अपनो का साथ
अपनो का साथ
लेकिन कुछ नहीं विजय, अगर अच्छा सोचेंगे तो अच्छा ही होगा। आप बस काम की ओर ध्यान दीजिए। देखिएगा हमें मंजिल जरूर मिलेगी, लता ने अपने पति विजय को समझाते हुए कहा। पिछले 2 महीने से विजय की नौकरी जा चुकी थी और बहुत कोशिश करने पर भी उसे नई नौकरी नहीं मिली। परिवार में विजय, लता उनके दो बच्चे और विजय की मां रहती थी। वैसे तो घर ठीक से चल रहा था, लेकिन अचानक से नौकरी चले जाने से घर में थोड़ी दिक्कत होने लगी। विजय यह सब देख कर उदास सा रहने लगा। लता ने उसे समझाया कि क्यों ना, हम टिफिन सर्विस स्टार्ट करें थोड़ी बहुत सेविंग बची थी। उनके पास विजय ने कहा ,लेकिन लता बस यही पैसे बचे हैं, हमारे पास। अगर यह काम ढंग से नहीं चला तो हम क्या करेंगे??? लता ने उसे समझाते हुए कहा ,"हम कोशिश तो कर सकते हैं' यूँ हाथ पर हाथ धरे तो नहीं बैठ सकते। जब तक कोई नौकरी नहीं मिल जाती, तब तक यही सही। विजय उसकी बात को मना नहीं कर सका। उसने अपने दो-तीन दोस्तों से बात की। शुरू शुरू में तो कम ही आर्डर मिले, लेकिन धीरे-धीरे काम बढ़ने लगा अब तो उन्हें मुनाफा भी आने लगा। गृहस्थी की गाड़ी फिर से अच्छी प्रकार चलने लगी। विजय ने लता का धन्यवाद करते हुए कहा, 'लता अगर तुम सही समय पर मुझे सही सुझाव ना देती तो पता नहीं क्या हो जाता।'
विजय जो हम सोचते हैं अक्सर वही होता है। अगर हम नकारात्मक विचार ही सोचेंगे तो हमारे साथ बुरा ही होगा। इससे बेहतर है कि हम अच्छा सोचे और अपने आत्मविश्वास में कभी कमी ना आने दे। और जिस घर में तुम्हारे जैसी बहू है उस घर में कभी कोई कमी रह ही नहीं सकती, सासू मां ने लता की ओर देखते हुए कहा। नहीं सासु मां, यह आप सब के सहयोग से ही संभव हुआ है। अगर अपनों का साथ है तो जिंदगी में कुछ भी मुश्किल नहीं, बुरा वक्त भी हंसते हुए गुजर जाता है।।