Nirali Thanki

Romance Thriller

4.2  

Nirali Thanki

Romance Thriller

इंतज़ार- एक बदला

इंतज़ार- एक बदला

35 mins
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" हेल्लो, हाँ अंकल में ठीक हूं आप कैसे हो ? हाँ आज ही लंदन से आई हूं कुछ अधूरा काम है बस उसे पूरा करते ही वापस चली जाऊंगी। आपसे मिलने जरूर आऊंगी। अच्छा, चलो बाय अंकल मेरी बस अा गई। " जिया ने फोन पर अपने अंकल से कहा। 

मुंबई पहुंचकर जिया अपनी फेसबुक फ्रेंड रोमा के घर पेन गेस्ट के तौर पर गई। 

रोमा – तुम यहाँं जबतक चाहो तबतक रह सकती हो।

जिया – बस काम खत्म होते ही चली जाऊंगी।

रोमा – कौन सा काम अधूरा है यहाँं तुम्हाँरा ?

जिया – यार तू तो जानती ही है कि मैं एक राइटर हूं और इस बार गेंगस्टर की लाइफ पर किताब लिखना चाहती हूं तो बस इसी सिलसिले में यहाँं अाई हूं।

रोमा – फिर तो तू सही जगह पर अाई है, मुंबई तो ऐसे गुंडों से भरा पड़ा है कहीं भी छोटा मोटा गली का गुंडा मिल ही जाएगा ।

जिया – मुझे कोई छोटे मोटे गली के गुंडे की लाइफ के बारे में जानने का कोई शोख नहीं है।

रोमा – तो फिर ?

जिया – शोएब मलिक।

रोमा – क्या ? कौन ?

जिया – शोएब मलिक।

रोमा डरते हुए – शो..शो.. शोएब म.. मलिक।

जिया – हाँ।

रोमा – पागल हो गई है क्या ? तू क्या बोल रही है तुझे पता भी है ? तुम जानती भी हो कि शोएब मलिक कौन है ?

जिया – हाँ अच्छे से जानती हूं। अंडरवर्ल्ड का बादशाह, जिसके नाम से पूरी मुंबई कांपती है। सिर्फ मुंबई की नई पूरी दुनिया पर राज करने वाला शोएब मलिक।

रोमा एकटक उसे देखती रहती हैं।

जिया – ऐसे क्या देख रही हो ? सब कुछ सर्च कर के अाई हूं।

रोमा – वो बहुत डेंजरस है जिया !

जिया – पता है, तभी तो उसे चुना है।

रोमा – पापा को पता चला तो वो तुम्हे इस घर में कभी नहीं रहने देंगे यार प्लीज़ तू समझ।

जिया – डोंट वरी मेरी वजह से तुम्हाँरे घर में कोई प्रॉब्लम नहीं आएगी और तुम्हाँरे पापा को बताएगा कौन ? चल बाय मैं किसी काम से बाहर जा रही हूं शाम तक अा जाऊंगी।

रोमा – अब कहाँँ जा रही है तू ?

जिया – पुलिस स्टेशन।

रोमा – पुलिस स्टेशन ? लेकिन क्यों ?

जिया – कितने सवाल पूछती हैं तू ! गैंगस्टर के बारे में इंफॉर्मेशन निकालनी हो तो इंसान पुलिस स्टेशन ही जाएगा न, तू भी ना।

रोमा – ये लड़की पागल हो गई है। बाय।

मुंबई पुलिस स्टेशन,

" में तुम्हाँरी बात समझ गया जिया, लेकिन इसमें खतरा है, शोएब मलिक कोई आम गैंगस्टर नहीं है केड़नेपिंग, स्मगलिंग , किसीको जान से मार देना ये सब उसके लिए आम बात है, तुम्हे सावधान रहना होगा । " कमिश्नर साब ने कहाँ।

जिया – जानती हूं सर, लेकिन शोएब से मिलना मेरे लिए बहुत जरूरी है, बस वो कहाँ मिलेगा ये बता दीजिए।

कमिश्नर साब – ठीक है, अगर कोई भी काम पड़े तो मुझे कॉल करना मैं तुम्हाँरे साथ हूं।

जिया – थैंक्यू सर।

जिया कमिश्नर साब के बताए गए अड्रेस पर पहुंचती हैं। वो शोएब का फार्महाँउस था वो अक्षर वहीं होता है। शोएब के आदमी बाहर पहरा दिए खड़े थे। जिया उसके पास अाई ।

" ओ लड़की किसका काम है ? यहाँं क्या कर रही हैं तू ?" वहाँ खड़े एक आदमी ने कहाँ।

जिया – मुझे शोएब भाई से मिलना है।

वो आदमी – भाई किसी लड़की से नहीं मिलते।

" देखिए ... " जिया ने अपना कार्ड दिखाते हुए कहाँ – मैं एक राइटर हूं और शोएब भाई से इसी सिलसिले में मिलना चाहती हूं प्लीज मुझे अंदर जाने दीजिए।

वो आदमी – रुको मैं भाई से पूछ कर आता हूं।

शोएब हाँथ में सिगरेट लेकर एक बड़ी सी कुर्सी पर बैठा था, वो आदमी उसके पास आया – भाई कोई लड़की अाई है कह रही हैं आपसे मिलना है।

शोएब – इस वक्त मुझे किसी से भी नहीं मिलना, शेरा जाओ उसे मना कर दो।

शेरा – ठीक है भाई।

शेरा जिया के पास आते हुए बोला – भाई इस वक्त नहीं मिल सकते।

जिया – लेकिन क्यों ?

तभी शोएब बाहर आया २७–२८ साल का, ६ फिट हाँईट, चौड़ी छाती, मुंह में सिगरेट, हाँथ में ब्रांडेड घड़ी और आंखो पर काला चश्मा। 

जिया – तो ये है शोएब मलिक, जैसा नाम वैसी ही इनकी पर्सनालिटी।

शोएब ने जिया की तरफ देखा तो देखता ही रह गया "सुना मुझसे मिलना चाहती हो ? क्यों ?" शोएब ने जिया से कहाँ।

जिया – देखिए न भाई मैं कब से कह रही हूं लेकिन आपके आदमी मुझे अंदर ही नहीं आने दे रहे थे। दरअसल मैं एक लेखिका हूं और आप की जीवनशैली के बारे में जानना चाहती हूं। प्लीज़ अगर थोड़ा वक्त आपका दे दे तो...।

शोएब – मैं अभी एक मीटिंग में जा रहाँ हूं, आप कल आजाइए।

वहाँं खड़े उनके सारे आदमी लोग चौंक गए "ये भाई को क्या हो गया है ?" शेरा ने कहाँ। 

जिया ने खुश होते हुए कहाँ – ठीक है थैंक्यू शोएब भाई।

"वैसे भाई एक बात पूछे ?" जाकिर ने डरते हुए कहाँ। 

"पूछो।" शोएब ने कहाँ। 

"वो.. वो.. आपने उस लड़की को एक ही बार में मिलने के लिए हाँ कह दिया, क्यों ?" जाकिर ने कहाँ। 

शोएब – अच्छी लड़की है और मेरे बारे में जानना चाहती हैं तो मैंने हाँ कह दी। क्यों ? तुझे कोई प्रॉब्लम है ?

