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Priyanka Gupta

Abstract Drama Inspirational

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Priyanka Gupta

Abstract Drama Inspirational

सांझ (day-10 beauty )

सांझ (day-10 beauty )

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"ये हौसला अब टूटे न ", गाने की स्वरलहरियाँ पूरे घर में गूँज उठी थी। माधवी की बेटी सांझ ने बहुत लम्बे समय बाद अपने सधे हुए गले से सुर साधे थे।

 "कितने सालों बाद फिर वही पुरानी आवाज़ सुनाई दी है।",अपने कमरे में बिस्तर पर लेटी हुई ,छत घूरती हुई, माधवी ने अपने आप से कहा। माधवी के कदम खुद बा खुद सांझ के कमरे की तरफ बढ़ गए थे।

दरवाज़े पर खड़े होकर वह सांझ को देखने लगी। जैसे ही सांझ की नज़र माधवी से मिली ,वह चुप हो गयी। माधवी को देखकर धीमे से बोली ," सॉरी मम्मा ,मुझे पता है आपको मेरा गाना पसंद नहीं है। लेकिन आज इतने सालों बाद जब आपने मुझे गले लगाया तो मैं अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं रख सकी। "

माधवी अपनी आँखों में भर आये आंसू पोछती हुई बोली ," नहीं बेटा ,गलती तो मुझसे हुई थी। अपनी कुंठा और सनक में ,मैं हमेशा तुम्हारी उपेक्षा करती रही। कैसी माँ हूँ ,जिसने अपनी इतनी प्यारी बेटी को खुद से दूर कर दिया था। तुम गाओ और आज से वापस अपनी सिंगिंग क्लासेज भी जॉइन कर लो। "

सांझ ,माधवी के गले से आकर लिपट गयी थी। माधवी अपने वर्तमान को छोड़कर अतीत में गोते लगाने लगी। माधवी काफी खूबसूरत थी ,जो भी उसे देखता ;देखता ही रह जाता। माधवी को खुद को भी इस बात का आभास था। स्कूल-कॉलेज में औसत से भी कम मार्क्स लाने वाली ,सांस्कृतिक गतिविधियों से दूर रहने वाली माधवी के आगे पीछे लड़के घूमते रहते थे।

खूबसूरत गोरी चिट्टी माधवी को सांवले ,गहरे रंग वाले लोग फूटी आँख नहीं सुहाते थे। वह उन लोगों से बात करने से भी बचती थी। लेकिन वो कहते हैं न ,"आप जिस चीज़ से जितना ज्यादा भागते हो ,वह आपके पास उतनी ही तेज़ी से आती है।"

निम्न मध्यम वर्गीय माधवी के सपने बड़े-बड़े थे ,हो भी क्यों न उसके जैसी खूबसूरत लड़की दूर-दूर तक भी कोई नहीं थी। माधवी की पढ़ाई लिखाई समाप्त होने के बाद घर में उसकी शादी के चर्चे होने लगे। माधवी की एक ही शर्त थी कि लड़का खूब अमीर और हैंडसम होना चाहिए।

अमीर और हैंडसम लड़के शादी बड़ी धूमधाम से चाहते ,माधवी के पापा की उतना खर्च करने की हैसियत नहीं थी। ऐसे ही कई रिश्ते देखे गए ;लेकिन बात नहीं बनी। अब माधवी भी दुखी होने लग गयी थी ,उसे अपनी सहेलियों से ईर्ष्या होने लगी थी। जो उसकी जितनी सुन्दर भी नहीं थीं ,लेकिन उनकी शादियां अच्छे घरों में अच्छे लड़कों से हो गयी थी।

ऐसे में गहरे रंग के अखिल का रिश्ता माधवी के लिए आया। अखिल एक अमीर खानदान का एकलौता बेटा था। उसने माधवी को एक शादी में देखा था। उसे और उसके घरवालों को माधवी बहुत पसंद आयी थी। माधवी को न चाहते हुए भी इस रिश्ते के लिए हाँ करनी पड़ी थी। लेकिन माधवी कभी भी इस रिश्ते को दिल से नहीं अपना पायी थी ।

अखिल और माधवी में पति पत्नी के शारीरिक रिश्ते तो बने ,लेकिन भावनात्मक रिश्ता कभी नहीं बना। क्यूंकि माधवी के मन में अखिल के लिए कभी प्यार ही नहीं पनपा। उसे हमेशा उसके काले रंग से घिन्न आती रही। माधवी की आँखों पर पड़े खूबसूरती के चश्मे ने अखिल के सारे गुणों को छिपा दिया था। बल्कि माधवी तो अखिल को बेइज्जत करने का एक भी अवसर हाथ से जाने न देती थी।

अखिल कभी उससे पूछता कि ,"कौनसे रंग की शर्ट पहनूं ?"

