एडजस्टमेंट
एडजस्टमेंट
मां आप तो जानती हो ना, मुझे सुबह जल्दी उठने की आदत नहीं है, तो फिर क्यों जगा रही हो??? आशा जी की बेटी सुनिधि ने उनसे कहा।।
लेकिन बेटी तेरी सास अकेले ही काम कर रही है ऐसे अच्छे थोड़ी लगता है।।।
चल उठ जा और जाकर उनकी मदद कर।
मांजी यह सब काम कर लेती है,, तो तू क्या करती है, मैं तो तैयार होकर ऑफिस जाती हूं। आशा जी अपनी बेटी के ससुराल पहली बार दो दिन के लिए आई थी। उनकी बेटी की शादी को 6 महीने हो गए। वे एक ऑफिस में काम करती है।जब तक कुंवारी थी तो आशा जी ही उसके ऑफिस जाने से पहले सब काम कर देती। लेकिन वह तो शादी के बाद भी ऐसे ही रही थी। आशा जी को यह बात अजीब लगी। फिर सुनिधि तैयार होकर ऑफिस चली गई।आशा जी ने अपनी समधन के साथ मिलकर काम निपटाया और बैठ गई।
शाम को जब सुनिधि घर आई तो आशा जी उसे प्यार से अपने पास बैठाया और समझाया, बेटा शादी के बाद सबको थोड़ा एडजस्ट तो करना पड़ता है।तू देख समधन जी की भी अब उम्र हो गई है, लेकिन फिर भी वो तुझे सुबह नहीं जगाती। तू अगर तुम्हें रोज आधा घंटा भी पहले उठेगी तो उनकी थोड़ी बहुत मदद हो जाएगी।
उन्हें भी अच्छा लगेगा।लेकिन मां यह कैसे होगा?? मेरी बेटी तो इतने बड़े ऑफिस का काम संभाल लेती है, तो यह कब क्यों नहीं।। आशा जी ने उसे समझाते हुए कहा।
सुनिधि को भी मां की बात समझ आ गई। अगले दिन वे सास के साथ उठी और उसने कहा," मां जी आप मां के पास बैठीए, मैं वही आप दोनों के लिए चाय लाती हूं" लेकिन बेटा तुझे ऑफिस के लिए देर हो जाएगी।। उसकी सास ने कहा ..
कोई देर नहीं होगी मांजी, आज हम सब साथ में चाय पीते हैं ..अपनी बेटी का यह रूपदेखकर आशा जी को बड़ी तसल्ली हो रही थी।
