Rohit Verma

Abstract Inspirational Others

5.0  

Rohit Verma

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रफ्तार

रफ्तार

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हम सब कितनी रफ्तार में चल रहे लेकिन रफ्तार में चल कर भटक भी रहे है हम ये सोचते है कि आज गलत तो कल भी गलत होगा लेकिन आज सही हो गया तो कल भी सही हो जायेगा।

रफ्तार ऐसी पकड़ो की सीधा ऊंची छलांग लगे इस भीड़ में हर कोई गुम है रफ्तार न तेज रखो न ज्यादा कम कि आपको गिराने वाले सोच समझ कर गिराए।

रफ्तार में गुम हो जाओ और थोड़ा घुल - मिल जाओ .रफ्तार कम हो तो आप गिरे जा सकते हो लेकिन "नहीं" आपको शायद वहीं से नया रास्ता मिल जाए।

आज गलत रास्ता पकड़ा तो ज़िन्दगी भर गलत रास्ता चुनोगे। हम रफ्तार को तेज कर तो लेंगे लेकिन दिमाग को थोड़ा सोचने का समय चाहिए।

हर किसी के अंदर एक कला होती है और पकड़ बना कर वह आगे बढ़ सकता है। अपना वक्त अपने हाथ में होता है दूसरों के हाथो अपना वक्त दे कर नादान होता है।

रफ्तार की भागदौड़ में हर कोई भाग तो रहा है लेकिन कुछ भटक रहे हैं और कुछ आगे बढ़ रहे हैं, कुछ समय के भरोसे बैठे हुए है।


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