तो उसका टका सा जवाब होता ,"तुम्हारे काले रंग पर तो कोई भी रंग फबेगा तो है नहीं , फालतू में मगजमारी क्यों करना ?कुछ भी पहन लो। "

अखिल के लाये हर उपहार में मीनमेख निकालना उसके लिए जरूरी होता था।

अगर अखिल कभी बोल देता कि ," आज तुम बहुत अच्छी लग रही हो। "

तो माधवी कहती ,"उसमें कौनसी नयी बात है। तब ही तो सब लोग कहते हैं ,'लंगूर को अंगूर' मिल गया है। "

अगर अखिल कभी गलती से पूछ लेता कि ,"मैं कैसा लग रहा हूँ?"

माधवी का घिसा पीटा सा जवाब होता ," कुछ भी कर लो ,रहोगे तो तुम काले हब्शी। "

माधवी की बेरुखी और तानों के कारण धीरे धीरे अखिल ने भी रिश्ते में गर्मजोशी और आत्मीयता लाने के सारे प्रयास छोड़ दिए थे। दोनों का जीवन यंत्रवत चल ही रहा था और शायद रिश्ता ख़त्म ही हो जाता ,लेकिन सांझ के आगमन ने तिल तिल मरते रिश्ते को भी जिलाये रखा।

सांझ सूरत और सीरत दोनों से ही अपने पापा अखिल पर गयी थी। माधवी को सांझ भी नहीं भाती थी। उसको लगता था ऐसी काली कलूटी मेरी बेटी नहीं हो सकती।

अखिल ने जब लाड़ से अपनी बेटी का नाम सांझ रखते हुए कहा ," जीवन में शान्ति और सुकून लाने वाली सांझ। "

तब भी माधवी ने मुँह बिचकाकर कहा ," काली अँधेरे सी सांझ " .

सांझ को गाने का शौक था.लेकिन माधवी को सख्त नापसंद था। उसे लगता था कि ,"ये काली कोयल बनकर मेरी और बेइज्जती करा रही है।"

उसने उसका संगीत भी बंद करा दिया। अखिल ने बहुत समझाने की कोशिश की ,लेकिन सब व्यर्थ।

सांझ ने अपने पापा को समझा लिया कि," इस मुद्दे पर आप दोनों आपस में लड़ाई न करो ; मैं नहीं गाऊँगी।"

लेकिन नियति के खेल भी अजीब निराले हैं। जिस चेहरे की खूबसूरती पर माधवी को नाज़ और अहंकार था ,उसी चेहरे को चेचक ने बदसूरत और लकवे ने डरावना बना दिया। माधवी ने आत्महत्या तक करने की कोशिश की ,लेकिन सांझ और अखिल के प्यार और अपनेपन से उसने अपने नए चेहरे को स्वीकारना सीख लिया।

उसे अपने व्यव्हार और सोच पर शर्मिंदगी हुई। उसकी खूबसूरती की गलत परिभाषा कारण वह अपने इतने खूबसूरत रिश्तों से दूर रही। उसने अखिल से अपनी गलतियों के लिए माफ़ी मांगी। अखिल ने उसे माफ़ करते हुए कहा कि ,"कभी कोई इंसान गलत नहीं होता ;बल्कि वक़्त गलत होता है। आज से तुम मेरे लिए दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत हो गयी हो क्यूंकि आज तुम सही मायनों में मेरी बीवी और सांझ की मां बन गयी हो। "

तब ही पीछे से अखिल की आवाज़ आयी कि ,"आज शाम की चाय मिलेगी या नहीं। "

माधवी ने वर्तमान में लौटते हुए कहा कि ,"मिलेगी न बिलकुल मिलेगी। चाय ही नहीं पकौड़े भी। "


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