सबक...
सबक...
एक बार एक नमक का व्यापारी था । उसके पास बहुत सारे गधे थे। वह उन गधों के ऊपर अपना नमक लाद कर दूसरे शहर में भेजता था। एक शहर से दूसरे शहर के बीच में एक पुल आता था। पुल एक नदी के ऊपर था। एक दिन नमक ले जाते वक्त गधा गलती से पानी में गिर गया ।जैसे ही वह उठा उसका बोझ बहुत हल्का हो चुका था। क्योंकि नमक पानी में घुल गया था। वजन हल्का महसूस होने पर गधे को बहुत खुशी हुई। उसने अगले दिन फिर यही किया। जैसे ही वह पुल के पास आया उसने नदी में डुबकी लगाई। और यह क्या "डुबकी लगाते ही उसका बोझ हल्का हो गया। अब तो गधे को रोज ऐसा करने में बड़ा मजा आने लगा। वह अब रोज ऐसे करता। एक दिन नमक के व्यापारी को इस बारे में पता चला कि कैसे उसका भेजा हुआ नमक दूसरे शहर में नहीं पहुंच रहा ।उसने छुपकर गधे का पीछा करने का निश्चय किया। व्यापारी ने जब अपनी आंखों से देखा यह क्या? गधा तो नमक लादकर पानी में गिर रहा है और जैसे ही वह उठा, वह बहुत खुश दिखाई दे रहा ह अब व्यापारी को समझ में आ गया। अगले दिन उसने गधे को सबक सिखाने की सोची।उसने गधे के थैले में नमक की जगह रुई डाल दी और गधे को इस बारे में कुछ खबर नहीं थी । गधा तो अपने रोज के नियम के अनुसार वैसे ही आया और नदी में डुबकी लगाई। लेकिन यह क्या उसका भार हल्का होने की बजाय और बढ़ गया ।गधे की अक्ल ठिकाने आ गई ।अगर वह अपने मालिक के साथ ऐसा नही करता तो उसको आज के दिन का सामना नहीं करना पड़ता। गधे को अच्छा सबक मिला।