जाकिर – न.. नहीं तो.. ।

शोएब – फालतू की बातें छोड़ो और जो मैं कहता हूं उसे ध्यान से सुनो। 

एक गोडाउन में चार आदमी आए और किसी ने गोडाउन का शटर बाहर सेे बंद कर दिया, सामने से किसी की हसने की आवाज आई "तुम अंदर तो अा गए हो मगर बाहर जिंदा नहीं जा पाओगे .. हाँ हाँ हाँ हाँ।"

"तू नहीं जानता तूने किसके आदमियों को यहाँं बंद किया है अगर भाई को पता चल गया तो जिंदा तू नहीं बाहर निकलेगा बेटा।" चार में से एक आदमी बोला।

अंदर से एक आधेद उम्र का आदमी हाँथ में गन लेकर आया "क्या बोला बे ? तेरा भाई जो भी हो ये विश्वा किसी से नहीं डरता।" उसने कहाँ।

"देख अभी भी वक्त है छोड़ दें हम सब को, वरना भाई का गुस्सा तू जानता नहीं।"

"कौन है बे तेरा भाई ? जरा हम भी तो देखे !" विश्वा ने कहाँ।

"शोएब... शोएब मलिक।"

"क... क.. कौन ?"

"अख्खा मुंबई का बॉस.. शोएब भाई।"

विश्वा अपने आदमी को थप्पड़ मारते हुए कहाँ "ये क्या किया तुम लोगो ने ? शोएब भाई के आदमी को उठा लाए ? तुम जानते भी हो वो कौन है ?"

"फोन लगा भाई को।" विश्वा ने शोएब के आदमी से कहाँ।

उस आदमी ने फोन विश्वा को दिया।

विश्वा – सोरी भाई माफ़ करना गलती हो गई मुझे पता नहीं था कि ये सब आपके आदमी है, माफ़ कर दीजिए भाई।

शोएब – तुझे तो पता ही होगा कि गलती करने वालो को शोएब कभी नहीं बक्षता। गलती करने वालो का अंजाम सिर्फ मौत है... तभी एक आवाज के साथ गोली चली और विश्वा वही ढेर हो गया।

" गोडाउन में जितना भी माल है लेकर निकलो वहाँं से।" फोन पर शोएब ने अपने आदमियों से कहाँ। 

कुछ देर बाद सब शोएब के पास आए – भाई आप तो कमाल हो इधर बैठे बैठे ही विश्वा का काम तमाम कर दिया, लेकिन ये किया कैसे भाई ?

शोएब – शोएब मलिक एसे ही नहीं बना में। मैने ही भेजा था तुम लोगो को वहाँ और मेरा एक आदमी वहाँं पहले से ही गन लेकर मौजूद था । विश्वा को में कितने दिनों से ढूंढ़ रहाँ था जब पता चला की वो यही मुंबई में है तब मैंने एक प्लान बनाया , तुम्हाँरे जरिए मेरा काम हो गया।

"वाह भाई मान गए आपको !" सब ने कहाँ।

शोएब – जाकिर गाड़ी निकाल हमे उस जेडी की भी अक्कल ठिकाने लगानी है आज कल बहुत उड़ रहाँ है वो।

रास्ते पर ट्रैफिक की वजह से शोएब कार में बैठा गुस्से से लाल पीला हो रहाँ था "कौन है जो ट्रैफिक रोक के बैठा है ?"

"भाई आप शांत हो जाइए में देखता हूं।" जाकिर ने कहाँ। 

गाड़ी के कांच से शोएब की नजर जिया पर पड़ी जो धूप में स्कूटी लेकर खड़ी थी। शोएब ने जिया को देखा तो बस देखता ही रह गया। शेरा और अहमद दोनों इशारे से कुछ बाते कर रहे थे।

अहमद – क्या भाई, कहीं पसंद तो नहीं अा गई ये ?

शोएब – इधर उधर देखते हुए, कौन ?

शेरा – वही स्कूटी वाली।

शोएब – क्या कुछ भी, धंधे में ध्यान दो समझें।

"चलिए ट्रैफिक हट गई, कुछ छोटा सा लफरा हो गया था अब सब ठीक है।" जाकिर ने कार में बैठते हुए कहाँ। लेकिन शोएब का ध्यान बार बार जिया पर जा रहाँ था।

शोएब और उसके आदमी जेडी के घर पहुंचे। डरा धमकाकर ड्रग्स का सारा माल हड़प लिया। जेडी भी कोई आम गुंडा नहीं था मगर शोएब के सामने एक न चलती थी उसकी। शाम हो गई थी शोएब के बताए वक्त पर जिया उनसे मिलने अाई। 

जिया – बहुत सुना है आपके बारे में, आज आपके सामने बैठी हूं मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहाँ है, थैंक्स आपका कीमती वक्त देने के लिए।

शोएब – आपका नाम ?

जिया – जिया चौहाँन।

शोएब – तो मिस जिया ऐसा क्या काम पड़ गया जो आप शोएब मलिक के पास अाई ?

जिया – मैं बस आप का सफर जानना चाहती हूं कि आपने यहाँं तक पहुंचने के लिए कितने संघर्ष किए ? आप ने अपना सिक्का अंडरवर्ल्ड में कैसे जमाया ? ऐसा क्या हुआ था आपके साथ जो आप अच्छाई का रास्ता छोड़ इस बुराई के रास्ते पर चल दिए ?

शोएब ने मुस्कुराते हुए कहाँ – मेरी कहाँनी जानकर आपको कुछ हाँसिल नहीं होगा।

जिया – होगा , बहुत कुछ हाँसिल होगा।

शोएब – मतलब ?

जिया – मतलब कि मेरा प्रोजेक्ट कंप्लीट हो जाएगा।

शोएब – एक ही दिन में तो नहीं सुना पाऊंगा इसलिए आपको हमसे रोज मिलना पड़ेगा, इसी जगह इसी वक्त पर।

जिया – ठीक है मंजूर है। में कल इसी समय अा जाऊंगी ।बाय।

शोएब – बाय। 

जिया दरवाजे तक पहुंचती हैं तभी शोएब ने पीछे से आवाज दी " मिस जिया "

जिया – जी।

शोएब – कुछ नहीं।

जिया – अजीब आदमी है ( मन में बड़बड़ाई )।

दूसरे दिन सुबह,

जिया ने रोमा को जगाते हुए कहाँ – हैप्पी बर्थडे रोमा।

रोमा – थैंक्स।

जिया – क्या हुआ ? उदास क्यों हो ?

रोमा – बर्थडे भी घर पर ही बिताना पड़ेगा।

जिया – क्यों ?

रोमा – पापा पार्टी में जाने की परमिशन कभी नहीं देंगे।

जिया – बस इतनी सी बात ! तो तुम्हे पार्टी में जाना है यही न ?

रोमा – ह्म्म...।

जिया – बस सबकुछ मुझ पर छोड़ दो हम रात को पार्टी में जरूर जाएंगे।

रोमा – सच्ची.. ?

जिया – मुच्ची..।

रोमा – थैंक्यू जिया।

जिया · अरे कोई बात नही दोस्ती में सब चलता है।

रात को सब खाने के लिए साथ बैठे थे, तभी जिया ने सूरज सिंह जो कि रोमा के पापा है उससे कहाँ – थैंक्स अंकल आपने मुझे अपने घर पर रहने दिया।

सूरज सिंह – तुम हमारी रोमा की दोस्त हो जितने दिन चाहो उतने दिन यहाँं रह सकती हो।

 जिया का फोन बजा उसने उठाया – हेल्लो... क्या ? कब ? ठीक है मैं अभी आती हूं आप चिंता मत कीजिए।

सूरज सिंह – क्या हुआ बेटा ? किसका फोन था ?

जिया – वो अंकल यहाँं मेरे एक बुजुर्ग अंकल रहते हैं उसकी तबीयत अचानक खराब हो गई इसलिए मुझे इसी वक्त वहाँ जाना होगा। अंकल क्या मैं रोमा को अपने साथ ले जा सकती हूं ?

सूरज सिंह – हाँ हाँ जरूर।

जिया – थैंक्स अंकल, चलो रोमा।

दोनों फटाफट कार के पास पहुंची। ड्राइवर को ना बोलकर जिया खुद ड्राईवर की सीट पर बैठ गई और रोमा उसके पास।

रोमा – तुम्हारे अंकल कहाँ रहते है जिया ?

