंने उन्हें समझाया शायद हवा से हिल रही होगी ,फिर मुझसे कहती है आंटी क्या इस क्वार्टर में कुछ गड़बड़ है क्या?  

मुझे शीला कामवाली ने बताया है ,मैंने बहुत दिलासा दिया मगर वो तो इतना डर गई के घर में कुछ भी काम के लिए अंदर जाना हो तो आंटी आप चलो उनके पति जबतक नहीं आते वो मेरे पास ही बैठती ।

 आख़िर में उनके पति का ट्रांसफर हो गया वो चली गई कुछ दिनों बाद मेरे ससुर ने वो क्वार्टर अपने नाम ऐलॉट करा लिया ,हम सब को मालूम था लेकिन ससुर से कौन कहे ,दरअसल मेरी बड़ी ननद की शादी थी मेहमानों की वजह से बड़ा क्वार्टर लिया था।

हम सब ज्वाईन्ट फेमिली में रहते थे सास,ससुर,दो ननद और भी दो तीन कज़िन ब्रदर्स थे ..।

 शादी और दूसरे कामों में हमें ध्यान ही नहीं गया ।

कुछ दिन मेहमानों की गहमागहमी कम हुई तो लगा कभी घर के पंखें कड़कडाती सर्दी में फूल स्पीड पर चल जाते बहरहाल मेरी सास अक्सर मुझे भेजकर बंद करने का कहती ,शायद वो पुराने जमाने की थी ,जानती थी के इस मेरी बहु में कुछ अलग बात है वहां की "शैतानी ताक़त इसको नुक़सान नहीं पहुंचा सकती ,बाक़ी दूसरे घर के मेम्बर को भेजती "लाईट या पंखे बंद करवाने तो बहुत डरते और उनके साथ रात में ,वो "शैतानी ताक़त परेशान करती,नींद में दबा देते चींख़ कर उठ जाते .....।मैंबहुत निडर थी बंद कर देती ,कभी दरवाज़े की सांकल खुल जाती हम उसे भी ख़ामोशी से बंद कर लेते ।

"मगर मैंने एक काम हमेशा किया नमाज़ की पाबन्दी और रोज़ तिलावते क़ुरआन का पढ़ना जारी रखा कभी नहीं डरे ।

सब उस रब का करम रहा ,क़ुरआन की बरकत से वहाँ जो भी चीज़ थी ख़ामोश हो गई और फिर कभी किसी तरह की "ईज़ी चेयर" हिलती हुई नहीं दिखी।सच है शैतानी ताक़तों से बचाने के लिए ,अल्लाह पाक अपने फरिश्ते भी भेजता है ,के वो "शैतानी ताक़त" उनके अच्छे बंदों को सताएं नहीं....।

मेरे बच्चे भी अच्छे से बड़े हुए सारे रिश्तेदारों का आना जाना रहता और हम करीब 10 साल रहे मोहल्ले वालों को हैरत होती के बड़े बहादुर हैं, ये लोग कभी उस घर के बारे में अफवाहें नहीं फैलाई उन लोगों ने 

एक दो बार उस शहर में जाना हुआ लोगों ने बताया के आपके बाद कई लोग रहने आज मगर वहाँ की अदृश्य शक्ति ने उन्हें रहने नहीं दिया एक-दो महीने में ख़ाली करके चले गए ,फिर धीरे-धीरे खंडहरों में तब्दील हो गया वो क्वार्टर...



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