शब्दों के गुनाह
शब्दों के गुनाह


बिंदास
बोल्ड
बिजली
बेहया
बाज़ारू
बदचलन
बदतमीज
बाँदी
बेखौफ
बग़ावती
आप को भी इनको पढ़कर लगा होगा कि ये सारे सिर्फ शब्द है,नहीं?
ये सिर्फ शब्द नहीं है।ये तो अहसास है।लेकिन इनके मायने हर किसी के लिए अलग है।क्या ये शब्द किसी आदमी के लिए प्रयोग होते हुए देखा है आपने? कभी नहीं,उनके लिए तो शब्द एकदम जुदा होते है।
क्या ऐसा नहीं ल
गता है कि औरतों के लिए कुछ अलग ही शब्द बनाये गए है?
औरत अगर आजाद खयाल हो तो क्या कहने? झट से वह बेहया बन जाती है।
औरत अपने मन माफ़िक जिंदगी बिताना चाहे तो यही शब्द उसे बिंदास,बाज़ारू या फिर बोल्ड का तमगा दे देते है।अगर वह किसी के काबू में नहीं आये या उसके 'साथ' नहीं जाए तो बदचलन, बग़ावती और बदतमीज बन जाती है।
अगर औरत समर्पण कर देती है तो झट से वह बाँदी बन जाती है।
आपने कभी किसी औरत को बेख़ौफ़ होकर जीते देखा है?शायद नहीं।
है ना ये अजीब सी बात?
क्या ये शब्द ही औरत के गुनहगार नहीं होते है जो उसे एक दायरे में सिमटने का जब तब हुक्म देते रहते है?