Ravi Ranjan Goswami

Abstract

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Ravi Ranjan Goswami

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सापेक्ष शाँति

सापेक्ष शाँति

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 यूँ तो केरल एक घनी आवादी वाला प्रदेश है किन्तु हम लोग जिस जगह रहते हैं , वह एक द्वीप पर है । यहाँ आवादी विरल है । ये बड़ी शांत जगह लगती है । मैं शांति पसंद करने वाला व्यक्ति हूँ, किन्तु यह जगह इतनी अधिक शांत है कि मैं उसे श्मशान सी शांति कहता आया हूँ। 

हाल ही मैं मुझे ऑडियो पुस्तकें बनाने का विचार आया। किसी कम्पनी या प्रकाशक से बनवाने में अच्छा खासा पैसा लगता। इसलिए मैंने अपनी ही आवाज में स्मार्ट फोन पर पुस्तक को पढ़कर रिकॉर्ड करने का विचार किया। 

मैं अपने इस नए कार्य का परिणाम जानने के लिए कार्य प्रारम्भ करने के पहले ही काफी उत्सुक था। इसलिए मेरे पास धैर्य कम था। अतः एक दिन मैंने अपनी एक पतली सी किताब उठायी और पढ़कर अपने स्मार्टफोन पर रिकार्ड करना शुरू किया। कुछ पंक्तिया ही रिकॉर्ड कर पाया था कि न जानेक्या हुआ कि घर के पास में लगे पेड़ पर कौवे तेज कांव कांव करने लगे। थोड़ी देर बाद कौ.ओं के शांत होने पर मैंने पुनः पुस्तक रिकॉर्ड करना सुरु किया तभी पड़ोसी का छोटा बच्चा रोने लगा। मैंने रिकॉर्डिंग रोक दी क्योंकि उसका रोना भी रिकॉर्ड हो जाता। थोड़ी। .देर बाद पुनः रिकॉर्डिंग चालू की वातावरण शांत था मैं मनोयोग से पुःतक पढ़ कर रिकॉर्ड कर रहा था किन्तु किचिन से बर्तनों के टकराने की आवाज आनी शुरू हो गयी थी। वहां श्रीमती जी का कार्य शरू हो गया था। लंच टाइम होने वाला था. और भूख भी लग आयी थी। 

उस दिन तो फिर रिकॉर्डिंग नहीं की। अनुभव किया कि शान्ति भी सापेक्ष होती है और कभी शान्ति कितनी शोर भरी हो सकती है। 

 


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