जिया – कौन अंकल ?

रोमा – वही जिसकी तबीयत ठीक नहीं है जिसे देखने जा रहे हैं हम।

जिया – यहाँं मेरे कोई अंकल नहीं रहते।

रोमा – क्या ? तो फिर हम कहाँ जा रहे हैं ?

जिया – पार्टी में।

रोमा – क्या !

जिया – हाँ , मैंने तुम्हाँरे पापा के सामने छोटा सा ड्रामा किया और वो मान गए।

रोमा – ये गलत है, अगर पकड़े गए तो वाट लग जाएगी।

जिया – कितना सोचती हो तुम ! बापरे.. ! सारे टेंशन को छोड़कर let's enjoy baby.......। फूल स्पीड में गाड़ी चलाकर दोनों क्लब पहोंची। क्लब में दोनों ने खूब डांस किया। शोएब और उसके आदमी लोग भी उस क्लब में आए हुए थे।

जाकिर – भाई, उधर देखिए।

शोएब – क्या है जाकिर ?

जाकिर – देखिए तो सही।

शोएब ने उधर देखा – अरे ! ये इस क्लब में क्या कर रही है ? शोएब ने जिया का ऐसा रूप पहली बार देखा । इसे देखकर कोई नहीं कहेगा कि ये वो जिया है। इसे समझना सच में मुश्किल है।

रोमा के मना करने के बाद भी जिया व्हिस्की के ग्लास पे ग्लास घटका रही थी।

रोमा – जिया बस भी करो अब प्लीज़ चलो अब यहाँं से।

जिया को अब चढ़ गई थी इसलिए अब उसको कंट्रोल करना रोमा के लिए मुश्किल था। जिया की नजर शोएब पर गई, वो लड़खड़ाती हुई शोएब के पास पहुंची – तुम ? तुम यहाँं क्या कर हो ? 

शोएब – जिया संभालो खुद को।

रोमा का तो शोएब को देखकर बुरा हाँल था, डर के मारे पूरी कांप रही थी वो। शोएब ने रोमा की तरफ देखते हुए कहाँ – इतनी पीने क्यों दी इसको ?

रोमा – सोरी भाई वो...।

 जिया अब स्टेज पर गई – सुनो सुनो सुनो... लेडीज एंड जेंटलमैन , आज हमारे बीच में है सबके बाप शोएब मलिक... ये अब हमारे लिए गाना गाएंगे... शोएब मलिक के लिए तालियां....।

शोएब – जिया क्या कह रही हो ? देखो तुम होश में नहीं हो, चलो यहाँं से।

जिया – मैं तुम्हाँरी कोई गुलाम नहीं हूं समझें ये रौब किसी और को दिखाना, दुनिया डरती होगी तुमसे लेकिन जिया चौहाँन नहीं।

शोएब खामोशी से जिया को सुन रहाँ था "ठीक है गा रहाँ हूं बस खुश।"

जिया – महाँ खुश ही ही ही।

शोएब अब स्टेज पर आया माइक हाँथ में लेकर गाना शुरू किया।

मुझ को पहचान लो में हूं डॉन...।

जाकिर – क्या भाई ये तो सब को पता है आप कौन है, रोमांटिक गाना गाइए भाई रोमांटिक।

शोएब – रोमांटिक ? रुको सोचता हूं।

शोएब के सारे आदमी हस रहे थे। शोएब ने फिर से गाना शुरू किया। शोएब ने जिया की और देखा जो नशे में चूर मुस्कुराती हुई शोएब को देख रही थी। शोएब ने उसकी और देखते हुए गाना शुरू किया।

देखा जो तुमको ये दिल को क्या हुआ है,

मेरी धड़कनों पे ये छाया क्या नशा है....,

सब शोएब को देख कर शौक थे। 

शेरा – भाई का ये रूप पहले कभी नही देखा। क्या ये शोएब मलिक ही है !

जाकिर – प्यार बुरे से बुरे इंसान को भी बदल देता हैं।

शेरा – प्यार और वो भी भाई को ? हो ही नहीं सकता।

जाकिर – देखता जा आगे आगे होता क्या है, जाकिर ने फोन ऑन कर के वीडियो शूट करने लगा।

महोब्बत होना जाए, दीवाना खो ना जाए

संभालू कैसे इसको मुझे तू बता....।

गाना खत्म हुआ खूब तालियां बजी। शोएब जिया के पास आया – जिया अब चलो यहाँं से।

जिया – नहीं मुझे यही रहना है।

शोएब – तो तुम ऐसे नहीं मानोगी।

शोएब जिया को गोद में उठाकर बाहर ले आया। अपने आदमी को नींबू पानी लाने को बोला, और जिया को पिलाया।

शोएब – इसका होश में आना जरूरी है।

रोमा – प्लीज़ जल्दी कुछ कीजिए पापा के फोन पे फोन अा रहे हैं।

 कुछ देर बाद जिया थोड़ी होश में आई और शोएब ने उन दोनों को घर छोड़ दिया। सुबह जिया उठी उस के सिर में बहुत दर्द हो रहाँ था। रोमा गुस्से से जिया को घुर रही थी।

रोमा – उठ गई मैडम ?

जिया – सोरी, कल रात कुछ ज्यादा ही....।

रोमा – सोरी मुझे नहीं उस शोएब मलिक को कहो कितना परेशान किया है तुमने उनको कल, अगर वो नहीं होते तो तुम्हे घर तक पहुंचना मेरे बस की बात नहीं थी।

जिया – अच्छा ठीक है भूल जा सब।

रोमा – ओके, कुछ भी कहो लेकिन मज़ा आया।

जिया – है ना...।

चल मैं दोपहर को मिलती हूं अभी मुझे काम से बाहर जाना है, बाय।

रोमा – तू और तेरे काम मुझे कभी समझ नहीं आएंगे।

जिया – ज्यादा दिमाग मत लगाओ।

अहमद भागता हुआ आया – भाई... भाई किसी ने कल रात हमारे गोडाउन में आग लगा दी सारा माल जल कर खाक हो गया और वहाँ एक कागज का टुकड़ा मिला जिसमे लिखा.. आप खुद ही पढ़ लीजिए। शोएब ने कागज पढ़ा जिसमे लिखा था " शोएब मलिक तेरी बर्बादी अब शुरू, अपनी उल्टी गिनती शुरू करदे, ये है तेरी बर्बादी का पहला तोहफा।"

जाकिर – भाई कोन हो सकता है ? 

अहमद – भाई कही ये काम जेडी का तो नहीं ?

शेरा – वही हो सकता है।

शोएब – नहीं, ये जेडी का काम नहीं हो सकता।

जाकिर – तो फिर कौन हो सकता है ?

शोएब – जो भी है ज्यादा दिन मुझ से बच नहीं सकता।

वासु दौड़ता हुआ आया – भाई... भाई.. उस लड़की का फोन है।

शोएब – कौन लड़की बे ?

वासु – अरे वही लेखिका मैडम।

शोएब – जिया ! लेकिन मेरा नंबर कहाँ से मिला उसको ?

जाकिर – कहीं न कहीं से निकलवा लिया होगा, भाई बात कीजिए ना ।

शोएब – हेल्लो जिया...।

जिया – सोरी... सोरी.. कल के लिए एंड थैंक्यू मुझे घर पहुंचाने के लिए।

शोएब – इट्स ओके।

जिया – आप मुझसे नाराज़ तो नहीं है न ?

शोएब – नहीं... बिल्कुल नहीं।

जिया – तो फिर आज की मीटिंग पक्की न ?

