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Sajida Akram

Abstract

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Sajida Akram

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"शालू...द अन्वाटेड,,,,भाग ३

"शालू...द अन्वाटेड,,,,भाग ३

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  सालू ने आव देखा न ताव ताबड़तोड़ फावड़े से वार करने लगी तमतमाई हुई गालियां बक रही थी।


**हरामजने आज थारी सारी जवानी निकल देत् हूं ,कौणी छोरी तो छोरी तेरी लुगाई के सामने जाने में भी सरमाएगा साल्ले **नपुंसक**बनाई के छोड़ूंगी साल्ले थारी ..., ..., कुत्ते ,कमीने सालू तो रुकने का नाम भी नी ले रही थी । बापू और माई और बहनें गांव के लोग इकट्ठा हो कर सालू को पकड़ रहे थे ,"अरे बस कर छोरी मार ही डालेंगी कई।


सालू को उसके घरवाले वहां से ले जाते हैं। **करमजली**मर क्यों नहीं जाती ।बापू सालू को घर ले जाकर लात-घूंसों से ख़ूब मारता है।""साल्ली तेरे को हाथ ही तो लगाया था। तू जाणें भी है बड़े लोगण से बैर लेना किता् भारी पड़ेगा।थारी अक्ल घास चरने गई थी बावरी, सालू को मार कर । मां को मारने लगा थारी छूट है इण छोरियों को 'हरामजादी"सांडणी बना रखा है खिला-खिला के गांव के छोरों को मारती फिरे है। बापू कहने लगा मां से चल उठ इण चारों छोरियों को लेकर अभी थारी मासी पानीपत में रहत् , वहां चली जा वो लोगण गुस्से में कछु भी करदेवं है।


 मंदिर के प्रांगण में कोहराम मच जाता है। वैध जी के कान में उनके चैले फुसफुसाते है।"राधे"भय्या घायल हो गए है। नाथूराम है ना उकी छोरी सालू ने कुछ कांड कर दिया है।वैध चौधरी और चौधराईन पूजा में बैठे थे। पूजा में से उठ नहीं सकते थे।चैले से कहतें हैं उत्ते हस्फताल ले जाओ मैं आता हूं, पूजा समाप्त करके ।


पंडित जी भी भांप जाते हैं । जल्दी-जल्दी पूजा सम्पूर्ण करा देतें हैं। वैध जी झट-पट अपने चैलों के साथ बाइक पर बैठ गांव के स्वास्थ केन्द्र पहुंचते हैं। 


"डाग्टर साहब" तो रहते नहीं है ,स्वास्थ्य कर्मी कहता है ,प्राथमिक उपचार के बाद ,आप सहर ले जाएं "राधे भय्या" को लाएं हैं।


स्वास्थ्य केन्द्र से पुलिस को खबर की जाती है, पुलिस केस है। कोतवाली का दरोगा वैसे ही वैध जी का चाटुकार रहता है।दो सिपाहियों के साथ आ धमकता है।डंडा बजा कर हां भाई कौणू कैसवा के कारण बुलाया है। 


कम्पाउंडर "वो मंदिर में मारपीट हुई है, ये कहते-कहते चुप लगा जाता है, वैध जी **जो घुर कर देखतें है** । दरोगा जी आपको वैध जी बतावत् है।


महीने भर बाद सुनते हैं। वैध जी ने **खाप पंचायत**बुलवाई है। अब सालू के माई, बापू डरे रहते हैं 

कि गरीब मार पड़ेगी ....,

आगे....!


साहित्याला गुण द्या
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