शब्द
शब्द
शब्द हमारी दुनिया बनाते है।हमारे सपनों को भी बुनते है।शब्दों से महाकाव्य बनते है।रामायण भी और महाभारत भी।कुरान में भी वही शब्द होते है जो गीता या बाइबल में होते है,बस उनके रूप अलग अलग होते है।
शब्दों से अजान और आरती बनते है तो लोरी और गीत भी।शबद बनकर वे गुरुद्वारों में भी गूँजते है तो कभी कभी सम्मोहित कर जादू करते है।कभी कभी कहकर नजरें फेर लेते है। शब्द कभी पुतले में जान डाल देते है तो कभी किसी को निशब्द भी कर देते है।कभी वे दबंग होकर टकराते है तो कभी उनसे खौफ होता है।
शब्दों में धार भी होती है और आधार भी।
धार वाले शब्द दिल को चीर देते है, और आधार वाले शब्द दिल को जीत लेते है...