शोएब – हाँ पक्की।

जिया – थैंक्यू सो मच, बाय।

 शोएब मुस्कुराने लगा। 

"क्या भाई ? क्या बात है ? आपको ऐसे मुस्कुराते हुए पहली बार देखा।" अहमद ने कहाँ।

शोएब – कोई बात नही है, क्या आप लोग भी, कुछ भी।

जाकिर – क्या भाई , डर तो नहीं लग रहाँ ना ?

शोएब – डर ? किससे ?

जाकिर – प्यार से।

शोएब – उसका कॉलर पकड़ते हुए प्यार और शोएब मलिक को हो ही नही सकता।

जाकिर – दिख रहाँ है भाई ।

शोएब उठकर वहाँं से चला गया।

अहमद – यार जाकिर, हमारे भाई हाँथ से गए।

सब हसने लगे। शाम को जिया शोएब से मिलने अाई। 

शोएब – जब

जिया – सोरी... वैसे गाना बहुत अच्छा गा लेते हैं आप, शोएब मलिक से ये एकस्पेक्ट नहीं किया था।

शोएब – एकस्पेक्ट तो मैंने भी नहीं किया था कि इतनी सिधिसाधी लड़की क्लब में दारू भी पिती है।

जिया – कभी कभी हो जाता है, तो शुरू करे।

शोएब – पूछो।

जिया – आपका बचपन कैसा था ?

शोएब – दर्दनाक और संघर्ष से भरा। मैं एक मिडल क्लास फैमिली से हूं। घर में मेरे मां बाप रोज झगड़ते थे। कभी कभी झगड़ा इतना बढ़ जाता था कि बात हाँथापाई तक पहुंच जाती थी। रोज रोज के झगड़े से में तंग आ गया था। बचपन में मैं हकलाता बहुत था तो स्कूल में भी सब मेरा मजाक उड़ाते थे। एक दिन मैने स्कूल छोड़ दी। मां बाप को पता चला तो मेरे बाप ने भी मुझे बहुत मारा, और गुस्से से मां को लेकर कहीं चला गया शाम को खबर मिली कि एक ट्रक ने उसकी बाइक को टक्कर मार दी और वहीं उन दोनों की मौत हो गई।

जिया – फिर ?

शोएब आगे बोलने ही वाला था कि जाकिर उसके पास आया और बोला – भाई जेडी को ले आए हम।

शोएब – ठीक है बिठा उसको, मैं आता हूं। 

सोरी जिया मुझे जाना होगा बाकी की कहाँनी कल ठीक है।

जिया – कोई बात नही।

जिया वहाँं से चली जाती हैं, शोएब जेडी के पास आता है। 

जेडी – मुझे इस तरह लाने का क्या मतलब है ?

शोएब – मैंने तुझे पहले भी कहाँ था कि अपनी औकात में रह, मेरे गोडाउन में आग क्यों लगाई ? बोल ? वरना यही ठोक दूंगा तुझे।

जेडी – शोएब मैं सच कह रहाँ हूं मैंने तेरे गोडाउन में आग नहीं लगाई , कल मैं मुंबई से बाहर था चाहो तो किसी से भी पूछ लो।

शोएब ने इशारे से जाकिर को कुछ कहाँ।

शोएब – वो तो मैं पता लगा ही लूंगा, और अगर तेरा हाँथ हुआ तो कल तक तू जिंदा नहीं बचेगा।

जाकिर – भाई ये सच कह रहाँ है, ये कल बैंगलोर में था।

शोएब – आज तो तू बच गया, छोड़ दो इसको।

शाम को जिया अाई – क्या हुआ आप कुछ परेशान लग रहे हैं ?

शोएब – कुछ खास नहीं।


जिया – ओके, तो आपके मा बाप की मौत के बाद क्या हुआ ?


शोएब – मैं सिर्फ १२ साल का था, क्या करू कुछ समझ नहीं आ रहाँ था क्योंकि पेट की भूख मिटान के लिएे कुछ तो करना ही पड़ेगा इसलिए मैं एक चाय वाले की दुकान में काम पर लग गया। रोज चाय वाले की गालियां खाता। उसका टॉर्चर दिन ब दिन बढ़ता गया एक दिन गुस्से में आकर मैंने उस चाय वाले को पीट दिया और वहाँं से भाग गया।


जिया – फिर ?


शोएब – फिर शेट्टी नाम का एक शक्स मेरे पास आया और कहाँ सलीम भाई के लिए काम करेगा ? दुगना पैसा मिलेगा। पैसों का नाम सुनते ही मैंने बिना सोचे हाँ कह दिया। शेट्टी मुझे सलीम भाई के पास ले गया। सलीम भाई कौन था ये वहाँ जाकर पता चला। वो एक गैंगस्टर था।

जिया – आप को किस तरह का काम दिया गया ?

शोएब – एक खबरी का।

जिया – खबरी का ? वो भी इतने छोटे से बच्चे से ?

शोएब – बच्चे पर कभी कोई शक नहीं करेगा इसलिए में सलीम भाई के जितने भी दुश्मन थे वहाँ काम कर ने के बहाँने जाता था और उसकी सारी खबरें सलीम भाई को देता था, और वही से मेरे गैंगस्टर की दुनिया का सफर शुरू हुआ।

जिया – ओह.. फिर ?

शोएब – धीरे धीरे वक्त बीतता गया मैं सलीम भाई का दाहिना हाँथ बन गया । दस साल बीत गए, मैं बीस साल का हो गया। एक दिन खबर मिली कि सलीम भाई को किसी ने गोली मारकर मार डाला। मेरे गुस्से की कोई सीमा ना रही, मैंने सबका पता लगा कर सब को मार डाला, उनमें से एक पुलिस का बेटा था, इसलिए मुझ पर केस हुआ, कई मुकदमे चले।

जिया – फ़िर तो आप जेल में भी गए होंगे ? इतने कत्ल करने की सजा सिर्फ मौत होती हैं तो फिर आप वहाँं से कैसे निकले ?

शोएब – वो... आगे कहने ही वाला था कि अहमद का फोन आया।

अहमद – भाई जल्दी यहाँं आइए कुछ लोचा हो गया है।

शोएब – अब क्या हुआ ? ठीक आता हूं। सोरी जिया मुझे जाना होगा।

जिया – कोई बात नहीं आप जाइए, बाकी कल मिलेंगे।

शोएब – क्या हुआ सब के मुंह लटके हुए क्यों है ? जाकिर क्या हुआ ?

जाकिर – भाई वो... हमारे आदमियों को पुलिस ने पकड़ लिया है।

शोएब – क्या ? कैसे ?

जाकिर – वो लोग माल सप्लाय के लिए जा रहे थे तभी रास्ते में ही पुलिस ने उसे पकड़ लिया और सारा माल बरामद कर लिया।

शोएब – लेकिन पुलिस को कैसे पता चला ? किसने बताया उसको ?

अहमद – पता नहीं भाई, कोई तो है जो हमारे पल पल की खबर पुलिस को दे रहाँ है।

शोएब – माल सप्लाय होने वाला था ये बात हम चारो के अलावा और कोई नहीं जानता था फिर ये बात पुलिस तक कैसे पहुंची ?

कुछ देर बाद शोएब को अननोन नंबर से मेसेज आया "तेरी बर्बादी का दूसरा तोहफा" शोएब ने गुस्से से फोन दीवार पर फेंका " कौन है तू ? पीछे से क्यों वार कर रहाँ है ? हिम्मत है तो सामने अा।" 

जाकिर – भाई शांत हो जाइए।

रोमा का घर,

जिया अकेले बैठी बैठी मुस्कुरा रही थी तभी रोमा की मा जानकी वहाँ अाई।

जानकी – क्या बात है जिया ? बड़ी खुश नजर आ रही हो !

