सही फैसले
सही फैसले
लता ने अपनी बहू के कमरे में जाकर कहा , ले बेटे भागवत गीता । और जब तुम्हे समय मिले इसे पढ़ लिया करना। इससे गर्भ में पल रहे बच्चे पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा। और संस्कार भी अच्छे आएगे।
दीपा...जी माँ, मैं पढ़ लुंगी।
लता...जब मैं गर्भवती थी विशाल होने वाला था तब मैने रामायण गीता भागवत् और भी धार्मिक पुस्तके पढ़ी थी। पता है तुम्हे जब सुभद्रा के गर्भ में अभिमन्यु पल रहा था तब अर्जुन ने सुभद्रा को चक्रव्यु में प्रवेश की विधी बताई थी लेकिन सुभद्रा को नींद आ गई । और अधूरी कहानी सुनने के कारण अभिमन्यू को शिक्षा भी आधी मिली। और जब महाभारत का युद्ध हुआ तब अभिमन्यू को सिर्फ चक्रव्यु में घुसना आता था ।इसके कारण वो मारा गया ।
दीपा...हाँ माँ मैने भी ये प्रसंग सुना है महाभारत का। वैसे मैने ये भी सुना है कि जब बच्चा पेट में होता है तब माँ के आचरण का बच्चे पर प्रभाव पड़ता है। वैज्ञानिक दृष्टी से भी और धार्मिक दृष्टी से भी ।
लता....तो मेरे कहने का मतलब है। जब स्त्री गर्भवती हो तो उसे अच्छे काम करने चाहिए। अच्छी बातें सोचनी चाहिए।
अच्छा मैं तो बातों में लग गई । भुल ही गई कि तेरे पापाजी की चाय बनानी है ।
दीपा....आप बैठिए मैं बना दूँगी चाय। और रात का खाना भी ।
लता...ठीक है पर तबियत ठीक हो तभी करना।
तकलीफ ना उठाना। वरना तबियत खराब हो जाएगी।
दीपा ....नहीं माँ मैं ठीक हूँ। आप चिंता न करें।
वो चली जाती है रसोई में। सबके लिए चाय बना कर लाती है । मेज पर रखते हुए दीपा बोली ।
पापा मेरे भैय्या का बेटा 8 साल का है । पर वो किसी भी चिज को करने के लिए एक मन नहीं बनाता । कभी हाँ कभी ना। भैय्या भाभी परेशान रहते है इस बात पर । आपको क्या लगता है क्या करना चाहिए उनको ?
सुंदर लाल जी (पापा)|....उनको किसी अच्छे सलाहकार से मिलना चाहिए। क्योंकि हम चाहे कितना अच्छा समझा ले , फिर भी कमी रह ही जाती है । हमारी सोच हमारे परिवार हमारे बच्चे तक ही सीमित है। हमने हर तरह की सोच और परिस्थिति नहीं देखी है करीब से । हम अपने फैसले के परिणाम से वाकिफ नहीं होते है । इसलिए मेरे हिसाब से तो यही ठीक रहेगा। और फिर इस उम्र में लिए गए सही फैसले सारी जिंदगी सवाँर देते है।
दीपा....जी पापा मुझे भी आपकी बात ठीक लगी। मैं आज ही भैय्या को ये बता दूंगी।