दस्तक
दस्तक
मैं जब बचपन की दहलीज को लांघ कर जवानी में कदम रख रही थी, मुझे हर वो शख्स कातिल लगता था जो भी किसी को केरियर बनाने में मदद करता था।
मैं अभिनेत्री दिव्या भारती की बहुत बड़ी फैन थी। उसका अभिनय मुझे बहुत भाता था। जल्दी ही उसका फिल्मी करियर आसमान की ऊंचाइयों को छूने लगा था। मैं बहुत प्रभावित होती थी दिव्या भारती से। लेकिन जब मुझे उनकी अकस्मात उनकी मृत्यु का रहस्य मालूम हुआ। तो इस सत्य से मैं डर गई। क्या कोई रक्षक ही भक्षक बन जाता हैं। किसी की कामयाबी से जल कर कोई इस हद तक गिर सकता है। नहीं जानती थी। लेकिन दिव्या भारती की कामयाबी फिर उसकी मौत। इन सबने मुझे तरक्की से डरा दिया था।
आज मैं साधारण सी जिंदगी जीना चाहती हूं।
नहीं चाहिए ऐसी कामयाबी जो मौत के दरवाजे पर दस्तक दे।