जिया – हाँ आंटी आज मैं बहुत खुश हूं, वजह कुछ भी नहीं है बस ऐसे ही।

जानकी – बस ऐसे ही खुश रहना।

जिया – जी आंटी।

शाम को जिया शोएब से मिलने अाई।

जिया – क्या बात है आप कुछ टेंशन में लग रहे है ? कुछ प्रॉब्लम है ?

शोएब – नहीं वो हमारे कुछ आदमियों को पुलिस ने पकड़ लिया है ।

जिया – क्या ?

शोएब – कुछ भी करके उन लोगों को छुड़ाना होगा।

जिया – बस इतनी सी बात ! वो सब आप मुझ पर छोड़ दीजिए।

शोएब – तुम कैसे करोगी ?

जिया – कल सुबह तक आपके आदमी आपके पास होंगे।

शोएब – मैं कुछ समझा नहीं ?

जिया – कमिश्नर साब से मेरी पहचान है मैं उनसे बात करके उन लोगों को छुड़वा दूंगी।

शोएब – रोज तुम्हाँरे अलग अलग रूप सामने आ रहे हैं।

जिया – तो अधूरी कहाँनी आगे बढ़ाए ?

शोएब – हाँ क्यों नहीं !

जिया – आप पर मुकदमे चले फिर आगे क्या हुआ ?

शोएब – शंकर सिंह नाम का एक जज था मैने कई बार उसे समझाया कि फैसला बदल दे मगर उसने मेरी एक न सुनी बहुत सत्यवादी बन रहाँ था, पहले उसने मेरा कहाँ मान लिया और भरोसा दिलाया कि वो कोर्ट में मुझे निर्दोष जाहिर करेगा लेकिन कोर्ट में उसने फैसला बदल दिया और मुझे फांसी की सजा सुनाई गई। मुझे उस जज पर बहुत गुस्सा आया, उस रात मैं जेल से कैसे भी करके भाग गया और जज के घर गया, उस जज और उसके पूरे परिवार को मैंने मौत के घाट उतार दिया।

जिया की आंखो में नमी उतर आई – ये आपने बहुत ग़लत किया वो तो सिर्फ सच का साथ दे रहे थे इसमें उसकी या उसके परिवार की क्या गलती थी ?

शोएब – उसे मारना मेरी मजबूरी थी जिया। मैंने उसे बहुत समझाया था मगर उसने मुझे धोखा दिया, इसलिए उसे मारना पड़ा और ये सब हमारे धंधे में चलता है। यहीं हम गैंगस्टरों का काम है।

जिया – आगे..।

शोएब – उसके बाद सलीम भाई की जगह मुझे बिठाया गया। धीरे धीरे मेरा कहर चारो और बढ़ने लगा। यहाँं तक कि पुलिस भी मुझसे डरने लगी थी किसी में भी मेरे खिलाफ उंगली उठाने की हिम्मत नहीं हुई, किडनैपिंग, स्मगलिंग, किलिंग कोई ऐसा गुनाह नहीं जो मेने न किया हो सिवाय एक के।

जिया – और वो क्या ?

शोएब – मैंने कभी किसी औरत के मान को कभी ठेस नहीं पहुंचाई।

जिया – आगे क्या हुआ ?

शोएब – वक्त के साथ साथ मैने पूरे मुंबई शहर में अपना सिक्का जमा लिया, "शोएब मलिक" डरने के लिए सिर्फ नाम ही काफी हो गया, बस कुछ ऐसी है मेरी कहाँनी।

जिया – एक बात कहूं ?

शोएब – कहो।

जिया – यह सब काम छोड़ क्यों नहीं देते ? क्या रखा है ऐसी जिन्दगी में ?

शोएब – मैं ये काम नहीं छोड़ सकता, तुम्हें पता है जिया जब छोटा था तब दरबदर काम के लिए खाने के लिए भटकता रहता था तब किसी ने उस छोटे बच्चे पर दया नहीं है दिखाई, तो मैं क्यों दिखाऊं लोगो पर दया ? अगर उस वक्त किसी ने मुझे संभाला होता तो आज मैं शोएब मलिक कभी नहीं बनता। मेरे शोएब मलिक बनने के पीछे इन्हीं लोगों का हाँथ है, और जो मेरे रास्ते में आएगा मे उन्हें नहीं बक्षुगा।

जिया को अब धीरे धीरे शोएब समझ में आ रहाँ था। वो समझ चुकी थी कि यही समाज, यही लोग शोएब की इस हाँलत के जिम्मेदार है। 

जिया – ठीक है अब मैं चलती हूं अब आपको परेशान नहीं करूंगी।

शोएब – मतलब।

जिया – कहाँनी खत्म हो गई अब मिलने की कोई वजह नहीं है।

शोएब – क्या हम बिना वजह नहीं मिल सकते ?

जिया – किसलिए ?

शोएब – बस ऐसे ही।

जिया – मिल सकते है लेकिन यहाँं नहीं।

शोएब – क्यों ?

जिया – यहाँं मेरा दम घुटता है, कहीं खुली जगह पर मिलते हैं।

शोएब – जैसे ?

जिया – गार्डन में।

शोएब – बच्चे मुझे देखकर भाग जाएंगे।

जिया – ऐसा कुछ नहीं होगा हम उस टाइम मिलेंगे जब वहाँ कोई आता जाता न हो।

शोएब – अकेले मेरे साथ ?

जिया – क्यों ? में आपके साथ अकेले नहीं अा सकती ?

शोएब – तुम्हे मुझसे डर नहीं लगता ?

जिया – नहीं बिल्कुल नहीं लगता।

शोएब – क्यों ?

जिया – कल बताऊंगी, बाय।

कहीं न कहीं जिया ने शोएब के दिल में एक अलग जगह बना ली थी। शोएब दिन रात सिर्फ जिया के बारे में सोचने लगा। उधर जिया का भी यही हाँल था। जिया आईने के सामने खड़ी होकर खुदको देखने लगी "ये क्या हो गया है तुझे जिया ? नहीं नहीं तू शोएब से प्यार नही कर सकती। भूल गई क्या ? तू यहाँं किसलिए अाई है !

शोएब ड्रिंक का ग्लास हाँथ में लेकर जाकिर, अहमद और शेरा के साथ बैठा सोच रहाँ था कि आखिर वो कौन है जो मेरी बर्बादी चाहता है ? तभी जिया का फोन आया, शोएब उठकर दुर बात करने चला गया।

अहमद – भाई कहाँं चल दिए ?

जाकिर – भाभी का फोन है यहाँं सब के सामने थोड़ी ना बात करेंगे , दफ्फर।

जिया – कैसे हो ?

शोएब – ठीक हूं, इस वक्त फोन क्यों किया ? कोई परेशानी है ?

जिया – अरे अरे अरे रुको बाबा... कोई परेशानी नहीं है बस ऐसे ही फोन किया।

शोएब – तो फिर ठीक है।

जिया – वो पास में एक गार्डन है हम कल रात में वहाँ मिले ?

शोएब – रात को ? गार्डन में ? पागल हो गई हो क्या ?

जिया – क्यों ? रात को दो दोस्त नहीं मिल सकते ?

शोएब – दोस्त ?

जिया – हाँ।

शोएब – मिल सकते है, जरूर मिल सकते है।

जिया – तो कल रात १० बजे।

शोएब – ठीक है अा जाऊंगा।

शोएब बात करके वापस आया।

जाकिर – क्या बात है भाई ? चोरी चुपके भाभी से बात !

शोएब – भाभी होगी तेरी... तुम लोग कुछ ज्यादा ही सिर पर चढ़ते जा रहे हो।

अहमद – क्या भाई ? जब मिलो तब आई लव यू बोल ही देना भाभी को।

जाकिर – सच बोला अहमद तूने।

शोएब – तुम सब को चढ़ गई है जाओ जाकर सो जाओ।

दूसरे दिन सुबह,

शोएब – जाकिर उस माल का क्या हुआ जो आज आने वाला था ? आया क्यों नहीं अबतक ? उसे चेक करके भिजवाना है हमे, पूछो जरा शैयद को ?

