घर का काम तो कोई भी कर सकता है
घर का काम तो कोई भी कर सकता है
यह औरत कभी भी खाना टाइम पर नहीं बना सकती।" इससे शादी करके तो मैं पछता रहा हूं, ऐसा कहते हुए तरुण घर से निकल गया और कामिनी खाने की प्लेट थामे वहीं खड़ी उसे जाते हुए देखती रही। छोटे बच्चे को संभालते हुए जरा सी देरी हो गई थी, उसे खाना बनाने में।
इतने में उसके बेटे की रोने की आवाज आई और वे उसे चुप कराने के लिए चली गई। जब वह सो गया तो कामिनी अपनी यादों में खो गई ।
अभी दो साल पहले की तो बात है तरुण से लव मैरिज की थी। उसने अपने परिवार के खिलाफ जाकर कितने खुश थे दोनों राघव के पैदा होने के बाद तो कामिनी का सारा टाइम उसे संभालने में ही निकल जाता।
लेकिन तरुण चाहता था कि वह बाहर जाकर जॉब करे। बस इसी चक्कर में वह उससे उखड़ा रहता। कहने को तो भरा पूरा परिवार था, उसके सामने तो राघव को संभालने का अभिनय करते लेकिन बाद में अकेली कामिनी को यह सब करना पड़ता।
वह जानती थी कि उसकी जॉब में जाने के बाद राघव की देखभाल अच्छे से नहीं होगी। पर तरुण जी यह समझने के लिए तैयार ही नहीं था। कामिनी इस बात से बहुत दुखी रहती लेकिन वह ज्यादा झगड़ा नहीं करना चाहती थी।
इसलिए चुप रह जाती उसे बड़ा दुख होता कि जिस लड़के से उसने अपने परिवार के खिलाफ जाकर शादी की आज वही उसे समझने के लिए तैयार ही नहीं है ।
बस हर एक बात में गलती निकलता रहता। घर के काम को देख कर तो बस यही कहता यह काम तो कोई भी कर सकता है।
लेकिन वह क्या जाने घर का सारा काम करने में पूरा दिन कामिनी को कम पड़ जाता साथ में एक छोटे बच्चे की जिम्मेदारी कामिनी तो बस अब एक उम्मीद के साथ जी रही थी कि कभी तो यह सब बदलेगा और तरुण उसे फिर से समझने लगेगा।

