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Meenakshi Bansal

Romance Tragedy Fantasy

2  

Meenakshi Bansal

Romance Tragedy Fantasy

खुशी की फुलझडियां....

खुशी की फुलझडियां....

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79

रमेश और दीपिका बहुत ही सुंदर, सुशील और आत्मनिर्भर पति पत्नी थे। दोनों एक ही ऑफिस में काम करते थे। वहीं से दोनों के बीच प्यार का अंकुर फूटा और पनपा। दोनों का प्यार परवान चढ़ा और घरवालों की रजामंदी से दोनों जल्द ही विवाह बंधन में बंध गए। सभी पति पत्नियों की तरह ही दोनों ने साथ साथ कई हसीन सपने देखे थे। और उन्हें पूरा करने का भरसक प्रयास भी कर रहे थे। रमेश के ससुराल वाले भी बहुत अच्छे ,मिलनसार प्रवृति के इंसान थे। वो रमेश की हर जरूरत के समय हर समय तैयार रहते थे। रमेश का भी व्यवहार सबके साथ बहुत अच्छा था। एक बार रमेश और दीपिका घूमने निकले। रास्ते में रमेश की कार का एक्सीडेंट हो गया। हादसे में दीपिका गंभीर रूप से घायल हो गई। होश आया तो दीपिका हॉस्पिटल में थी। डॉक्टर से पूछने पर पता चला की बाहरी चोट तो सिर्फ मामूली सी है ,पर दीपिका को अंदरूनी गंभीर चोटें आई है। जिसके परिणाम स्वरूप अब दीपिका जिंदगी में कभी मां नहीं बन सकती। ये बातें सुनकर दीपिका की आंखों के सामने अंधेरा छा गया। उसे समझ नहीं आ रहा था की रमेश को ये दर्द भरी खबर किस मुंह से सुनाए। खैर बताना तो पड़ेगा। दीपिका ने हिम्मत इकट्ठा कर के रमेश को सब सच बता दिया की अब मैं इस लायक नहीं रही कि आपके खानदान को वारिस दे सकूं। आप दूसरी शादी कर लीजिए। ये सब सुनकर रमेश सुन्न हो गया। वो बोला पगली तुम ये कैसी बातें कर रही हो। मुझे सिर्फ और सिर्फ तुम्हारा साथ चाहिए। मुझे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता अगर हम अपने बच्चे के मां बाप ना बन सकें। हम बच्चा गोद लेकर भी मां बाप बन सकते हैं। तुम्हें किसी भी तरह का अपने मन में अपराध बोध महसूस करने की कोई जरूरत नहीं है। वैसे भी समय से पहले और किसी को नहीं मिलता। मेरे लिए यही काफी है की तुम मेरे साथ हो। ये कहकर रमेश ने दीपिका के आंखों के आंसुओं को पूछा और फिर एक बार दोनों के बीच खुशी की फुलझडियां जलने लगी।


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