जाकिर – जी भाई अभी पूछता हूं।

शोएब – ये अहमद कहाँ मर गया ? अहमद...।

अहमद दौड़ता हुआ – आया भाई..।

शोएब – जल्दी चल हमे समंदर के जहाँज का काम देखने जाना है।

अहमद – चलिए भाई।

दोनों जहाँज का काम देखने चले गए। वहाँ पहुंचकर शोएब सारे माल को चेक करने लगा क्यों की शोएब की निगरानी में ही सारे बॉक्स सिल होते हैं वो माल को अपने हाँथो से चेक करता और फिर बॉक्स सिल होते। शोएब ने सारे बॉक्स को रख कर जहाँज को दुबई के लिए रवाना किया।

रात को सब अपने अपने कमरे में चले गए मौका पाते ही जिया घर से निकल कर गार्डन पहोंची देखा तो शोएब पहले से ही वहाँ बैठा था।

जिया – क्या बात है ? बड़ी जल्दी अा गए !

शोएब – वो क्या है न कि लड़की इतनी रात को अकेले यहाँं बैठे ये मुझे गवारा नहीं था , इसलिए ।

जिया – ओह.. बड़ी फिक्र हो रही है हमारी !

शोएब – हम्म्म...।

जिया – वैसे हम कराटे में ब्लैक बेल्ट है।

शोएब – अच्छा.. फिर तो थोड़ा संभलकर चलना पड़ेगा आपसे।

दोनों काफी देर बात करते रहे। "चले अब काफी देर हो गई।" जिया ने कहाँ।

शोएब – चलो।

 दोनों गार्डन के बाहर आते हैं ।

शोएब – जिया, तुम यहीं रुको मैं एक मिनिट में आया, कहीं जाना मत।

जिया – ठीक है।

जिया को किसी के हसने की आवाज आई , कौन हैं ? जिया धीरे धीरे आगे बढ़ने लगी । वहाँ कुछ दुर तीन चार लड़के दारू पीकर बैठे हुए थे। " आहाँ.. देख भई क्या लड़की है " एक लड़के ने कहाँ। जिया को गुस्सा बहुत आया मगर वो चुप रही और वहाँ से जाने लगी तभी दूसरे लड़के ने उसका हाँथ पकड़ लिया "कहाँं जा रही हो जानेमन ? रात को अकेले बाहर नहीं निकलना चाहिए।"

जिया – तुम सब नहीं जानते कि तुम सब किससे पंगा ले रहे हो ? अगर उसे पता चल गया तो तुम लोग कल का सूरज नहीं देख पाओगे, हिम्मत है तो छुके दिखा।

वो लड़का जिया को छूने के लिए आगे बढ़ा जिया ने एक जोरदार मुक्का उसके मुंह पर मारा और वो जमीन पर गिर गया। "साली, मेरे दोस्त को मारा तूने रुक तुझे तो मैं।" बोलता हुआ दूसरा लड़का आया उस लड़के ने एक जोरदार थप्पड़ जिया को मारा , जिया के होठं के कोने में से खून निकलने लगा, और वो लड़का उसके दुपट्टे की और बढ़ा "दिखाता हूं तुझे तेरी औकात।" जैसे ही उसने दुपट्टे को पकड़ना चाहाँ कि किसी ने उसका हाँथ पकड़ लिया "कौन है बे ?" उस लड़के ने बोलते हुए उसकी तरफ देखा, वो डर के मारे वही खड़ा कांपने लगा "शो... शोएब भाई.." उस ने कहाँ। 

शोएब – क्यों बे ? लड़की छेड़ता है ?

वो लड़का – भाई माफ़ करदो गलती हो गई।

शोएब – गलती करने वालो को शोएब कभी नहीं बक्षता।

शोएब ने सब को वहीं मार डाला। 

शोएब – मना किया था न तुम्हें कि यही रहना कहीं जाना मत, फिर क्यों इस तरफ अाई ?

जिया – आई लव यू।

शोएब – तुम्हे अंदाजा भी है रात को ये जगह लड़कियों के लिए ठीक नहीं है, क्यों नहीं समझती ?

जिया ने मुस्कुराते हुए कहाँ – आई लव यू।

शोएब – इतना भी बचपना ठीक नहीं है जिया, अगर कुछ हो जाता तो ?

जिया – आई लव यू।

शोएब – तुम.. क्या ? क्या कहाँ फिर से कहो ?

जिया – आई.. लव.. यू।

  जिया ने कस कर शोएब को गले लगा लिया। " तुम सच कह रही हो ? " शोएब ने कहाँ। 

जिया – हाँ..।

थोड़ी देर बाद जिया शोएब से अलग हुई, शोएब ने देखा कि जिया के होंठ से काफी खून बह रहाँ है। उतने में बारिश शुरू हो गई, शोएब जिया को एक पेड़ के नीचे ले गया और रुमाल से उसका खून साफ करने लगा ।

शोएब – दर्द हो रहाँ है क्या ?

जिया – तुमने छू लिया अब ज्यादा नहीं हो रहाँ।

शोएब – तुम भी न जिया।

जिया – शशश... जिया ने शोएब के होठों पर अपनी उंगली रखते हुए कहाँ कुछ मत बोलो।

शोएब ने जिया के होठ के कोन को चूमते हुए कहाँ – इतनी नादानी अच्छी नही है थोड़ी संभल जाओ।

जिया – तुम हो न मुझे संभालने वाले।

बाते करते करते जिया ने देखा कि कोई बंदूक ताने दुर खड़ा है और उसने शोएब की ओर शूट किया, जिया ने शोएब को धक्का दे दिया और गोली सीधी जिया के कंधे पर लगी।

शोएब – जिया.....।

जिया बेहोश हो गई, वो शूटर वहाँं से भाग गया।

शोएब जिया को हॉस्पिटल ले गया , कुछ देर बाद डॉक्टर आए।

शोएब – क्या हुआ डॉक्टर जिया ठीक है ना ?

डॉक्टर – चिंता की कोई बात नहीं है, हमने गोली निकाल दी है, एक घंटे के अंदर इसको होश अा जाएगा।

शोएब – थैंक्यू डॉक्टर।

जाकिर और अहमद खबर मिलते ही वहाँं अा पहुंचे।

जाकिर – भाई क्या हुआ ? भाभी ठीक है ना ?

अहमद – ये सब कैसे हुआ भाई ?

शोएब – किसी ने मुझ पर गोली चलाई लेकिन जिया बीच में अा गई, मुझे बचाने के लिए खुद की जान दाव पर लगा दी।

जाकिर – भाई ये कौन हैं जो हाँथ धोकर हमारे पीछे पड़ा है।

शोएब – जो भी है जाकिर, में छोड़ूंगा नहीं उसे।

एक घंटे बाद जिया को होश अा गया दायांं हाँथ पट्टियों से बंधा था। शोएब, जाकिर और अहमद जिया के पास आए।

जिया – तुम ठीक हो शोएब ?

शोएब – उसके पास जाते हुए , अरे लेटी रहो, मैं ठीक हूं।

शोएब जिया के पास बैठ गया। "तुम सच में पागल हो जिया, ऐसा कौन करता है ?" शोएब ने कहाँ।

जिया – जिया चौहाँन।

पह सुनकर सब हंसने लगे। "भाभी आप बहुत अच्छी हो।" अहमद ने कहाँ।

जिया – भाभी ?

जाकिर – हम तो कबसे आपको भाभी मान चुके हैं।

जिया – अच्छा !

