Neha Bhanot

Inspirational

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Neha Bhanot

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पहचान खुद की

पहचान खुद की

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पापा मैं नितिन से सगाई नहीं करूंगी प्लीज आप रिश्ते के लिए ना कह दीजिए। बेटी कुछ बोलो तो सही रागिनी के मुंह से ऐसी बातें सुनकर उसके पिताजी ने चिंतित होते हुए उसे पूछा। वह सब मैं आपको बाद में बताऊंगी लेकिन पहले आप इस रिश्ते के लिए इंकार कीजिए।

"किस मुंह से इनकार करू बेटा नितिन अच्छा लड़का है और तुझे तो शुरू से ही आर्मी वाले लड़के पसंद है। ना तो फिर अब.."

रागिनी चुपचाप अपने कमरे में चली गई। पिताजी वही बैठ गए लेकिन मां उसके पीछे पीछे चल दी। जाकर बेटी का सर अपनी गोद में रखा और प्यार से पूछा मैं जानती हूं मेरी बेटी कभी भी कोई गलत फैसला नहीं लेती। बेटी तू कोई वजह तो बता हमें। "मां मैं यह नहीं कहती कि नितिन अच्छा लड़का नहीं है। आज मैं जब उससे मिलने गई तो मानो मेरी तो दुनिया ही बदल गई। उसी ने तो मेरे अंदर की रागिनी को जगा दिया। मैं पहले कुछ बनना चाहती हूं। मैंने बहुत सोच समझकर यह फैसला किया है।" रागिनी के मां बाप को ना चाहते हुए भी इस रिश्ते के लिए इंकार करना पड़ा। रात को खाने की मेज पर रागिनी ने सब को अपना फैसला सुनाया कि वे आर्मी जॉइन करना चाहती है। "लेकिन क्यों?" सब ने उससे एक साथ पूछा क्योंकि मां आज जब मैं नितिन से मिलने गई सारी बातें तो अच्छी चल रही थी। लेकिन उसने ऐसी बात की जो मेरे दिल को जा लगी।

क्या कह दिया उसने ऐसा? रागिनी के पिताजी ने पूछा...

मां उसने कहा तुम लड़कियों का तो ठीक है थोड़ी सी पढ़ाई कर लो घर के काम सीख लो और मनचाहा जीवनसाथी मिल जाता है। अब तुम ही देखो ना तुम्हें भी आर्मी वाले पसंद थे और मैं तुम्हारा जीवन साथी बनने वाला हूं। लेकिन हम लड़कों का देखो जब तक कोई ढंग का काम नहीं करते हमारी शादी होनी मुश्किल है।

"लड़कों को अपनी पहचान बनाना जरूरी होता है।" मां अगर मुझे आर्मी वाले पसंद है तो मैं खुद आर्मी में क्यों नहीं जा सकती?? उसके लिए मुझे किसी आर्मी वाले से शादी करने की क्या जरूरत। अब मेरा यह फैसला नहीं बदलेगा उसकी बातें सुनकर उसकी मां की आंखों में आंसू आ गए। शायद उसे भी अपना कोई अधूरा सपना याद आ गया। आगे बढ़कर मां ने रागिनी को गले लगाते हुए कहा "रागिनी तुम्हारे फैसले में तुम्हारे साथ हूं।" रागिनी अब आर्मी में बड़ी अफसर बन चुकी है। यह रागिनी की पिछले 3 साल की मेहनत ही की जो रागिनी शादी के सपने संजो रही थी उसका व्यक्तित्व अब पूरी तरह से बदल चुका है और वह इस बात के लिए मन ही मन नितिन का भी धन्यवाद करती है कि उसके कहे दो शब्दों ने तो उसकी खुद की पहचान ही बना दी।


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