Keshav Bansal 7thG 17

Tragedy

4.5  

Keshav Bansal 7thG 17

Tragedy

गुनाह ....

गुनाह ....

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भीड़ को चीरती हुई एक एंबुलेंस बड़ी ही तेज़ गति के साथ सड़क पर से जा रही थी। ठीक उसके पीछे गाडियों का एक बड़ा काफिला भी था, जिससे लग रहा था कि एंबुलेंस में ले जाया जाने वाला कोई बड़ा नेता हो शायद। पूछने पर पता चला कि नेता सुभाष तायल का इकलौता बेटा बहुत ही सीरियस कंडीशन में है। सुभाष तायल शहर का एक जाना माना नेता है इसका एक भरा पूरा परिवार है।

लेकिन वह कहावत है ना अधिक मिलने पर लोगों की बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है। वही काम सुभाष चंद्र के बेटे शरद के साथ भी हुआ घर में शुरू से ही इतनी ठाट बाट थी शरद ने पढ़ना जरूरी नहीं समझा और अपने उल्टे सीधे दोस्तों के बहकावे में आकर गलत रास्ते पर अपना कदम रख दिया। जिसके फलस्वरूप वह बुरी संगत में पड़ गया ।उसे लोगों को डराने में, धमकाने में ,गुंडागर्दी करने में बहुत मजा आने लगा क्योंकि पुलिस का उसे डर नहीं था। क्योंकि उसके पिता की हर जगह बहुत चलती थी। अगर गलती से किसी पुलिस वाले ने कोई केस बना भी दिया तो उसके पिता 1 मिनट में उसे रफा-दफा करवा देते थे। इसी बात का गलत फायदा शरद ने उठाया ।उसने नशे में धुत होकर गाड़ी चलाई, जो सड़क पर सो रहे एक गरीब आदमी पर चढ गई और उस बेचारे की जान चली गई। इसका विरोध आसपास के लोगों ने बहुत किया। पुलिस ने उसकी शिकायत कर दी। तब किसी ने कहा कि पुलिस को इसकी शिकायत करने से कोई फायदा नहीं है इसके पिता की इतनी चलती है किस पुलिस हिरासत में रहने ही नहीं देगी। आज हमें इसका समाधान खुद ही करना होगा । इसे इसकी गलती की सजा यही देंगे और ऐसी देंगे किए जिंदगी में दोबारा ऐसी गलती कभी नहीं करेगा। यह सुनते ही सब लोगों ने उसे मारना पीटना शुरू कर दिया किसी ने डंडों से, किसी ने लात घूंसो से मार मर कर उसे अधमरा कर दिया। शरद को इस स्थिति में छोड़कर सब अपने अपने घर को चले गए।

शरद की हालत इतनी खराब हो चुकी थी कि शहर के डॉक्टरों ने जवाब दे दिया। यही कारण है कि अब उसे दूसरे शहर के सबसे बड़े हॉस्पिटल में ले जाया जा रहा है। नेता जी की तो रो रो कर बहुत बुरी हालत है क्योंकि शरद सेठ का इकलौता बेटा है। अगर शरद को कुछ हो गया तो नेता जी की चल अचल संपत्ति का वारिस कौन होगा? यही बात अगर सेठ को कुछ साल पहले ही समझ में आ जाती तो शायद आज शरद का यह हाल ना होता जो आज हुआ है। अगर गलती करने, पर गलत रास्ते पर चलने से पहले ही नेताजी ने शरद को रोक दिया होता तो शायद शरद का अपना भी हंसता खेलता परिवार होता। अपनी पूरी जिंदगी में शरद ने किसी की दुआ तो ली ही नहीं जो उसको इस स्थिति से बचा सकती थी। इसीलिए कहते हैं रुपयों पैसो का घमंड कभी नहीं करना चाहिए ।भगवान जो दे उसमें सब्र करना चाहिए।अगर ज्यादा मिले तो भी अपने पांव धरती पर ही रखने चाहिए। ना कि आसमान में उड़ना चाहिए ।क्योंकि जब आसमान में उड़ते उड़ते अचानक से धरती पर गिरता है उसकी स्थिति बहुत भयावह होती है। गुनाह तो शरद से हुआ ही था जिसका हर्जाना एक गरीब ने अपनी जान देकर चुकाया ।


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