जाकिर – हाँ।

शोएब – बंद करो अपनी बकवास और भागो यहाँं से, जिया को परेशान मत करो।

जाकिर – चल भाई अहमद, भाई हुए पराए दुश्मन हुआ जमाना।

अहमद – हम नहीं, अगर कोई जाएगा तो वो है भाई और भाभी।

शोएब – मतलब ?

अहमद – भाई आपका यहाँं रहना अब खतरे से खाली नहीं है, आपके साथ साथ भाभी को भी खतरा है, जब तक वो मिल नहीं जाता तब तक आप भाभी को लेकर थोड़े दिन कहीं दुर चले जाओ।

जाकिर – अहमद सही कह रहाँ है भाई, थोड़े दिन कहीं दुर चले जाइए भाभी को लेकर।

शोएब – लेकिन यहाँं काम अधूरा छोड़ कर मैं नहीं जा सकता।

जाकिर – भाई यहाँं हम सब संभाल लेंगे, आप बेफिक्र होकर जाइए।

जिया – ये लोग सही कह रहे हैं शोएब, मैं रोमा को बोल दूंगी कि में किसी काम से शहर से बाहर जा रही हूं एक हफ्ते बाद लौटूंगी।

शोएब – ठीक है। थोड़ी देर बाद जाकिर आया, भाई ये लीजिए दो गोवा की टिकिट्स , जाइए और कुछ दिन एन्जॉय कीजिए, यहाँं की बिल्कुल चिंता मत कीजिए हम सब संभाल लेंगे।

शोएब जिया को लेकर गोवा चला गया। शोएब ने वहाँ जिया का खूब ख्याल रखा। जिया भी अब बिल्कुल ठीक हो गई थी। दोनों ने गोवा में खूब मस्ती की, घूमे फिरे बहुत एन्जॉय किया, आज आखरी दिन था, कल दोनों को वापस मुंबई जाना होगा। शाम को जिया शोएब के कंधे पर सिर रखकर बीच पर बैठी थी।

जिया – ये मेरी जिंदगी के सबसे बेस्ट पल रहे हैं। मैं इन लम्हों को कभी नहीं भूलूंगी।

शोएब – जब से तुम मेरी जिंदगी में अाई हो मैं जीने का मतलब समझ गया।

जिया की आंखो में आंसू आ गए।

शोएब – हेय.. जिया, क्या हुआ ? रो क्यों रही हो ?

जिया – मुझे बहुत डर लग रहाँ है शोएब।

शोएब – डर ? किस बात का ?

जिया – तुम से दूर जाने का।

शोएब – पर मैं तो यही हूं, तुम्हाँरे पास।

जिया – मगर कितने दिन ?

शोएब – क्या मतलब ?

जिया – कहीं किसी ने गोली वोली मार दी तो ? मेरा क्या होगा ?

शोएब – जिया की इस बात पर हंसने लगा।

जिया – इसमें हंसने वाली क्या बात है ? मैं यहाँं सिर्यसली बात कर रही हूं और तुम हो कि हसते ही जा रहे हो !

शोएब – दुनिया में ऐसा कोई नहीं है जो शोएब मलिक को मार सके, सिवाय तुम्हाँरे।

जिया – हमने तो पहले ही मार दिया है आपको, अपने प्यार से।

शोएब – ऐसा क्या ?

 शोएब जिया को उठाकर रूम में ले गया और बेड पर बिठा दिया।

जिया – क्या कर रहे हो ?

शोएब – तुम थक गई हो सो जाओ कल जल्दी निकलना है।

जिया – हमे नींद नहीं आ रही है।

शोएब – तो मैं क्या करूं ?

जिया – मुझे तुम्हाँरी बाहों में सोना है क्या पता फिर ये पल नसीब हो या न हो।

शोएब ने अपनी बाहें फैला कर कहाँ – आओ।

 जिया शोएब के सीने पर सिर रखकर लेट गई। शोएब उसके बालों को सहलाते हुए बोला – तुम तो ऐसे कह रही हो जैसे मैं कल मरने वाला हूं।

जिया – अगर गलती से मुझ से कोई गलती हो जाए तो मुझे माफ कर देना, मगर ये भी सही है कि मेरा प्यार जूठा नहीं है, मैं हमेशा तुम से प्यार करती रहूंगी।

शोएब – क्या बोल रही हो ? तुम से कभी कोई गलती नहीं हो सकती, तुम सच में पागल हो जिया।

शोएब ने उसके माथे को चूमा और कहाँ – अब सो जाओ सुकून से। 

  थोड़ी देर बाद जिया को नींद आ गई। शोएब रात भर सिर्फ उसे निहाँरता रहाँ उस तरह जैसे ये उसकी आखरी रात हो।

सुबह जिया और शोएब गोवा से निकल गए। शोएब बार बार जाकिर और अहमद को फोन कर रहाँ था लेकिन दोनों में से कोई भी जवाब नहीं दे रहे थे। 

शोएब – जाकिर कभी मेरा फोन ना उठाए ऐसा हो ही नहीं सकता ? मुझे अब डर लग रहाँ है कहीं कुछ....।

जिया – कुछ नहीं होगा सब ठीक है तुम ज्यादा मत सोचो।

शोएब और जिया मुंबई पहुंचे। जिया को घर जाने को बोलकर शोएब अपने घर पहुंचा। वहाँ का माहौल देखकर उसकी आंखे फटी की फटी रह गई। शोएब ने देखा कि जाकिर, अहमद, शेरा और बाकी आदमियों की लाशे खून से लथपथ पड़ी थी।

शोएब ने जाकिर के सिर पर अपना हाँथ रखते हुए कहाँ – जाकिर मेरे भाई ये क्या हो गया ? अहमद, शेरा, किसने किया यह सब ? शोएब उनके पास बैठकर रोने लगा। शोएब का ध्यान चिट्ठी पर गया, शोएब ने उसे खोला जिसमे लिखा था "तेरी बर्बादी का तीसरा तोहफा।"

  शोएब भागता हुआ अपने फार्म हाँउस पहुंचा। वहाँं उसने देखा कि पूरा फार्म हाँउस जलकर खाक हो गया। शोएब अपने दूसरे घर गया जहाँं वो सारा माल छिपाता था वहाँं जाकर देखा तो पूरा घर खाली हो चुका था सारा माल गायब था। शोएब अब पूरी तरह बर्बाद हो चुका था वो पूरी तरह टूट चुका था। शोएब घुटनों के बल बैठ कर रोने लगा, तभी जिया भागती हुई वहाँं अाई।

जिया – शोएब ये सब क्या हो गया ?

शोएब – मैं बर्बाद हो गया जिया अब कुछ नहीं बचा।

जिया – वो सब छोड़ो, तुम्हे रास्ते में मारने का प्लान बनाया है पुलिस वालो ने प्लीज़ अभी के अभी मेरे साथ चलो हम जंगल वाले रास्ते से निकलकर यहाँं से दूर चले जाएंगे। 

शोएब – तुम्हें कैसे पता ?

जिया – मैं कमिश्नर अंकल से मिलने गई थी तब मैने उन लोगों का प्लान सुना, ज्यादा सोचो मत चलो मेरे साथ।

शोएब – मुझे मौत से डर नहीं लगता जिया। मैं कोई कायर नहीं हूं जो भाग जाऊ।

जिया – खुद के लिए न सही मगर हमारे लिए चलो यहाँं से प्लीज़ शोएब।

शोएब – तुम रो मत, ठीक है चलता हूं तुम्हाँरे साथ।

जिया शोएब को जंगल वाले रास्ते पर ले गई और बीच में ही कार रोक दी।

जिया – बाहर अा जाओ अब हमे कोई नहीं ढूंढ़ पाएगा।

शोएब बाहर आया। "तुम यहीं रुको में कार में से पानी की बोतल लेकर आती हूं।" जिया ने कहाँ।

  थोड़ी देर बाद शोएब के सिर पर किसी ने लकड़ी का डंडा मारा, दर्द के मारे शोएब की चीख निकल गई " आह.." शोएब ने पीछे मुड़कर देखा तो जिया हाँथ में लकड़ी लेकर खड़ी थी। "जिया !" शोएब ने दर्द से कराहते हुए कहाँ। सिर पर लगने की वजह से शोएब को सब धुंधला सा दिखाई देने लगा वो जमीन पर गिर गया, जिया लकड़ी फेंक कर शोएब के पास आकर बैठ गई ।

शोएब – कौन हो तुम ?

