वो घूरती आंखे
वो घूरती आंखे
राज का ट्रांसफर दिल्ली से लखनऊ हुआ था।राज एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में इंजीनियर के पद पर कार्यरत था।उसका प्रमोशन हुआ था।आज ही राज ने नए घर में प्रवेश किया है।सब कुछ ठीक ठाक था।रात को राज जल्दी खाना खा कर सो गया।रात को नींद में राज को कुछ शोर महसूस हुआ। हड़बड़ाकर राज उठा।चारों तरफ गहन अंधेरा था। राज को कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था।तभी अचानक राज को कुछ अंधेरे में दिखा ,जिसे देखकर राज ठिठक गया।खिड़की में से दो आंखें चमकती दिखाई दी।राज ने एकदम से उठकर लाइट जलाई ।लेकिन रोशनी होते ही वो चमकती आंखें गायब हो गई। राज ने सारा घर खंगाला लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।राज ने इसे अपना वहम समझकर भूल जाने का निश्चय किया। खैर सुबह हुई और राज तैयार होकर ऑफिस के लिए निकल गया। कुछ दिन यूं ही निकल गए। एक दिन राज ऑफिस से घर आ रहा था।तभी उसे लगा कोई उसका पीछा कर रहा है।उसने पीछे मुड़ कर देखा लेकिन वहां कोई नहीं था। ऐसा उसके साथ बार बार हुआ। राज के मन में एक अनजाना डर जन्म ले रहा था।राज डरते डरते घर आ गया।घर आते ही घर की बिजली चली गई।राज ने टॉर्च जलाई तो शायद उसके सेल खराब थे।टॉर्च नहीं चली।बाहर भी मौसम खराब हो रहा था। तेज़ आंधियां चलने लगी।बारिश भी होने लगी।बारिश की आवाज वातावरण को और भी डरावना बना रही थी।राज की हालत खराब होने लगी थी।राज के घर की तस्वीर भी हिल हिल कर टूट रही थी।
राज ने मोमबत्ती जलाने की कोशिश की लेकिन तेज़ आंधी के कारण वो भी नहीं जली।तभी राज को पायल बजने की आवाज आई।राज ने चारों तरफ देखने की नाकाम कोशिश की लेकिन उसे कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था।तभी उसे अंधेरे में फिर वही दो घूरती हुई आंखे दिखाई दी जो उसे उस दिन दिखी थी।राज को अचानक डर के कारण दिल का दौरा पड़ गया,और वो वहीं ढेर हो गया। उस दिन के बाद उस घर को हमेशा के लिए बंद कर दिया गया।

