Sajida Akram

Thriller

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Sajida Akram

Thriller

वो कौन था

वो कौन था

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पश्चिम निमाड़ के सुदूरवर्ती इलाकों में आदिवासी बहुल क्षेत्र है। घना जंगल की आम इंसान चला जाए तो भटक जाए आदिवासियों की ही पच्चीस -पचास झोपड़ियां थी। उस गांव में...!

घने जंगलों को ही अपने कुल देवी-देवता मानते हैं। आदिवासियों का रहन-सहन आदि मानव काल सा ही है । खाने-पीने के लिए कंद-मूल, जंगली जानवरों का शिकार करना, जड़ी-बूटियों पर ही निर्भर रहते हैं। उनकी अपनी प्रथाएं प्रचलित है। रमिया असल में आदिवासी क़बिले की नहीं थी। वो अपनी एक सहेली के साथ आदिवासियों के प्रसिद्ध "भागौरिया हाट"के बारे में देखने आती है। रमिया के क्लास में आदिवासी लड़कियां पढ़ती हैं, तो के बारे में हाट बताती रहती है । भागौरिया-हाट" का रिवाज़ है लड़का-लड़की को अगर "पान" खिला दें और लड़की स्वीकार कर लें तो माना जाता है कि लड़की शादी के लिए तैयार है। ऐसे ही झूंझून रमिया को पसंद करता है वो बोल-सुन नहीं पाता है बस इशारे से समझा कर "पान"देता है। रमिया को उसकी सहेली समझाती है, तुम "पान" खा लोगी हो तो झूंझून का प्रेम को स्वीकार कर लोगी।

ऐसे रमिया को उसका सपनों का राजकुमार मिलता है।


 रमिया और झूंझून को अपनी जीवन यात्रा में बहुत मुश्किलें आती है। रमिया अपने घर वालों से भी "झूंझून" के लिए लड़ जाती है। रमिया समझदार और अडिग रहती है।  झूंझून सीधा-साधा आदिवासियों के क़बिले का रहता है। गूंगा-बहरा रहता है। इस वजह से भी रमिया के घर वालों को "झूंझून" से आपत्तियां थी। रमिया का कहना था मैं तो बोल सुन सकती हूं।

"मैं उसकी झूंझून ज़ुबान बनूंगी।

 रमिया और झूंझून की जिंदगी अच्छी गुज़र रही थी। रमिया को बच्चों से बहुत लगाव था पर ईश्वर ने उन्हें सन्तान नहीं दी थी।  


कई बार गर्भवती हुई। उसके बच्चें जन्म से पहले ही समाप्त हो जाते थे। रमिया बड़ी सब्र वाली थी । कभी उसने झूंझून को दुःखी नहीं किया। हमेशा खुश रहने वाली थी। ।

 झूंझून जंगल में शिकार के लिए तीन-चार लोगों के साथ जाता है। धनुष-बाण से जंगली सुअरों का शिकार करने में क्या हादसा होता है...? ये बताने के लिए वो चारों ही नहीं बचते हैं।  


शेष भाग...



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