जिया – तेरी बर्बादी।

शोएब – तो ये सब ?

जिया – मैंने किया।

शोएब – क्यों ? इतना बड़ा धोखा ? क्यों खेला मेरे प्यार के साथ ?

जिया – याद कर आठ साल पहले की १४ नवम्बर की वो रात, उस दिन तूने मेरा पूरा परिवार उजाड़ दिया, अनाथ कर दिया मुझे।

शोएब – तुम कहीं.. ?

जिया – सही सोच रहे हो, मैं शंकर सिंह चौहाँन की बेटी हूं, जो बदकिस्मती से बच गई। मैं राजीव अंकल के साथ बाहर गई थी जब वापस घर अाई तो सबको उस हाँलत में पाकर मैं डर गई पापा के पास गई उसकी सांसे चल रही थी , उन्होंने कहाँ – मुझसे वादा कर बेटी कि तू शोएब मलिक को अपने हाँथो से मारेगी वादा कर।

जिया – वादा करती हूं पापा।

तुमने मेरे मां-बाप, भाई भाभी, उसकी नन्ही सी बेटी सबको बेरहमी से मार डाला, बारह साल की उम्र में मुझे पूरी अनाथ कर दिया, आज तुम अनाथ हो गए तो तुम्हे इतना दर्द हो रहाँ है तो सोचो मुझे उस वक्त कितना दर्द हुआ होगा, फिर अंकल मुझे अपने साथ लंदन ले गए। मैंने आठ साल इंतज़ार किया, आठ साल बदले की आग में जली हूं मैं। आखिर वो वक्त अा गया जब मुझे तुम्हाँरा सामना करना था। मे मुंबई अाई कमिश्नर अंकल मेरे पापा के खास दोस्त है, मैंने उनके साथ मिलकर पुलिस से हाँथ मिला लिया, लेकिन यह बात भी सच है कि तुम्हाँरे साथ रहते रहते मे तुमसे प्यार करने लगी। मैंने पार्टी में शराब इसलिए ही पी ताकि तुम्हे यहाँं रोक सकुं और वहाँ पुलिस तुम्हाँरे गोडाउन में आग लगाकर तुम्हाँरा माल हड़प सके। गोवा जाने का प्लान भी मेरा ही था, ताकि पुलिस यहाँं तुम्हाँरे सारे आदमियों को मार कर तुम्हाँरे सारे काले धंधों को बंद कर सके। तुम्हे मारने का किसीने कोई प्लान नहीं बनाया था ये प्लान भी मेरा ही था ताकि तुम्हे यहाँं ले आऊ ।

जिया ने शोएब के आगे बंदूक तान कर खड़ी हो गई।

जिया – मुझे माफ़ करना शोएब, अब मरने के लिए तैयार हो जाओ।

शोएब – जिंदा रहकर क्या करूंगा ? तुमने सब खत्म कर दिया अपने भाईयो के बिना अपने प्यार के बिना जीकर क्या करूंगा ? चलाओ गोली , मैं बहुत खुशकिस्मत हूं कि प्यार के हाँथो मर रहाँ हूं।

जिया के हाँथ कांपने लगे क्योंकि सामने उसका प्यार था। जिया ने आंखे बंद करली और एक दो तीन चार गोली शोएब के सीने में उतार दी। शोएब ने अपना दम तोड दिया, पुलिस भी वहाँं अा गई, कमिश्नर ने जिया के हाँथ में से गन ले ली और कहाँ – वेलडन जिया।

जिया – थैंक्यू सर, एक और छोटा सा काम कर देंगे सर ?

कमिश्नर साहब – बोलो जिया।

जिया – मैं यहाँं से जाना चाहती हूं, अब यहाँं एक पल भी रुका नहीं जा रहाँ मुझसे।

कमिश्नर साब – बिल्कुल, तुम आज शाम की फ्लाईट से लंदन वापस जा रही हो ये रही तुम्हाँरी टिकिट।

जिया वहाँं से चली गई। रोमा के घर गई अपने कमरे का दरवाजा बंद करके अपने बेड पर गिरकर रोने लगी। आखिर रोए भी क्यों नहीं एक तरफ परिवार के साथ हुआ अन्याय का बदला था तो दूसरी तरफ ना चाहते हुए भी जो हो गया वो प्यार खड़ा था। प्यार और परिवार के बीच जिया पीस कर रह गई। शाम की फ्लाईट से जिया वापस लंदन चली गई। शोएब मलिक अब बस एक नाम बनकर रह गया।

६ महीने बाद,

 जिया ने शोएब के जीवन पर दो किताबे लिखकर प्रकाशित की । एक " शोएब मलिक – The Hero of Life"

जिसमे उसके बचपन का संघर्ष, मा बाप की मौत, काम के लिए भटकना, सलीम भाई के लिए खबरी का काम, और गैंगस्टर बनने की सारी कहाँनी का चित्रण किया। और दूसरी "शोएब मलिक – The antold story" जिसमे उसके प्यार के सफर से लेकर उसकी मौत तक की सारी कहाँनी का चित्रण किया। दोनों ही पुस्तक की कॉपियां पूरे भारत के साथ साथ लंदन में भी बिकने लगी। एक हिंदी इंटरव्यू के लिए जिया को लंदन में कॉल आया और वो इंटरव्यू के लिए गई।

एंकर – मिस जिया आपका हमारी एकमात्र हिंदी चेनल में स्वागत है, शोएब मलिक एक ऐसा नाम जिसने इंडिया के साथ साथ पूरे लंदन में धूम मचा दी, कैसा लग रहाँ है आपको ?

जिया – मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरी कहाँनी को लोग इतना पसंद करेंगे, बहुत खुशी हो रही है।

एंकर – हमारे दर्शकों को कुछ कहना चाहेंगी ?

जिया – जरूर, आप सब का बहुत बहुत धन्यवाद आगे भी ऐसे ही प्यार करते रहे, यही कहूंगी।

एंकर – इस कहाँनी के जरिए आप क्या संदेश देना चाहती थी ?

जिया – यही कि कोई भी इंसान बुरा नहीं होता बस वक्त और हाँलात उसे बुरा बनने पर मजबूर कर देते है।

एंकर – आपका कीमती वक्त देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया।

जिया – थैंक्यू।

जिया घर अाई उसने देखा की उसके राजीव अंकल उठकर पानी के जग की तरफ़ जा रहे है।

जिया – अरे अरे अंकल, मना किया था ना मैने उठने के लिए, में देती हूं न आपको पानी, ये लीजिए।

अंकल ने पानी पीते हुए कहाँ – क्या बात है बेटी ? आज बड़ी खुश नजर आ रही हो !

जिया – हाँ अंकल आज मैं बहुत खुश हूं, अब आप सो जाइए मैं चलती हूं मुझे एक आर्टिकल खत्म करके कल भेजना है ठीक है, गुड नाईट अंकल।

अंकल – गुड नाईट बेटा।

जिया अपने कमरे में अाई और खिड़की से चांद को निहाँरने लगी।

जिया ने भीगी आंखो से आसमान की ओर देखते हुए कहाँ – पापा मैंने अपना वादा पूरा किया और शोएब मैंने तुम्हाँरा नाम हमेशा के लिए अमर कर दिया।


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