एक अरसे से ज़िन्दगी यूँ ही गुज़र रही है, बर्फ की तरह धीरे धीरे पिघल रही है, एक अरसे से ज़िन्दगी यूँ ही गुज़र रही है, बर्फ की तरह धीरे धीरे पिघल रही है,
हम सब सपने देखते हैं - आज़ादी के, एक खुशहाल जीवन के, प्रेम के, आकाश को छूने के। ऐसे ही ग़ुलामी की ज़ंजी... हम सब सपने देखते हैं - आज़ादी के, एक खुशहाल जीवन के, प्रेम के, आकाश को छूने के। ऐ...
वह लम्बे डग भरता हुआ चला गया। वह लम्बे डग भरता हुआ चला गया।
वैशाख माह में गधे के खुश रहने से गधे को ‘वैशाखनन्दन’ भी कहते हैं। वैशाख माह में गधे के खुश रहने से गधे को ‘वैशाखनन्दन’ भी कहते हैं।
संजीव के कान में भी पड़ा लेकिन उसने अनसुना कर दिया। संजीव के कान में भी पड़ा लेकिन उसने अनसुना कर दिया।
एक बार एक नमक का व्यापारी था । उसके पास बहुत सारे गधे थे। एक बार एक नमक का व्यापारी था । उसके पास बहुत सारे गधे थे।