वो आज भी महसूस करती है उस मचलन को। वो आज भी महसूस करती है उस मचलन को।
दुष्यंत बाबू और उनके मित्र आश्रम के प्रांगण में एक बरगद के पेड़ नीचे चबूतरे पर बैठकर इंत दुष्यंत बाबू और उनके मित्र आश्रम के प्रांगण में एक बरगद के पेड़ नीचे चबूतरे पर बै...
पंडित जी भी भांप जाते हैं । जल्दी-जल्दी पूजा सम्पूर्ण करा देतें हैं। पंडित जी भी भांप जाते हैं । जल्दी-जल्दी पूजा सम्पूर्ण करा देतें हैं।
तेल पीकर रूई की बाती से बना.. मैं जगमगाता मुस्कुराता माटी का दीया तेल पीकर रूई की बाती से बना.. मैं जगमगाता मुस्कुराता माटी का दीया