साथ अपनो का...
साथ अपनो का...
अरे यार इतने मजे में कैसे रह लेती है, पूरा परिवार तेरी हर एक बात मानता है, सास-ससुर बच्चे पति सब तेरे कहने में है। मेरे घर में तो जब देखो महाभारत ही लगा रहता है। कभी सास चिल्लाती है, कभी बच्चे, कभी पति।
विनीता की पड़ोसन शीला ने कहा। विनीता और शीला दोनों की शादी को 10 साल हो गए। दोनों के दो दो बच्चे हैं। लेकिन विनीता ने तो घर बार सब संभाल लिया, उसके विपरीत शीला के घर अभी तक लड़ाई झगड़ा ही खत्म होने का नाम नहीं लेता। विनीता ने शीला से कहा, यह सब कुछ इतना आसान तो नहीं था। तुझे याद है हम दोनों की शादी साथ साथ ही हुई थी। लेकिन तू तो अभी तक भी गृहस्थी जमाने में कामयाब नहीं हो पाई। लेकिन विनीता मैंने हर कदम पर कोशिश तो तुझे पता है ना, मेरे साथ ससुर का स्वभाव बात-बात पर चिल्लाते लगते हैं और हर काम में गलती निकालना जैसे उनका काम है। और बच्चे बच्चे भी उनपर ही गए हैं अब तो वो भी मुझ पर चिल्लाते हैं। अगर पति से कहो तो पति भी मेरी ही गलती निकालते हैं। मैं तो तंग आ चुकी हूं सबसे, शीला ने अपनी सफाई विनीता को देनी चाही।
मैं जानती हूं शीला और यह सब कुछ मेरे साथ भी हुआ है, लेकिन तब मेरी मां ने मुझे एक ही बात समझाई देखो, विनीता तुम उनके लिए नई हो और वह तुम्हारे लिए। शुरू शुरू में तो थोड़ी बहुत परेशानी होती ही है, लेकिन धीरे-धीरे सब मुझे समझते गए और मैं उन्हें।
और बच्चों का क्या है, वह तो कच्ची मिट्टी के होते हैं उन्हें तो जो सिखाओ वह वही सीखेंगे तुम्हें भी अपना स्वभाव बदलना होगा। शीला अगर तुम अपने सास ससुर से चिल्ला कर बात करोगी तो बच्चे भी वही सीखेंगे और कल को बड़े होकर वह वैसा ही व्यवहार तुम्हारे साथ करेंगे। क्योंकि उन्हें तो पता ही नहीं होगा कि व्यवहार कैसे करना है, इसीलिए एक शुरुआत अपने घर से करो क्योंकि हम जो बोएगे, वैसा ही काटेंगे। शीला को विनीता की बातें समझ आने लगी और वह सोचने लगी कैसे नई नई शादी में उसके साथ तो उसके साथ प्यार जताती थी। लेकिन शीला हर बात पर अपने मायके का ही नाम ऊंचा करने लगती और सास उसके लिए जो भी लाती, उसमें से गलती तो निकालती ही निकालती थी और अपने मायके की चीजों को अच्छा गिनती।
इसके बाद धीरे-धीरे सब के स्वभाव में फर्क आने लगा और रिश्तों में दरार पड़ गई। लेकिन अब शीला ने फैसला किया कि बीते साल तो वापस नहीं आ सकते लेकिन वह सब कुछ जरूर बदलेगी आखिर उसे भी तो अपने बच्चों को एक अच्छा इंसान बनाना हैं।
