घर की सी ए

घर की सी ए

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बिस्तर पर लेट कर पम्मी पीयूष की बाँहों पर सर टिकाए लेटे हुई थी । तभी उसकी नजर सामने खुट्टी पर टंगी पीयूष की पेंट पर गई तो उसे शरारत सुझी।

कहने लगी देखो न जी मुझे उस खुंटी पर ( खुंटी की ओर इशारा करते हुए) तरस आ रहा है। पीयूष क्या और क्युं ।

पम्मी वो बोझ से मरी जा रही है।

पीयूष कैसा बोझ

पम्मी अरे आपकी पैंट का और किसका

पीयूष जादा वजन नहीं है मैं रोज ही न पहनता हूँ ।

पम्मी आपकी पैंट से जादा वजन तो आपके बटूए का है। बेचारा कितना भारी है। देखो न वो मुझे बार बार चिल्ला चिल्ला के कह रहा है।

मुझे इस सजा से मुक्ती दिलाओ   मुक्ती दिलाओ। मुझे हल्का करो मुझसे इसका भार नहीं सहा जा रहा है । तरस खाओ कोई मुझ पर।

सोच रही हूँ मैं इसकी मदद कर ही देती हूँ । मुझसे इसका दर्द सहा नहीं जा रहा। पीयूष पम्मी की बातें सुन मुस्कुराते हुए बोला तुम्हे कष्ट करने की जरुरत नहीं । मैं ही किए देता हूँ ।

और धडल्ले से उठ कर अपनी पैंट की ओर लपका

लेकिन उससे पहले पम्मी ने बाजी मार ली और इस उठापटक में दोनो एक दूसरे की टक्कर से गिर पड़े। और फिर उह आह करते हुए एक दूसरे को उठाने लगे। पीयूष ने कहा लाओ मेरा बटुआ इधर लाओ।

जब देखो तब तुम्हारी नजर मेरे बटुए पर रहती है।

पता नहीं तुम पत्नियों कों पति के बटुए से इतना प्रेम क्युं रहता है ।

पम्मी तुम तो ऐसे कह रहे हो जैसे तुम लोगो को तो बहुत नफरत है न पैसो से । बस हम औरते ही पैसो की भुखी है अरे भुखे तो तुम लोग हो जो दो दो पैसो का भी हिसाब मांग लेते हो । और हम अबला नारी झट से हिसाब दे देती है मूँह बनाते हुए बोली ।

पीयूष रहने दो रहने दो अबला नारी  मैं सब जानता हूँ तुम अबलाओ को जरुरत से जादा लेती हो और पुछो ! इतने सारे पैसो का तुम करती क्या हो। तो आधा बताती हो और आधा भुल जाती हो  तुम्हारा हिसाब कुछ इस तरह होता है

500/  सब्जी फल आदि

800/  बेकरी का सामान

1000/ भ ज क ग

3000/ ट्युशन फीस

6070/ शोपिंग खुद की

150/  भ ज क ग

अब तुम ही बताओ भ ज क ग ( भगवान जाने कहाँ गए) कर के अपना पल्ला झाड़ लेती हो। कहती हो छोटे छोटे खर्चो का पता ही नहीं चलता

वैसे मैं सब जानता हूँ कि तुम लोग अपनी अंदर की जेब गर्म करती हो भ ज क ग करके । अगर तुम जैसे C A को बैठा दिया जाए आँफिस में तो एक पैसो का भी हिसाब नहीं मिले। मुस्कुराते हुए बोले जा रहा था ।

पम्मी भी हँसने लगी। और कहा तभी तो हम गृहणी कभी भी C A नहीं रखती किसी भी हिसाब किताब के लिए लिए । मालुम है हमें कि एक गृहणी से अच्छी C A हो ही नहीं सकती घर के लिए । तभी तो हम खुद ही सारा हिसाब किताब कर लेते है। ताकि घर का माल घर में ही रह जाए ☺☺☺☺☺☺।

ये क्या खी खी खी खी कर रही हो मैं सब जानता हूँ ☺☺ तुम कितनी अच्छी C A हो । तुम अबलाए कम से कम 30% तो आराम से बचा लेती हो टोटल खर्चे में से ।

तो क्या बचा बचा कर हम पड़ोसियों को देके आते है। जो भी हम बचाती है सब इसी घर में ही लगा देती है। थोड़ी भावुक हो कर बोली आपको पता है पिछली बार जब अपनी भांजी आई थी रहने उसे रहने के नाम पर जो आपने गिफ्ट दिलाया था वो उसे पसंद नहीं आया था क्युं कि वो थोड़े पैसो का था और सस्ता भी। जब मैने कहा तो आपने झट से कह दिया अभी मेरे बजट में इतना ही है।

फिर कभी देख लेगे और अच्छा सा ।

आप तो कह कर चले गए पर मुझसे उसका उतरा हुआ मन नहीं देखा गया तब मैने आपको बिना बताए उसे बढ़िया सी ड्रेस दिलाई अपने बचत में से। ताकि वो खुश हो जाए।

पीयूष मैं जानता हूँ एक औरत घर को एक मर्द के मुकाबले अच्छे से चला सकती है। अरे मैं तो मजाक कर रहा था और तुम तो भावुक ही हो गई ।

कहते कहते गले लगा लिया ।

दोनो फिर सो गए रात गहरा रही थी ।

सुबह उठ कर जल्दी जल्दी काम निपटाने लगी पम्मी तो जब कपड़े धुलने के लिए मशीन में डालने लगी तो जैबे टटोलते हुए उसे एक 500 का नोट पाया। और वो पाकर बेहद खुश हो गई ।

और खुश हो भी क्युं नहीं । ऐसे धन पर नारी का पूर्ण अधिकार है।

ये न तो चोरी कहलाती है और न ही सीनाजोरी।

रात को हुई बातों की वजह से सुबह पैंट में 500 का नोट जानबुझ कर छोड़ा था पीयूष ने।


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