रक्त पिपासु वैम्पायर लव (भाग-11)
रक्त पिपासु वैम्पायर लव (भाग-11)
खट..... खट..... खट..... खट.......।
वाहर कोई जोर ज़ोर से दरवाजा खटखटा रहा था, जिसके कारण भरत की नींद आधी अधूरी ही खुल गई,उसनें मिचमिचाते हुए आँखों से एक नज़र रूम में साइड टेविल घड़ी की ओर देखा,और दूसरी बार दरवाजे की ओर देखा।
अभी तो दिन निकला ही नहीं था, फिर इतनें बक्त भला कौंन हो सकता है?
वह लेटे हुए अभी सोच ही रहा था कि फिर एक बार पुनः दरवाज़ा भड़भदाया गया।
कककक्क कौंन हैं ? इतनीं रात में।
भरत ना चाहतें हुए भी बोला।
इस समय रात्रि का एक बजकर बत्तीस मिनट हुए थे। उसे याद आया वह रात साढ़े बारह वज़े तक वासनात्मक खेल का खिलाड़ी था,और जैसे ही वह पिच पर आउट हुआ, बस उसे गहरी नींद नें दबोच लिया। उसे अभी भी पूरी तरह याद था।
किन्तु इस समय, अचानक दरवाज़ा खटखटानें बाला कौंन है ?
अभी वह यह सोच ही रहा था।
कि एक बार फिर,वाहर से पुनः किसी नें दरवाज़ा ज़ोर ज़ोर से खटखटाया, साथ ही किसी नें उसका नाम ले लेकर ज़ोर से पुकारा।
भारत तुम ठीक तो हो।
हहहह....हाँ... हाँ मैं ठीक हूँ।
वह ज़ोर से चिल्ला कर बोला।
जल्दी से दरवाज़ा खोलो।
मममम मग़र कककक्यों ?
वह डर से व्याकुल होचुका था, अतः बैड पर पड़े पड़े ही वह पुनः बोला।
हम तेरी दोस्त की जाँच पड़ताल करेंगें।
ममममम मग़र अअअअ आप हैं कककक्क कौंन ?
वह डर की वजह से घबड़ातें हुए बोला।
मैं अरविन्द त्रिवेदी अपनें टीम के साथ।
मममम मग़र ससससस साहबजी ककक किसलिए आआआ आए हैं अअअअ आप ?
अबे साले दरवाजा खोलता है या फिर तोड़ दूँ।
अरविन्दत्रिवेदी की टीम में आए हुए एक एस आई नें चिल्लाकर बोला।
मममम मगर साहब मैंने तो कोई अपराध नहीं किया है।
वह डर से उठकर गिरता पड़ता निर्वस्त्र भागता हुआ द्वार पर आया और उसनें मुख्यद्वार का सटकोडा सरकाया।
और अपनें सामनें पुलिसकर्मियों और अरविन्दत्रिवेदी को देखकर वह उनके पैरों में गिर पड़ा।
उठो ! मिस्टर भरत! अपनीं स्थिति को देखों, और हमारे प्रश्नों का जबाब दो, साथ ही हमारी फॉरेन्सिक टीम जाँच करेंगी उसको सहयोग करों।
जी साहब।
वह उठा तो उसे अपनीं प्राकृतिक रूप का ख्याल आया अतः अगलें क्षण वह शर्मिंदगी महसूस करता हुआ अंदर बैड रूम में भाग खड़ा हुआ। और कुछ पलों बाद वह पुलिसकर्मियों के साथ सहयोग कर रहा था, फॉरेंसिक टीम फिंगरप्रिंट उठानें के कार्य में जुट चुकी थी,एक पुलिस एस .आई. नें भरत के बैडरूम में जाकर उसकी नौकरानी रमिया के द्वारा छिपाया हुआ सीक्रेट कैमरे को निकालकर एल. सी. डी. टी. वी. से कनेक्ट करने के बाद टी.वी. स्क्रीन ऑन की।
सर अब वह क़ातिल हसीना जल्द ही जरूर ज़रूर हमारी गिरफ्त में होगी।
एक सव इन्स्पेक्टर, टी.वी. की स्क्रीन की ओर देखता हुआ बोला।
किन्तु यह क्या, उस टी वी स्क्रीन पर केबल भरत ही नग्न होकर वात्सायन के कामसूत्र की कामकला की मुद्राओं का वेहतरीन प्रदर्शन करते हुए दिखाई दे रहा था।
मिस्टर घोषाल यह सब क्या है, क्या इसी नौटंकी को दिखानें लाए थे।
सीनियर इंसपेक्टर अरविन्दत्रिवेदी कुछ नाराज़ हो कर बोला।
नो सर, जरूर कहीं ना कहीं कोई जरूर हमारी ओर से भूलचूक हुई है।
तो देखों कहाँ भूल हुई है।
इंस्पेक्टर मार्शल नें घोषाल से पूँछा।
इंस्पेक्टर घोषाल बार बार उस सीसीटीवी कैमरे की फुटेज को आगें पीछे कर के चलाकर देखता रहा,उसकी कुछ भी समझ में नहीं आरहा था कि यह सब कैसे और क्यों कर हुआ, जब कि उसनें सीधा लाइव प्रसारण स्वयं सरकारी कम्प्यूटर पर अपनीं आँखों से स्वयं देखा था,साथ ही उस प्रसारण की रिकॉर्डिंग भी उसी नें भरत की नौकरानी रमिया को वह छोटा सा शक्तिशाली कैमरा भरत के बैडरूम में इस पोजीशन में लगबाया था, ताकि वह भरत और उसकी गर्लफ़्रेंड की हर एक्टिविटी दिखाई दे, और वह हंड्रेड परशेन्ट अपने को सफल समझ भी रहा था पर यह क्या ? उसकी पूरी की पूरी प्लानिंग एक दम विफ़ल हो चुकी थी। वह नहीं समझ सका, ऊपर से सीनियर अधिकारी मिस्टर अरविन्द त्रिवेदी की डांट और ख़ानी पड़ी,शेषांक आगे........।


