बेवजह......
बेवजह......
एक बहुत ही ज्ञानी संत थे। वो दुनिया की भीड़ भाड़ से दूर जंगल में एक कुटिया में एकांकी जीवन व्यतीत करते थे। एक बार कुछ लोगों ने सोचा की हम सबको कुछ ना कुछ समस्याएं हैं और इनके निवारण के लिए हमे किसी ज्ञानी आदमी से सलाह लेनी चाहिए। सब ने एकजुट होकर उस ज्ञानी संत के पास जाने का निश्चय किया।सब संत के पास पहुंच गए।सबने एक एक करके अपनी अपनी समस्या संत के समक्ष रखी।संत ने सबकी समस्या सुनी।फिर संत ने कहा की मैं तुम्हे एक चुटकला सुनान चाहता हूं। संत ने चुटकला सुनाया,जिसे सुनकर सभी कई देर तक हंसे। संत ने फिर वही चुटकला सुनाया , अब की बार कम लोग हंसे। संत ने एक बार फिर वही चुटकला सुनाया । अबकी बार सिर्फ एक दो लोग ही हंसे। फिर संत ने कहा की जब एक ही चुटकला बार बार सुनकर तुम सब बोर हो गए तो एक ही बात की शिकायत बार बार करते बोर नहीं होते। फिर संत ने बड़े प्यार से समझाया " एक ही समस्या के लिए बार बार रोने से कुछ हासिल नहीं होता अपितु हमारे समय और ऊर्जा का नुकसान होता है।